लंदन. लंदन ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज़ों का अभी तक का अनुभव
बहुत अच्छा नहीं रहा है। सुमित सांगवान, विकास कृष्ण और मनोज कुमार के
मैचों के फै़सलों को लेकर काफी विवाद हुआ। विजेंदर के मुक़ाबले पर भी कुछ
लोगों ने सवाल उठाए। भारतीय खेल प्रेमियों को लग रहा है कि इन मुक्केबाज़ों
के साथ भेदभाव हुआ है तो क्या मेरीकॉम के साथ भी ऐसा हो सकता है।
मुक्केबाज़ी में फ़िलहाल सिर्फ मेरीकॉम ने एक पदक पक्का किया है। आज होने वाले मैच में अगर मेरी जीत जाती हैं तो उनका रजत पदक पक्का हो जाएगा, लेकिन सोशल मीडिया में कई लोग आशंका जता रहे हैं कि कहीं मेरीकॉम को भी ख़राब फैसले का शिकार न होना पड़े।
ट्विटर पर @kiranks कहते हैं कि चार मुक्केबाज़ों को ख़राब फैसले झेलने पड़े हैं, तो मेरी के साथ भी क्या ऐसा हो सकता है। आखिर वे ब्रितानी खिलाड़ी के साथ खेल रही है। मेरीकॉम के साथ खराब फैसले पहले भी हो चुके हैं। बीजिंग एशियाड में रे कैनकैन के साथ मुकाबले के दौरान मेरीकॉम खराब रेफरल की शिकायत भी कर चुकी हैं।
बीजिंग एशियाड के दौरान बीबीसी संवाददाता मुकेश शर्मा से बातचीत करते हुए मेरी ने कहा था कि उनकी प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें नीचे झुकाकर दबाने की कोशिश की थी जो फाउल दिया जाना चाहिए था। यह मुकाबला रेन कैनकैन के साथ था जो चीनी खिलाड़ी थीं, यानी स्थानीय मुक्केबाज़। उसी दिन भारत के एक और मुक्केबाज़ सुरॉन्जय सिंह के साथ भी रेफरियों के भेदभाव की बात सामने आई थी।
बुधवार को भी मेरी का मुकाबला स्थानीय मुक्केबाज़ निकोला एडम्सके साथ है।
कड़ी प्रतिक्रिया
जब हमने ये सवाल फेसबुक के बीबीसी पन्ने पर रखा तो लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी। सुरेंदर शुक्ला का कहना था कि भारत को कड़ी प्रतिक्रिया करनी चाहिए थी। वे कहते हैं, "यदि ऐसा पुनः होता है तो भारत को ओलिंपिक का बहिष्कार कर देना चाहिए, हम ओलिंपिक में इसलिए जाते है कि वहां हमारी मेहनत का इनाम मिलेगा। यदि ऐसा कुछ देशों के इशारों पर होगा तो यह सहने योग्य नहीं है।"
उधर कवि केशव कहते हैं कि भारत को विरोध पुरज़ोर तरीके से करना चाहिए। महेश शुक्ला का कहना था कि ऐसा तो पहले से ही हो रहा है, लेकिन यहाँ भारत हावी है तो हम सभी को इस बात का आज कुछ ज्यादा ही कष्ट हो रहा है। लोगों की इस तरह की प्रतिक्रिया देखते हुए लंदन में मौजूद हमारे बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी नेअपनी टिप्पणी दी। पंकज उन पत्रकारों में से हैं जिन्होंने क्वार्टर फाइनल मैच के बाद भी मैरी का इंटरव्यू किया था और वे सभी मुक्केबाज़ों के मैच देख चुके हैं।
उनका कहना था, "लंदन में सुमित, मनोज, विकास और विजेंदर के फैसलों को लेकर आवाज़ उठी है लेकिन भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन फैसलों से संतुष्ट है। विकास के मामले में गुस्सा थोड़ा अधिक था क्योंकि विकास को पहले जीता हुआ करार दिया गया। फेडरेशन ने अपील की बात कही थी, लेकिन फिर अपील नहीं की गई। मेरी कुछ लोगों से बात हुई है भारतीय पक्ष में उनका कहना है कि ज्यूरी के फैसले इतने खराब नहीं है कि विरोध किया जाए और बार-बार विरोध करना भी ठीक नहीं है।"
तो क्या मैरीकॉम के लिए डगर कठिन होगी। पंकज कहते हैं, "जहां तक मेरीकॉम का सवाल है तो मुझे नहीं लगता कि कोई ग़लत फैसला होगा। यह ज़रुर है कि निकोला एडम्स स्थानीय मुक्केबाज़ हैं और उनको समर्थन रहेगा, लेकिन मैं यह बता दूं कि लंदन में मेरीकॉम को काफी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने यहीं अपनी ट्रेनिंग भी की है। कई अन्य देशों के दर्शक भी मेरी को समर्थन देते रहे हैं तो समर्थन के स्तर पर दोनों मुक्केबाज बराबरी पर होंगे। निकोला पहले भी मेरीकॉम को दो बार हरा चुकी हैं, लेकिन अब मेरी की तैयारी ज़बर्दस्त है और वे पूरे फॉर्म में हैं। आपको बता दूं कि मेरी ने लंबे लड़कों के साथ प्रैक्टिस की है ताकि वे प्रतिद्वंद्वी को लंबाई का फायदा न उठाने दें। तो मेरे हिसाब से ज़ोरदार मैच होगा और मेरी को किसी ग़लत फैसले का शिकार होना नहीं पड़ेगा।"
उधर जाने-माने बॉक्सिंग कोच ओपी भारद्वाज से का कहना है कि मेरीकॉम निकोला एडम्स से जीत सकती हैं बशर्ते वो अपने अनुभव का इस्तेमाल करें। भारद्वाज कहते हैं, "मेरी कॉम का जो कद है उसके हिसाब से उन्हें दूर से खेलना होगा, लंबे पंच लगाने होंगे और जवाबी हमले पर ज्यादा ध्यान देना होगा। मैच में वे कितना फुर्ती दिखाती हैं वो तय करेगा कि मेरी कॉम सफल हो पाती हैं या नहीं।" यानी चिंता की कोई बात नहीं है और रेफरी के फैसलों से अलग हट कर सभी को मेरीकॉम के प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनकी प्रतिद्वंद्वी निकोला एडम्स भी कम खतरनाक नहीं है।
मुक्केबाज़ी में फ़िलहाल सिर्फ मेरीकॉम ने एक पदक पक्का किया है। आज होने वाले मैच में अगर मेरी जीत जाती हैं तो उनका रजत पदक पक्का हो जाएगा, लेकिन सोशल मीडिया में कई लोग आशंका जता रहे हैं कि कहीं मेरीकॉम को भी ख़राब फैसले का शिकार न होना पड़े।
ट्विटर पर @kiranks कहते हैं कि चार मुक्केबाज़ों को ख़राब फैसले झेलने पड़े हैं, तो मेरी के साथ भी क्या ऐसा हो सकता है। आखिर वे ब्रितानी खिलाड़ी के साथ खेल रही है। मेरीकॉम के साथ खराब फैसले पहले भी हो चुके हैं। बीजिंग एशियाड में रे कैनकैन के साथ मुकाबले के दौरान मेरीकॉम खराब रेफरल की शिकायत भी कर चुकी हैं।
बीजिंग एशियाड के दौरान बीबीसी संवाददाता मुकेश शर्मा से बातचीत करते हुए मेरी ने कहा था कि उनकी प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें नीचे झुकाकर दबाने की कोशिश की थी जो फाउल दिया जाना चाहिए था। यह मुकाबला रेन कैनकैन के साथ था जो चीनी खिलाड़ी थीं, यानी स्थानीय मुक्केबाज़। उसी दिन भारत के एक और मुक्केबाज़ सुरॉन्जय सिंह के साथ भी रेफरियों के भेदभाव की बात सामने आई थी।
बुधवार को भी मेरी का मुकाबला स्थानीय मुक्केबाज़ निकोला एडम्सके साथ है।
कड़ी प्रतिक्रिया
जब हमने ये सवाल फेसबुक के बीबीसी पन्ने पर रखा तो लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी। सुरेंदर शुक्ला का कहना था कि भारत को कड़ी प्रतिक्रिया करनी चाहिए थी। वे कहते हैं, "यदि ऐसा पुनः होता है तो भारत को ओलिंपिक का बहिष्कार कर देना चाहिए, हम ओलिंपिक में इसलिए जाते है कि वहां हमारी मेहनत का इनाम मिलेगा। यदि ऐसा कुछ देशों के इशारों पर होगा तो यह सहने योग्य नहीं है।"
उधर कवि केशव कहते हैं कि भारत को विरोध पुरज़ोर तरीके से करना चाहिए। महेश शुक्ला का कहना था कि ऐसा तो पहले से ही हो रहा है, लेकिन यहाँ भारत हावी है तो हम सभी को इस बात का आज कुछ ज्यादा ही कष्ट हो रहा है। लोगों की इस तरह की प्रतिक्रिया देखते हुए लंदन में मौजूद हमारे बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी नेअपनी टिप्पणी दी। पंकज उन पत्रकारों में से हैं जिन्होंने क्वार्टर फाइनल मैच के बाद भी मैरी का इंटरव्यू किया था और वे सभी मुक्केबाज़ों के मैच देख चुके हैं।
उनका कहना था, "लंदन में सुमित, मनोज, विकास और विजेंदर के फैसलों को लेकर आवाज़ उठी है लेकिन भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन फैसलों से संतुष्ट है। विकास के मामले में गुस्सा थोड़ा अधिक था क्योंकि विकास को पहले जीता हुआ करार दिया गया। फेडरेशन ने अपील की बात कही थी, लेकिन फिर अपील नहीं की गई। मेरी कुछ लोगों से बात हुई है भारतीय पक्ष में उनका कहना है कि ज्यूरी के फैसले इतने खराब नहीं है कि विरोध किया जाए और बार-बार विरोध करना भी ठीक नहीं है।"
तो क्या मैरीकॉम के लिए डगर कठिन होगी। पंकज कहते हैं, "जहां तक मेरीकॉम का सवाल है तो मुझे नहीं लगता कि कोई ग़लत फैसला होगा। यह ज़रुर है कि निकोला एडम्स स्थानीय मुक्केबाज़ हैं और उनको समर्थन रहेगा, लेकिन मैं यह बता दूं कि लंदन में मेरीकॉम को काफी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने यहीं अपनी ट्रेनिंग भी की है। कई अन्य देशों के दर्शक भी मेरी को समर्थन देते रहे हैं तो समर्थन के स्तर पर दोनों मुक्केबाज बराबरी पर होंगे। निकोला पहले भी मेरीकॉम को दो बार हरा चुकी हैं, लेकिन अब मेरी की तैयारी ज़बर्दस्त है और वे पूरे फॉर्म में हैं। आपको बता दूं कि मेरी ने लंबे लड़कों के साथ प्रैक्टिस की है ताकि वे प्रतिद्वंद्वी को लंबाई का फायदा न उठाने दें। तो मेरे हिसाब से ज़ोरदार मैच होगा और मेरी को किसी ग़लत फैसले का शिकार होना नहीं पड़ेगा।"
उधर जाने-माने बॉक्सिंग कोच ओपी भारद्वाज से का कहना है कि मेरीकॉम निकोला एडम्स से जीत सकती हैं बशर्ते वो अपने अनुभव का इस्तेमाल करें। भारद्वाज कहते हैं, "मेरी कॉम का जो कद है उसके हिसाब से उन्हें दूर से खेलना होगा, लंबे पंच लगाने होंगे और जवाबी हमले पर ज्यादा ध्यान देना होगा। मैच में वे कितना फुर्ती दिखाती हैं वो तय करेगा कि मेरी कॉम सफल हो पाती हैं या नहीं।" यानी चिंता की कोई बात नहीं है और रेफरी के फैसलों से अलग हट कर सभी को मेरीकॉम के प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनकी प्रतिद्वंद्वी निकोला एडम्स भी कम खतरनाक नहीं है।
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