Wednesday, October 10, 2012

गौर से देखिये, इन्हीं चेहरों ने लाखों को लूटा, अब आपका नंबर तो नहीं!

रांची. बदलाव के इस युग में नटवर लालों ने भी ठगने के नए तरीके ईजाद कर लिये हैं। लोगों को ठगने के लिए तकनीक का इस्तेमाल शुरु कर दिया है। इन दिनों अखबारों व टीवी चैनलों पर चेहरा पहचानो और इनाम पाओ की कई प्रतियोगिताएं चल रही हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें दिखाए जाने वाले सेलिब्रेटी का चेहरा पूरी तरह से पहचाना जा सकता है। इनाम के लालच में कई लोग आसानी से फंस कर ठगी का शिकार हो रहे हैं।

राजधानी के कई लोग चेहरा पहचानों और इनाम जीतो विज्ञापन के फेर में फंस कर ठगे जा चुके हैं। विज्ञापन के माध्यम से ठगने वाले लोग पहले अखबार में विज्ञापन निकालकर चेहरा पहचानने के लिए कहते हैं। जैसे ही लोग चेहरा पहचान कर विज्ञापन में बताए नंबर पर कॉल या एसएमएस करते हैं। जवाब देने के बाद उधर से बधाई देते हुए फोन आता है कि आपने प्रतियोगिता जीत लिया है। एकाउंट नंबर मांगते हुए प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में कुछ रुपए जमा करने को कहा जाता है। डीबी स्टार को इस संबंध में कई शिकायतें मिली। टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि चेहरा पहचानो और लाखों के इनाम जीतो जैसे क्विज के जरिए लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। ठगी का यह धंधा विज्ञापन के माध्यम से चल रहा है। प्रतिष्ठित अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर लोगों से इनाम के एवज में बैंक अकाउंट में पैसा जमा करने को कहा जाता है। पैसा मिलते ही ठग अपना मोबाइल बंद कर लेते हैं।

सेलिब्रेटी का सहारा लेकर हो रही ठगी

लोगों को ठगने के लिए विज्ञापन में फिल्मी हीरो और खिलाडिय़ों सहित सेलिब्रेटी की तस्वीर का इस्तेमाल किया जाता है। तस्वीर में जिस सेलिब्रेटी का चेहरा दिखाया जाता है उन्हें स्कूल जाने वाले बच्चे भी आसानी से पहचान सकते हैं। लोग इन्हें पहचानते ही कॉल कर देते हैं। जिसके बाद ठगों को मौका मिल जाता है। इसके बाद उधर से फोन आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यह सिलसिला तब तक रहता है, जब तक लोग ठगी के शिकार नहीं हो जाएं।

प्रतिष्ठित बैंक में होते हैं खाते

ठगी में उपयोग किया जाने वाला एकाउंट नंबर प्रतिष्ठित बैंकों में होते हैं। ऐसे बैंकों में लोगों का भरोसा होता है। जिसके कारण लोग धोखा खा जाते हैं। हालांकि, बैंक में खाता खोलने के लिए एड्रेस प्रूफ, आईडी पूफ्र, पैन नंबर आदि कई महत्वपूर्ण दस्तावेज की जरूरत होती है। अब सवाल यह है कि बैंकों में खाता खोलने की कड़ी प्रक्रिया के बाद भी आसानी से ठगी कैसे हो रही है? इससे साफ है कि ठगी के धंधे में जुड़े लोग काफी चालाक होते हैं। जो बैंकों को भी धोखे में रखकर अपना एकाउंट खोल ले रहे हैं।

थाना नहीं पहुंचते हैं मामले

इस तरह ठगी के शिकार हुए लोग शर्म के कारण किसी को कुछ नहीं बता पाते। इस कारण ऐसे मामले थाना भी नहीं पहुंचते हैं। जिसका फायदा उठाकर ठग बड़ी आसानी से इस धंधे को चला रहे हैं। ठगी के शिकार सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लोग हो रहे हैं। प्रशासन के अनुसार इस तरह की ठगी जागरूकता की कमी के कारण हो रही है। इससे बचने के लिए लोगों को जागरूक होना ही पड़ेगा।

टीवी चैनलों में भी होता है विज्ञापन का प्रचार

अखबारों के अलावा चैनलों में इस तरह के विज्ञापन खूब नजर आते हैं। जिसके कारण कई लोग चैनलों में दिखने वाले प्रचार के कारण ठगी का शिकार हो जाते हैं। इस संबंध में डोरंडा निवासी सुनील कुमार का कहना है कि चैनलों में इन दिनों इस तरह के विज्ञापन खूब आ रहे हैं। इसमें जो सेलिब्रेटी का फोटो होता है, वह साफ पता चलता है। इनाम जीतने के चक्कर में लोग फंसते हैं। हालांकि, विज्ञापन में यह बताया जाता है इसके लिए चैनल की कोई जवाबदेही नहीं है। इसकी जांच खुद कर लें। लेकिन, यह चेतावनी इतने छोटे अक्षरों में लिखी होती है कि दर्शक इसको देख ही नहीं पाते। नतीजा वह चैनल पर भरोसा करते हुए उस विज्ञापन पर भी भरोसा कर लेते हैं। जिसके कारण बाद में ठगी के शिकार हो जाते हैं।


मोबाइल स्विच ऑफ हो गया

कांटा टोली निवासी तब्बू मल्लिक ने बताया कि उसने अखबार में विज्ञापन देखकर बताए गए नंबर पर फोन किया। पांच लाख रुपए इनाम जीतने की बात कहकर एकाउंट में 10 हजार रुपए डालने के लिए कहा गया। तब्बू का कहना है कि उन्होंने फोन करने वाले को कहा कि आप 10 हजार काटकर बाकी पैसा दे दीजिए। इस पर उक्त व्यक्ति ने कहा कि कंपनी का नियम है कि प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में आपको पहले पैसा जमा करना होगा। इसके बाद ही कंपनी आपके एकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर सकती है। इसके बाद तब्बू ने 10 हजार रुपए बताए गए एकाउंट में डाल दिया। पैसा तो मिला नहीं उक्त मोबाइल पर भी दोबारा बात नहीं हुई।

तीन दिनों तक फोन आता रहा

मेन रोड निवासी राजू गद्दी को भी इनाम के रूप में दो लाख रुपए जीतने की बात कही गई। पैसा देने के एवज में अपने एकाउंट में 20 हजार डालने की बात कही गई। राजू ने पैसा डालने से इनकार कर दिया। इसके बाद लगातार तीन दिनों तक फोन करके समझाने की कोशिश की गई। किसी तरह से एक हजार रुपए जमा करने को कहा गया। राजू को फोन करने वाले ने कहा कि देखिए हम लोग गलत नहीं हैं। अगर गलत होते तो अखबारों में विज्ञापन और अपना मोबाइल नंबर प्रकाशित नहीं करते। राजू का कहना है कि उसने न चाहते हुए भी एक हजार रुपए डाल दिया। इसके बाद उस नंबर पर फिर संपर्क नहीं हुआ।

थाने में नहीं दी सूचना

राजधानी के मन्नपुर गांव निवासी हलीम अंसारी ने एक अखबार में छपे चेहरा पहचाने विज्ञापन में दिए गए नंबर पर फोन करके जवाब बताया। 10 लाख रुपए इनाम जीतने की बात कह उनसे एकाउंट नंबर मांगा गया। इनाम की राशि देने के एवज में पहले अपने में 12 हजार रुपए डालने की बात कही गई। हलीम ने इतना पैसा जमा करने से मना किया, तो छह हजार रुपए डालने को कहा गया। पैसा डालने पर कहा कि इतना पैसा आपके एकाउंट में लेने से मैनेजर इनकार कर रहा है। 4500 रुपए मैनेजर को अलग से देना होगा। पैसा देने से इनकार करने पर वह मोबाइल नंबर बंद हो गया। हलीम का कहना है कि शर्म के कारण थाना को इसकी सूचना नहीं दे सके।

पहले 51 हजार फिर 51 सौ मांगा

पिठौरिया कोकदोरो निवासी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि उसे इनाम के रूप में बोलेरो जीतने की जानकारी दी गई। इसके एवज में 51 हजार रुपए फोन करने वाले ने अपने एकाउंट में डालकर टाटा आने को कहा। कहा कि यहां गाड़ी दे दिया जाएगा। धर्मेंद्र ने राशि जमा करने से इनकार किया, तो तोल-मोल करते हुए 5100 रुपए में बात आकर रुकी। उक्त राशि स्टेट बैंक के एकाउंट में डालकर सूचना दी की वह टाटा आ रहा है। उसे टाटा रेलवे स्टेशन के पास आने को कहा गया। लेकिन, जब टाटा पहुंचकर उसने उक्त नंबर पर फोन किया तो वह स्विच ऑफ हो गया। दिन भर मोबाइल ऑन होने के इंतजार में वह टाटा में ही रह गया। शाम में यह एहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हो गई।


जागरूकता की कमी से ठगी

"जागरूकता की कमी के कारण ही लोग ठगी का शिकार होते हैं। इनाम के लालच में लोग बिना जांच पड़ताल किए ही पैसा दूसरे के एकाउंट में डाल देते हैं। लोगों को यह सोचना चाहिए जो कंपनी आपको इनाम में 10 लाख रुपए देने की बात कहती है, वह आपसे 20 हजार रुपए क्यों मांगेगी। ठगी के शिकार शर्म से किसी को नहीं बताते। यही कारण है कि इस तरह के मामले होने के बावजूद थाना नहीं पहुंचते हैं। इससे बचने का एकमात्र उपाय जागरूकता ही है। लोग जागरूक हो जाएं तो यह मामला बंद हो जाएगा।" - अनुराग गुप्ता, आईजी, साइबर क्राइम

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