Saturday, June 18, 2011

स्विटज़रलैंड के बैंकों में काला धन रखने वालों की अब खैर नहीं

विदेशी बैंकों खासकर स्विटज़रलैंड में काला धन जमा करने वालों की अब खैर नहीं है। वहां की सरकार ने उनके बारे में जानकारी देने का रास्ता खोल दिया है।


जिनीवा में स्विस पार्लियामेंट ने शुक्रवार को भारत सहित कई देशों से टैक्स संधियों में संशोधन को सहमति दे दी है। इससे उन देशों के लोगों के स्विस बैंकों में जमा धन के बारे में भारत जैसे देशों की सरकारों को आसानी से जानकारी मिल सकेगी। स्विटज़रलैंड के ऊपरी सदन ने डबल टैक्सेशन ऐग्रामेंट (डीटीएए) में सेंशोधन को मंजूरी दे दी। जिन देशों की सरकारों ने स्विटज़रलैंड से यह संधि कर रखी है उनके लिए अब वहां से काले धन के बारे में कानूनी मदद लेना और काला धन रखने वालों को पहचानना आसान हो जाएगा।


इस संशोधन को अभी जनमत संग्रह के जरिये पास करवाया जाएगा। इसके बाद यह पूरी तरह कानून बन जाएगा। इस साल जनवरी में ही स्विटज़रलैंड की संसद के एक पैनल ने संशोधित टैक्स संधि को हरी झंडी दिखाई थी जिसके बाद यह संभव हुआ। पैनल ने भारत से ऐसी संधि करने की सिफारिश की थी।


भारत सरकार पर इस समय काले धन के बारे में भारी दबाव है। समझा जाता है कि स्विटज़रलैंड के बैंकों में लाखो-करोड़ों डॉलर जमा है। भारत से सही संधि न होने के कारण काला धन रखने वालों का पता नहीं लग सका है।

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