Tuesday, June 21, 2011

चीन ने फिर दिया भारत को धोखा, ड्रैगन की रफ्तार पर लगेगी ब्रेक!

नई दिल्‍ली. ब्रह्मपुत्र नदी की धारा मोड़ने की चीन की मुहिम पर शक गहरा रहा है। हालांकि भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्‍णा का कहना है कि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर जैंगमू डैम बनाने का काम रोक दिया है, लेकिन ताजा खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक कृष्‍णा का यह दावा गलत है।
एक निजी समाचार चैनल ने ताजा खुफिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि चीन ने बांध का काम रोकने का आश्‍वासन जरूर दिया है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया है। यही नहीं, चीन की बांध की ऊंचाई कम करने की भी कोई योजना नहीं है। भारत काफी समय से यह मांग करता रहा है।
बांध की मौजूदा ऊंचाई 3370 फीट है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इतनी ऊंचाई के चलते नदी की धार पर असर पड़ेगा। लेकिन चीन बांध की ऊंचाई कम नहीं करने पर अटल लगता है।
जैंगमू बांध तिब्बत के पूर्वी हिस्से में बनाया जा रहा है और इससे भारत की तरफ हिमालय के पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ेगा। चीन ब्रह्मपुत्र की नदी पर कई डैम भी बनाने की योजना है, और संकेत हैं कि उन पर काम भी शुरु हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर करीब 24 बांध बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा पांच बांध डैम बामचू नदी पर भी बनाए जा रहे हैं, जो भारत में कोसी नदी के नाम से जानी जाती है।
चीन भारत के साथ पानी के बंटवारे संबंधी किसी भी संधि पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा है। भारत के रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी के अनुसार चीन इस मुद्दे पर अड़ियल रवैया अपनाता रहा है। चीन ने हमेशा केवल आश्वासन दिया है कि वे विकास योजनाएं बनाते समय भारत के हितों का खयाल रखेंगे। लेकिन सच यह है कि विश्व में बने बड़े बांधों में आधे, चीन में बने हुए हैं और इनसे भारत में आने वाली नदियों के बहाव पर असर पड़ा है। लेकिन भारत का जल संसाधन मंत्रालय इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है।   
विकास के लिए जहां चीन अपने पड़ोसी भारत के हितों की अनदेखी कर रहा है, वहीं आर्थिक परिस्थितियां उसके अनुकूल नहीं बनती लग रहीं। आईईए के मुख्‍य अर्थशास्‍त्री का कहना है कि कच्‍चे तेल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर यह पड़ेगा कि चीन विकास की पटरी से उतर सकता है।
भारत और चीन के सैन्य संबंध बहाल
भारत और चीन के सैन्य संबंध करीब एक साल के बाद फिर बहाल हो गए हैं। भारत ने चीन द्वारा कश्मीर के निवासियों को नत्थी कर वीजा देने की नीति का विरोध करते हुए, संबंध तोड़ लिए थे। भारतीय सेना का एक आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, मेजर जनरल गुरमीत सिंह के नेतृत्व में 6 दिवसीय यात्रा पर चीन में है। गुरमीत सिंह भारतीय डेल्टा फोर्स के प्रमुख हैं, जिसे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कश्मीर में तैनात है। चीन ने पहले कश्मीर में पदस्थ नार्दर्न आर्मी कमांड के प्रमुख को भी नत्थी कर वीजा जारी किया था, जिसके विरोध में भारत ने सैन्य संबंध तोड़ लिए थे।  लेकिन बाद में चीन ने अपनी नीति में परिवर्तन किया है।
आपका मत
क्या भारत को ब्रह्मपुत्र नदी के मुद्दे पर चीन के सामने ठोस विरोध नहीं दर्ज कराना चाहिए? क्या भारत इस मामले में नरम रवैया नहीं अपना रहा है? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपना मत। लेकिन किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पाठक स्वयं जिम्मेदार होंगे।

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