नई दिल्ली. रक्षा मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन भारत के सामने सबसे बड़ा खतरा है। मंत्रालय ने अपनी सेना के तीनों अंगों के लिए आगामी 15 सालों के तैयार की गई योजना में इसका खुलासा किया है।
रक्षा मंत्रालय ने सेना के तीनों अंगों के लिए एक एकीकृत प्लान तैयार किया है, जो 2010 से 2027 तक के लिए होगा। इस योजना के अनुसार अब भारत के तेवर भी चीन की ही तरह आक्रमक होंगे। प्लान के अनुसार 2012 तक भारत पहाड़ों पर युद्ध करने के विशेषज्ञ 90,000 जवानों की फौज तैयार कर लेगा। यह माउंटेन स्ट्राइक कार्प्स लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तैनात किए जाएंगे और न केवल बचाव के लिए तैयार होंगे बल्कि आक्रामक तेवर भी अख्तियार किए होंगे। इन्हें पहाड़ॉं पर लड़ने के लिए पुख्ता ट्रेनिंग के अलावा पूरे संसाधन दिए जाएंगे। योजना की शुरुआत में चीन की सीमा से लगे पहाड़ों पर बनाई जा रही सड़कों के निर्माण में तेजी लाई जा रही है। सेना का मानना है कि यह काम प्राथमिकता के आधार पर पूरा होना चाहिए।
भारत अब लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी सीमा पर बनी अपनी हवाई पट्टियों को भी आधुनिक संसाधनों से लैस कर रहा है। इनका सुधार के अलावा व्यापक उन्नयन भी किया जा रहा है। इनमें पट्टियों में करीब आठ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स भी हैं। लाईन
ऑफ कंट्रोल से बमुश्किल 25 किलोमीटर दूर म्योमा एयर बेस पर एसयू-30 युद्दक विमान तैनात किए जा रहे हैं।
उंचाईयों पर रहने वाले जवानों के रहने के लिए भी स्थितियों में सुधार किया जा रहा है। सेना करीब 5,000 विशेष तौर पर डिजाइन किए गए शेल्टर तैयार कर रहा है, जिनमें काफी कम तापमान में भी सामान्य तापमान ही रहता है। इन उंचाईयों पर तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे तक चला जाता है। भविष्य में सेना लद्दाख में काफी हल्के होवित्जर और दूसरे हल्के टैंक तैनात करने की योजना बना रहा है, ताकि जरुरत पड़ने पर जवाबी कार्रवाई त्वरित हो सके।
इस प्लान के अनुसार भारतीय नौसेना को भी भविष्य के लिए अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है। रडार की किरणों से बच निकलने वाले युद्धक जहाज, पनडुब्बी औऱ लंबी दूरी तक नजर रखने वाले ड्रोन भी तैनात किए जा रहे हैं। नौसेना अंडमान और निकोबार में भी अपनी स्थिति काफी मजबूत कर रही है। इससे दक्षिण पूर्वी एशिया, खासकर मलाका स्ट्रेट्स क्षेत्र पर नजर रखने में मदद मिलेगी। भारत कुछ सालों में 8,000 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर लेगा।
अरुणाचल प्रदेश ने हाल ही में केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि चीन लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है और इन परिस्थितियों में कारगिल जैसी स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं।
आपका मत
क्या वाकई पाकिस्तान के मुकाबले भारत को चीन से ज्यादा खतरा है? भारत ने हालांकि चीन की सीमा पर पुख्ता संसाधन जुटाने का काम शुरु कर दिया है, लेकिन क्या हमें देर नहीं हो गई है? चीन भारत के मुकाबले काफी दिनों से तैयारियां कर रहा है और इसके मद्देनजर क्या भारत को काफी तेज गति से तैयारियां नहीं करना चाहिए? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपना मत। लेकिन किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पाठक स्वयं जिम्मेदार होंगे।
रक्षा मंत्रालय ने सेना के तीनों अंगों के लिए एक एकीकृत प्लान तैयार किया है, जो 2010 से 2027 तक के लिए होगा। इस योजना के अनुसार अब भारत के तेवर भी चीन की ही तरह आक्रमक होंगे। प्लान के अनुसार 2012 तक भारत पहाड़ों पर युद्ध करने के विशेषज्ञ 90,000 जवानों की फौज तैयार कर लेगा। यह माउंटेन स्ट्राइक कार्प्स लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तैनात किए जाएंगे और न केवल बचाव के लिए तैयार होंगे बल्कि आक्रामक तेवर भी अख्तियार किए होंगे। इन्हें पहाड़ॉं पर लड़ने के लिए पुख्ता ट्रेनिंग के अलावा पूरे संसाधन दिए जाएंगे। योजना की शुरुआत में चीन की सीमा से लगे पहाड़ों पर बनाई जा रही सड़कों के निर्माण में तेजी लाई जा रही है। सेना का मानना है कि यह काम प्राथमिकता के आधार पर पूरा होना चाहिए।
भारत अब लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी सीमा पर बनी अपनी हवाई पट्टियों को भी आधुनिक संसाधनों से लैस कर रहा है। इनका सुधार के अलावा व्यापक उन्नयन भी किया जा रहा है। इनमें पट्टियों में करीब आठ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स भी हैं। लाईन
ऑफ कंट्रोल से बमुश्किल 25 किलोमीटर दूर म्योमा एयर बेस पर एसयू-30 युद्दक विमान तैनात किए जा रहे हैं।
उंचाईयों पर रहने वाले जवानों के रहने के लिए भी स्थितियों में सुधार किया जा रहा है। सेना करीब 5,000 विशेष तौर पर डिजाइन किए गए शेल्टर तैयार कर रहा है, जिनमें काफी कम तापमान में भी सामान्य तापमान ही रहता है। इन उंचाईयों पर तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे तक चला जाता है। भविष्य में सेना लद्दाख में काफी हल्के होवित्जर और दूसरे हल्के टैंक तैनात करने की योजना बना रहा है, ताकि जरुरत पड़ने पर जवाबी कार्रवाई त्वरित हो सके।
इस प्लान के अनुसार भारतीय नौसेना को भी भविष्य के लिए अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है। रडार की किरणों से बच निकलने वाले युद्धक जहाज, पनडुब्बी औऱ लंबी दूरी तक नजर रखने वाले ड्रोन भी तैनात किए जा रहे हैं। नौसेना अंडमान और निकोबार में भी अपनी स्थिति काफी मजबूत कर रही है। इससे दक्षिण पूर्वी एशिया, खासकर मलाका स्ट्रेट्स क्षेत्र पर नजर रखने में मदद मिलेगी। भारत कुछ सालों में 8,000 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर लेगा।
अरुणाचल प्रदेश ने हाल ही में केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि चीन लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है और इन परिस्थितियों में कारगिल जैसी स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं।
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क्या वाकई पाकिस्तान के मुकाबले भारत को चीन से ज्यादा खतरा है? भारत ने हालांकि चीन की सीमा पर पुख्ता संसाधन जुटाने का काम शुरु कर दिया है, लेकिन क्या हमें देर नहीं हो गई है? चीन भारत के मुकाबले काफी दिनों से तैयारियां कर रहा है और इसके मद्देनजर क्या भारत को काफी तेज गति से तैयारियां नहीं करना चाहिए? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपना मत। लेकिन किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पाठक स्वयं जिम्मेदार होंगे।
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