Tuesday, August 7, 2012

मेडल जीत कर भी मायूस है ये चैंपियन, यूं निकाल रहा है भड़ास

लंदन. लंदन ओलिंपिक की 25 मीटर रैपिड फायर शूटिंग स्पर्धा में देश को रजत पदक दिलाने वाले भारतीय निशानेबाज सूबेदार विजय कुमार को इस बात का दु:ख है कि उनके बारे में देशवासी ज्यादा नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा, "मैंने अब तक 45 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं फिर भी मीडिया ने मुझे ज्यादा तवज्जो नहीं दी।"

विजय ने यहां संवाददाताओं से कहा 'भारत से मेरे पास फोन आ रहे हैं। लोग मुझे छुपा रुस्तम बता रहे हैं। वे मेरे बारे में जानना चाहते हैं, पूछते हैं। यह सब देखकर मुझे कुछ बुरा भी लगता है लेकिन अब यह मेरी जिंदगी का हिस्सा है।'

26 वर्षीय विजय ने कहा, "मैं अपनी स्पर्धा में 2004 से अब तक राष्ट्रीय चैंपियन हूं। मैंने मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में नए रिकॉर्ड के साथ दो स्वर्ण जीते। फिर दोहा एशियाड में एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज, चीन में विश्व चैंपियनशिप में एक सिल्वर, दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में तीन गोल्ड और एक सिल्वर और ग्वांगझू एशियाड में दो कांस्य पदक जीते। फिर भी लंदन में मेरा पदक जीतना किसी को अचंभे में डालता है तो मैं कुछ नहीं कर सकता हूं।"

उन्होंने कहा, "मैं भी इंसान हूं। यह कहना झूठ होगा कि मैं मीडिया की बेरूखी से आहत नहीं होता हूं, लेकिन सच कहूं तो यही मेरे लिए वरदान साबित हुआ है। लाइमलाइट में नहीं होने से मैं अपने इवेंट पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर सका और अब परिणाम आप सबके सामने है।"

उन्होंने कहा, "यह मेरा काम नहीं है कि मैं हर किसी को अपनी सफलताएं गिनाऊं और उपलब्धियों के बारे में बताऊं। मैं सैनिक हूं। कोई जनसंपर्ककर्मी नहीं। मैं लंदन में भी पदक को पक्का मानकर नहीं आया था, लेकिन बाकी खिलाड़ियों की ही तरह हमेशा चाहता था कि जीतूं। मैंने किसी से अपनी भावनाएं साझा नहीं की बल्कि खेल पर ध्यान दिया।"

अपनी पृष्ठभूमि के बारे में विजय ने कहा, "मैं 2001 में सेना में शामिल हुआ और 2003 में अधिकारियों को लगा कि मैं अच्छे निशाने लगा रहा हूं तो उन्होंने मुझे खेलों में आने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं 2004 में राष्ट्रीय चैंपियन बना और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बहुत अच्छा लगेगा जब भारत में और भी पदक विजेता पैदा होंगे।"

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