अमेरिका का फेडरल सिस्टम जितना जटिल है, उतनी ही जटिल वहां राष्ट्रपति
चुनाव की प्रक्रिया है। हर चार साल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की
प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव प्रत्यक्ष और
परोक्ष चुनाव प्रणाली के मिश्रण का एक बेहतरीन उदाहरण है।
वहां आम नागरिकों की चुनाव में सीधी भागीदारी होने के बावजूद सिस्टम ऐसा है कि अंतिम चुनाव कुछ चुनिंदा लोगों के मतों से ही होता है, जिसे इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है। नि:संदेह चुनाव में भारी धन खर्च होता है, लेकिन भारत के विपरीत अच्छी बात यह है कि पूरे चुनावी खर्च में पारदर्शिता होती है।
वहां आम नागरिकों की चुनाव में सीधी भागीदारी होने के बावजूद सिस्टम ऐसा है कि अंतिम चुनाव कुछ चुनिंदा लोगों के मतों से ही होता है, जिसे इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है। नि:संदेह चुनाव में भारी धन खर्च होता है, लेकिन भारत के विपरीत अच्छी बात यह है कि पूरे चुनावी खर्च में पारदर्शिता होती है।
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