Tuesday, June 28, 2011

'वो' डराता रहा और डेढ़ साल तक भागती रहीं बहनें



जोधपुर। माता-पिता को बचपन में खो चुकी दो बहनें डेढ़ साल तक भटकती रहीं। एक युवक का आतंक इस कदर था कि वह घर में घुसकर मारपीट करता। बूढ़ी दादी को भी जान से मार देने की धमकियां देता। युवक की नजर इस मकान पर है। साथ ही वह इनमें बड़ी बहन से शादी के लिए दबाव भी डालता। आखिरकार युवतियों ने जोधपुर छोड़ दिया, यही सोचकर कि दादी तो चैन से रह पाएंगी।
डेढ़ साल बाद दोनों बहनें 24 जून को मरुधर एक्सप्रेस से जोधपुर पहुंची। युवक का खौफ इस कदर था कि स्टेशन पर उतरते ही फोन आ गया कि घर नहीं आएं। वह घर के बाहर ही घूम रहा है। तब दोनों ने शुक्रवार-शनिवार की रात स्टेशन पर गुजारी। सुबह प्लेटफार्म पर लोगों ने यह दास्तां सुनी तो डीबी स्टार टीम को सूचना दी। इस सूचना पर टीम ने पड़ताल की।
पता चला कि यूआईटी ऑफिस, पोकरण हाउस के पास रहने वाली 18 वर्षीय अनिता और 16 वर्षीय किरण की मां बचपन में ही गुजर गई थी। पिता भी दो साल पहले चल बसे। परिवार में अब दादी और सौतेली मां है। उदयमंदिर आसन निवासी हसमुद्दीन इनके घर आने-जाने लगा। वह अनिता पर शादी का दबाव बनाने लगा। किरण और और दादी से भी मारपीट करता और मकान खाली करने की धमकियां देता।
टीम शनिवार सुबह उन्हें लेकर जीआरपी थाने पहुंची। साथ ही टीम ने मानवाधिकार आयोग की पूर्व काउंसलर मनोरमा शर्मा को भी इतल्ला दी। मनोरमा भी जीआरपी थाने पहुंची। यहां एसएचओ अनिल पुरोहित को युवतियों ने अपनी दास्तां सुनाई।
कार्रवाई के निर्देश दिएजीआरपी थाने पर रिपोर्ट लेकर एसएचओ पुरोहित ने इन्हें थाने के वाहन से ही महिला थाने भिजवाया। यहां पर विकल्प संस्थान की रेहाना खान और सामाजिक कार्यकर्ता मनोरमा शर्मा के साथ अनिता व किरण को डीसीपी राजेश मीणा के पास ले जाया गया। मीणा ने रातानाडा थाने के एसएचओ को मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
दो महीने पहले भी आईं थींअनिता और किरण 24 जून की शाम मरुधर एक्सप्रेस से जोधपुर पहुंची थीं। इनके आने से पहले ही सूचना घर पर पहुंच चुकी थी। तब फोन पर ही घर आने से मना कर दिया। ये रातभर प्लेटफॉर्म पर भटकती रहीं। दोनों अप्रैल के आखिरी सप्ताह में यह सोचकर जोधपुर आई थीं कि अब तो हसमुद्दीन का आना बंद हुआ होगा? अगले ही दिन हसमुद्दीन कुछ गुंडों के साथ आ धमका। वह अनिता पर शादी का दबाव डालने लगा। तब इन्होंने पुलिस का सहयोग लेना चाहा। वे रातानाडा थाने पहुंचीं तो मुंशी ने उनकी एक नहीं सुनी। उलटे उनका लिखा पर्चा ही फाड़ दिया। मजबूरन ये फिर लखनऊ चली गईं।
पुलिस की निगरानी में घररातानाडा पुलिस ने दोनों को इनके घर पहुंचा दिया है। महिला थाना इनके घर के पास ही है। रातानाडा थानाधिकारी राजूराम ने इन्हें अपने मोबाइल नंबर दिए हैं। हसमुद्दीन की ओर से कोई परेशानी होने पर उन्होंने तुरंत मोबाइल पर सूचित करने को कहा। साथ ही आश्वस्त किया कि वे बेखौफ होकर रहें। उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। रविवार और सोमवार को सुबह-शाम महिला थाने से पुलिसकर्मी व दोनों सामाजिक कार्यकर्ता इनके घर गईं थीं। इन्होंने भी आश्वस्त किया है कि किसी तरह की परेशानी होते ही उन्हें सूचित करें। हालांकि हसमुद्दीन अभी पुलिस गिरफ्त से दूर है।
कैसे मिलती है आने की सूचना?24 जून की शाम अनिता किरण के साथ लखनऊ से जोधपुर आई। इस बार तो इनके घर पहुंचने से पहले ही हसमुद्दीन दोस्तों के साथ उसके घर पहुंच गया। इनके आने की सूचना उस तक कैसे पहुंची? घर में अभी इनकी 85 वर्षीय दादी और सौतेली मां रहती हैं। दादी दोनों बहनों को प्रेम से रखती है। वह अपनी पेंशन से इनका भी गुजारा कर रही थी। ऐसे में हसमुद्दीन तक सूचना पहुंचना एक रहस्य है।

No comments:

Post a Comment