रविवार
को सलमान खान और कैटरीना कैफ डीबी स्टार के गेस्ट एडिटर बने दोनों ने इस
दौरान कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा की।इस दौरान कैटरीना ने पहली बार अपनी
फैमिली और कल्चर के बारे में बातें साझा की..
क्या आप हिंदी पढ़ लेती हैं?
जी बिल्कुल, मैंने हिंदी बोलने से पहले पढ़ना सीखा है।आज भी मैं अपनी स्क्रिप्ट रोमन हिंदी में नहीं, बल्कि प्रॉपर हिंदी में ही पढ़ती हूं। आप चाहें तो मैं आपको अखबार की लाइनें भी पढ़कर सुना सकती हूं।
आप एक दूसरे कल्चर से आई हैं। आपको यहां के और अपने वहां के कल्चर में क्या अंतर महसूस होता है?
मेरी पैदाइश हॉन्गकॉन्ग में हुई, परवरिश ब्रिटेन में और अब मैं काफी वक्त से इंडिया में रह रही हूं। मेरा मानना है कि किसी जगह रहने से ही आप उस कल्चर के नहीं हो जाते,बल्कि मां-बाप आपकी किस तरह की परवरिश करते हैं,
उस पर आपका कल्चर डिपेंड करता है। मैं बिलीव करती हूं कि मेरा कल्चर वही है, जो मेरे पेरेंट्स ने मुझे सिखाया है और मैं उसी को फॉलो करती हूं।
जब भी ईव टीजिंग की बात होती है तो सबसे पहले लड़कियों के कपड़ों पर बात आती है। आप इससे कितनी सहमत हैं?
मुझे नहीं लगता कि ईव टीजिंग का लड़कियों के कपड़ों से कोई लेना-देना है। अगर ऐसा होता तो वे लड़कियां या महिलाएं कभी छेड़छाड़ का शिकार नहीं बनतीं, जो सलवार-कमीज या साड़ी पहनती हैं। यह पूरी तरह मेल मेंटेलिटी पर निर्भर करता है।
आपकी मां सोशल सर्विस से जुड़ी हुई हैं?
जी हां, वे ऐसे बच्चों की परवरिश करती हैं, जिन्हें लोग कचरे के ढेर में फेंक कर चले जाते हैं। फिलहाल वे मदुरैई में ऐसे 65 बच्चों की देखभाल कर रही हैं। जल्द ही वहां इन बच्चों के लिए स्कूल खोलने का विचार भी है।
क्या आप हिंदी पढ़ लेती हैं?
जी बिल्कुल, मैंने हिंदी बोलने से पहले पढ़ना सीखा है।आज भी मैं अपनी स्क्रिप्ट रोमन हिंदी में नहीं, बल्कि प्रॉपर हिंदी में ही पढ़ती हूं। आप चाहें तो मैं आपको अखबार की लाइनें भी पढ़कर सुना सकती हूं।
आप एक दूसरे कल्चर से आई हैं। आपको यहां के और अपने वहां के कल्चर में क्या अंतर महसूस होता है?
मेरी पैदाइश हॉन्गकॉन्ग में हुई, परवरिश ब्रिटेन में और अब मैं काफी वक्त से इंडिया में रह रही हूं। मेरा मानना है कि किसी जगह रहने से ही आप उस कल्चर के नहीं हो जाते,बल्कि मां-बाप आपकी किस तरह की परवरिश करते हैं,
उस पर आपका कल्चर डिपेंड करता है। मैं बिलीव करती हूं कि मेरा कल्चर वही है, जो मेरे पेरेंट्स ने मुझे सिखाया है और मैं उसी को फॉलो करती हूं।
जब भी ईव टीजिंग की बात होती है तो सबसे पहले लड़कियों के कपड़ों पर बात आती है। आप इससे कितनी सहमत हैं?
मुझे नहीं लगता कि ईव टीजिंग का लड़कियों के कपड़ों से कोई लेना-देना है। अगर ऐसा होता तो वे लड़कियां या महिलाएं कभी छेड़छाड़ का शिकार नहीं बनतीं, जो सलवार-कमीज या साड़ी पहनती हैं। यह पूरी तरह मेल मेंटेलिटी पर निर्भर करता है।
आपकी मां सोशल सर्विस से जुड़ी हुई हैं?
जी हां, वे ऐसे बच्चों की परवरिश करती हैं, जिन्हें लोग कचरे के ढेर में फेंक कर चले जाते हैं। फिलहाल वे मदुरैई में ऐसे 65 बच्चों की देखभाल कर रही हैं। जल्द ही वहां इन बच्चों के लिए स्कूल खोलने का विचार भी है।
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