जी हां अगर आपको कोई लाखों रुपए की सैलरी ऑफर करे और वो भी टैक्स फ्री तो क्या आप उसे ठुकराना चाहेंगे लेकिन काबुल में जाने के लिए सरकारी नौकरशाह लाखों रुपए की पगार को भी ठोकर मार रहे हैं।
अफगानिस्तान सरकार अपने यहां के अफसरों और नौकशाहों को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से प्रशिक्षित करवाना चाहती है लेकिन भारतीय नौकरशाह इसमें कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पिछले साल एक परिपत्र के जरिए राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्रीय मंत्रालय के सचिवों को सूचित किया है लेकिन इसके बावजूद किसी भी अधिकारी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
जंग से और अव्यवस्था से जूझ रहे इस मुल्क में जान के से हर कोई कतरा रहा है। आपको बता दें कि यह परिपत्र पिछले साल जुलाई में भेजा था और इस साल 11 मार्च को डीओपीटी ने 55 लाख रुपए सालाना के भारी भरकम पैकेज पर अधिकारियों को भेजने की पेशकश की है यह सैलरी भारत के कैबिनेट सचिव की सैलरी से कई गुना ज्यादा है।
अफगानिस्तान सरकार अपने यहां के अफसरों और नौकशाहों को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से प्रशिक्षित करवाना चाहती है लेकिन भारतीय नौकरशाह इसमें कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पिछले साल एक परिपत्र के जरिए राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्रीय मंत्रालय के सचिवों को सूचित किया है लेकिन इसके बावजूद किसी भी अधिकारी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
जंग से और अव्यवस्था से जूझ रहे इस मुल्क में जान के से हर कोई कतरा रहा है। आपको बता दें कि यह परिपत्र पिछले साल जुलाई में भेजा था और इस साल 11 मार्च को डीओपीटी ने 55 लाख रुपए सालाना के भारी भरकम पैकेज पर अधिकारियों को भेजने की पेशकश की है यह सैलरी भारत के कैबिनेट सचिव की सैलरी से कई गुना ज्यादा है।
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