Saturday, October 27, 2012

सीट बेल्ट बांधी होती तो शायद बच जाते जसपाल भट्टी


जालंधर। कॉमेडी किंग जसपाल भट्टी की जान बच सकती थी, अगर उन्होंने बेल्ट बांधी होती। पुलिस के बयान, एक्सपर्ट की राय और डाक्टरों से बातचीत का मुलम्मा यही है कि कार में पिछली सीट पर बैठे लोगों को भी बेल्ट बांधनी चाहिए। शाहकोट थाने के एसएचओ दलजीत सिंह गिल के अनुसार, जसराज ने अपने बयान में कहा है कि गाड़ी चलाते वक्त आंख लग जाने की वजह से यह हादसा हुआ है। हादसे के वक्त जसपाल भट्टी पिछली सीट पर सो रहे थे। अनुमान है कि एकाएक झटका लगा, तो नींद में होने के कारण वह खुद को संभाल नहीं सके। गाड़ी के अंदर ही उनका सिर कई जगह टकराया। अगर जसपाल भट्टी ने सीट बेल्ट पहनी होती तो उनका शरीर संभल जाता और सिर इतनी बार नहीं टकराता।


भट्टी के जीजा हरतेज सिंह ने डाक्टरों के हवाले से बताया कि झटका लगा तो उनका सिर या तो अगली सीट से टकराया होगा या फिर कार के गेट के किनारे से जोर से टकराया होगा। इसी वजह से उनके स्कल में मल्टीपल फ्रैक्चर हो गए और फिर ब्रेन हैमरेज हो गया।

हंसाकर भी रुलाते रहे भट्टी
नियम क्या कहता है...
पिछली सीट पर बेल्ट पहनना अभी अनिवार्य नहीं है। कई बार, कई स्टेट ने पिछली सीट बेल्ट पहनाना अनिवार्य करने की मांग की है, मगर मंजूरी नहीं मिली। कार में बैठते वक्त सीट बेल्ट जरूर पहनना चाहिए, फिर चाहे कोई आगे बैठे या पीछे। सीट बेल्ट पहनने का मकसद जान बचाना होना चाहिए,  चालान से बचना नहीं। अपने देश में 1994 के बाद बनी हर कार में पिछली सीटों पर बेल्ट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है कंपनी के लिए। हालांकि चालान सिर्फ अगली सीट पर बैठे लोगों के बेल्ट ने बांधने पर काटा जाता है।
एक्सपर्ट व्यू
जब कार का इम्पैक्ट होता है तो चाहे कोई अगली सीट पर बैठा हो या पिछली सीट पर, झटका सबको एक समान ही लगता है और जान का खतरा आगे और पीछे बैठे दोनों को ही एक बराबर होता है।
-धर्मबीर सिंह, मैकेनिकल इंचार्ज ईस्ट डिवीजन, चंडीगढ़ पुलिस
पक्की नींद में शरीर नहीं संभाल पाता खुद को
कच्ची नींद में बॉडी में थोड़ी बहुत मूवमेंट रहती है। आदमी मामूली से झटके पर संभल जाता है, लेकिन थकान के बाद पक्की नींद आती है और शरीर के सभी अंग शिथिल हो जाते हैं। ऐसे मामूली झटके में भी बॉडी खुद को संभाल नहीं पाती और गंभीर चोट की आशंका रहती है। जहां तक जसपाल भट्टी के सड़क हादसे का सवाल है, तो मुझे जानकारी है कि उनके स्कल में मल्टीपल फ्रैक्चर हुए थे। इस कंडीशन में अगर मरीज को जल्दी इलाज मिल जाए तो थोड़ी बहुत संभावना रहती है। इस केस में चूंकि देर रात हाईवे पर हादसा हुआ इसलिए जाहिर तौर पर उन्हें जल्दी इलाज नहीं मिला होगा। मेडिकल थ्योरी में स्किल में मल्टीपल फ्रैक्चर के केसों में बचने की संभावना कम ही रहती है। -डॉ. अनुपम जिंदल, न्यूरोसर्जन

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