जयपुर.राजस्थान यूनिवर्सिटी में सोमवार को छात्रसंघ चुनाव के लिए
नामांकन दाखिल किए गए। इसके बाद शुरू हुआ यूनिवर्सिटी कैंपस से सड़कों तक
छात्रों का शक्ति प्रदर्शन। छात्रनेता (इनमें छात्राएं भी कहीं पीछे न थीं)
15-20 वाहनों के काफिले के साथ सड़कों पर निकले। हर वाहन ओवर-क्राउड।
छात्र गुटों का खुला हंगामा। इसी बीच छात्रों में झड़पें हुईं। हालिया छात्रसंघ महासचिव अमित शर्मा का सिर फूट गया। वे खून में सन गए। उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद हुड़दंग बढ़ गया। उपद्रवी छात्रों ने बापू नगर (जनता स्टोर) पर खड़ी कई कारों में तोड़फोड़ की। पुलिस जवान लाठियां फटकारते छात्रों के पीछे दौड़ते रहे। ये भागमभाग शाम तक चलती रही।
मारपीट की वजह..
बागी का समर्थन
अमित शर्मा और उनके समर्थकों ने पूर्व महासचिव नरेश मीणा के साथियों पर झगड़ा करने और हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस आशय की रिपोर्ट गांधी नगर थाने में दर्ज कराई। अमित शर्मा अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के बागी निर्दलीय प्रत्याशी संग्राम सिंह शेखावत और महासचिव धर्मवीर शर्मा के समर्थक हैं। मारपीट की यही वजह बताई जा रही है। उधर, एबीवीपी से अध्यक्ष के प्रत्याशी राजेश मीणा का कहना है कि मारपीट की घटना से उनका और नरेश मीणा का कोई लेना-देना नहीं है।
आचार संहिता का उल्लंघन?
एबीवीपी, एनएसयूआई और लगभग सभी निर्दलीय प्रत्याशी रैली के रूप में नामांकन दाखिल करने पहुंचे। पर्चा दाखिल करने के बाद इन छात्रनेताओं ने समर्थकों के साथ परिसर में रैलियां निकालीं। इसके बाद सड़कों पर भी रैलियां करके जेएलएन जाम कर दिया।
यहां जाम लगने पर ट्रैफिक टोंक रोड पर डायवर्ट हुआ..नतीजा, वहां भी ट्रैफिक फंस गया। खासकर ट्रैफिक सिग्नलों पर काफी समय और ईंधन बर्बाद हुआ। शिक्षक कहते रहे- यह आचार संहिता का उल्लंघन है। डीएसडब्ल्यू प्रो.आर.वी सिंह का कहना है कि एक-दो छात्रनेताओं के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत आई है। शेष प्रत्याशियों ने पैदल प्रचार किया था।
इससे रोक ही अच्छी
छात्रों में डेमोक्रेटिक वातावरण पैदा करना, छात्रों के लिए एक्टिविटीज कराना, छात्रों की समस्याओं का समाधान कराना। यह छात्रसंघ चुनाव के मायने थे। अब यह जातिगत चुनाव में बदल रहा है। राजनीतिक पार्टियां और संगठनों ने माहौल खराब कर दिया है। भविष्य की राजनीति के लिए अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगे तो कोई हर्ज नहीं है।
एडवोकेट विमल चौधरी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष (1973-74 कार्यकाल)
नामांकन वापसी आज
डीएसडब्ल्यू प्रो.आर.वी.सिंह के अनुसार आवेदन संबंधी आपत्तियां मंगलवार सुबह 3 बजे से सुबह 11 बजे तक स्वीकार की जाएंगी। मंगलवार सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक नामांकन वापस लेने का समय रहेगा।
प्रवेश-पत्र से ही प्रवेश : जिन छात्रों ने परिचय पत्र नहीं लिए हैं। वे मंगलवार तक परिचय-पत्र फीस की रसीद या पहचान-पत्र दिखाकर ले सकते हैं। बिना परिचय पत्र के यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
बाहर हमारा क्षेत्राधिकार नहीं: डीएसडब्ल्यू प्रो. आर.वी.सिंह से भास्कर की बातचीत
क्या इन रैलियों से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ?
यूनिवर्सिटी परिसर में वाहन रैली नहीं निकली है। छात्रनेता खुद के समर्थकों के साथ नामांकन भरने पहुंचे थे। ऐसे में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। हां दो प्रत्याशियों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत है, जिस पर कार्रवाई हो रही है।
आचार संहिता के मामले में अब तक क्या किया?
जिनके खिलाफ शिकायतें आई थीं, उन्हें नोटिस दिए हैं। ज्यादातर ने जवाब दे दिए हैं। चुनाव से वंचित करने जैसा अपराध किसी का नहीं है। चुनाव में
पांच हजार रुपए की सीमा तो छात्र कब की लांघ चुके हैं?
हां लगभग सभी प्रत्याशी यह सीमा लांघ जाते हैं। यूनिवर्सिटी और संघटक कॉलेज में हमारा क्षेत्राधिकार है। हमारे लिए आसान नहीं है कि चुनावी खर्चे का पोस्टमार्टम करके प्रत्याशी को कटघरे में खड़ा कर सकें।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज में 41 पर्चे
मेडिकल कॉलेज में 41 प्रत्याशियों ने पर्चे दाखिल किए। अध्यक्ष के लिए 5, उपाध्यक्ष 7, महासचिव 9, संयुक्त सचिव 7, साहित्य व सांस्कृतिक सचिव 2-2, खेल सचिव 6, गर्ल्स प्रतिनिधि 1 एवं 3 कक्षा प्रतिनिधि के पर्चे मिले। मंगलवार सुबह 10 से 1 बजे तक नाम वापस लिए जा सकते हैं।
छात्र गुटों का खुला हंगामा। इसी बीच छात्रों में झड़पें हुईं। हालिया छात्रसंघ महासचिव अमित शर्मा का सिर फूट गया। वे खून में सन गए। उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद हुड़दंग बढ़ गया। उपद्रवी छात्रों ने बापू नगर (जनता स्टोर) पर खड़ी कई कारों में तोड़फोड़ की। पुलिस जवान लाठियां फटकारते छात्रों के पीछे दौड़ते रहे। ये भागमभाग शाम तक चलती रही।
मारपीट की वजह..
बागी का समर्थन
अमित शर्मा और उनके समर्थकों ने पूर्व महासचिव नरेश मीणा के साथियों पर झगड़ा करने और हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस आशय की रिपोर्ट गांधी नगर थाने में दर्ज कराई। अमित शर्मा अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के बागी निर्दलीय प्रत्याशी संग्राम सिंह शेखावत और महासचिव धर्मवीर शर्मा के समर्थक हैं। मारपीट की यही वजह बताई जा रही है। उधर, एबीवीपी से अध्यक्ष के प्रत्याशी राजेश मीणा का कहना है कि मारपीट की घटना से उनका और नरेश मीणा का कोई लेना-देना नहीं है।
आचार संहिता का उल्लंघन?
एबीवीपी, एनएसयूआई और लगभग सभी निर्दलीय प्रत्याशी रैली के रूप में नामांकन दाखिल करने पहुंचे। पर्चा दाखिल करने के बाद इन छात्रनेताओं ने समर्थकों के साथ परिसर में रैलियां निकालीं। इसके बाद सड़कों पर भी रैलियां करके जेएलएन जाम कर दिया।
यहां जाम लगने पर ट्रैफिक टोंक रोड पर डायवर्ट हुआ..नतीजा, वहां भी ट्रैफिक फंस गया। खासकर ट्रैफिक सिग्नलों पर काफी समय और ईंधन बर्बाद हुआ। शिक्षक कहते रहे- यह आचार संहिता का उल्लंघन है। डीएसडब्ल्यू प्रो.आर.वी सिंह का कहना है कि एक-दो छात्रनेताओं के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत आई है। शेष प्रत्याशियों ने पैदल प्रचार किया था।
इससे रोक ही अच्छी
छात्रों में डेमोक्रेटिक वातावरण पैदा करना, छात्रों के लिए एक्टिविटीज कराना, छात्रों की समस्याओं का समाधान कराना। यह छात्रसंघ चुनाव के मायने थे। अब यह जातिगत चुनाव में बदल रहा है। राजनीतिक पार्टियां और संगठनों ने माहौल खराब कर दिया है। भविष्य की राजनीति के लिए अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगे तो कोई हर्ज नहीं है।
एडवोकेट विमल चौधरी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष (1973-74 कार्यकाल)
नामांकन वापसी आज
डीएसडब्ल्यू प्रो.आर.वी.सिंह के अनुसार आवेदन संबंधी आपत्तियां मंगलवार सुबह 3 बजे से सुबह 11 बजे तक स्वीकार की जाएंगी। मंगलवार सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक नामांकन वापस लेने का समय रहेगा।
प्रवेश-पत्र से ही प्रवेश : जिन छात्रों ने परिचय पत्र नहीं लिए हैं। वे मंगलवार तक परिचय-पत्र फीस की रसीद या पहचान-पत्र दिखाकर ले सकते हैं। बिना परिचय पत्र के यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
बाहर हमारा क्षेत्राधिकार नहीं: डीएसडब्ल्यू प्रो. आर.वी.सिंह से भास्कर की बातचीत
क्या इन रैलियों से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ?
यूनिवर्सिटी परिसर में वाहन रैली नहीं निकली है। छात्रनेता खुद के समर्थकों के साथ नामांकन भरने पहुंचे थे। ऐसे में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। हां दो प्रत्याशियों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत है, जिस पर कार्रवाई हो रही है।
आचार संहिता के मामले में अब तक क्या किया?
जिनके खिलाफ शिकायतें आई थीं, उन्हें नोटिस दिए हैं। ज्यादातर ने जवाब दे दिए हैं। चुनाव से वंचित करने जैसा अपराध किसी का नहीं है। चुनाव में
पांच हजार रुपए की सीमा तो छात्र कब की लांघ चुके हैं?
हां लगभग सभी प्रत्याशी यह सीमा लांघ जाते हैं। यूनिवर्सिटी और संघटक कॉलेज में हमारा क्षेत्राधिकार है। हमारे लिए आसान नहीं है कि चुनावी खर्चे का पोस्टमार्टम करके प्रत्याशी को कटघरे में खड़ा कर सकें।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज में 41 पर्चे
मेडिकल कॉलेज में 41 प्रत्याशियों ने पर्चे दाखिल किए। अध्यक्ष के लिए 5, उपाध्यक्ष 7, महासचिव 9, संयुक्त सचिव 7, साहित्य व सांस्कृतिक सचिव 2-2, खेल सचिव 6, गर्ल्स प्रतिनिधि 1 एवं 3 कक्षा प्रतिनिधि के पर्चे मिले। मंगलवार सुबह 10 से 1 बजे तक नाम वापस लिए जा सकते हैं।
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