20 अगस्त 1998 को अमेरिकी नौसेना ने पूर्वी अफगानिस्तान में अलकायदा
संगठन के टेरेरिस्ट कैंप को नष्ट करने और आतंकी ओसामा बिन लादेन को पकडऩे
के लिए कैंप पर अपनी टॉमहॉक मिसाइल से हमला किया। मिसाइल अपनी टॉप स्पीड
550 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अरब महासागर से चली। करीब 1100 मील का यह
सफर तय करने में मिसाइल को दो घंटे लग गए। तब तक ओसामा वहां से जा चुका था।
मिसाइल अपने लक्ष्य पर तकरीबन एक घंटे देरी से पहुंची। सवाल यह है कि अगर अमेरिका टॉमहॉक की जगह भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का इस्तेमाल करता तो क्या ओबामा बच निकलता? बिलकुल नहीं। तब यह मिसाइल महज 40 मिनट में ही ओसामा का काम तमाम कर चुकी होती।
ध्वनि की गति से चलने वाली सुपरसोनिक मिसाइल वैसे तो कुछ और देशों के पास भी है, लेकिन भारत की इस ब्रह्मोस का कोई जवाब नहीं। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तीव्र गति वाली क्रूज मिसाइल है। इसकी गति इतनी तेज है कि एक घंटे में बीजिंग तक निशना साध सकती है। पाकिस्तान का सफर तो यह सेकंडों में तय कर सकती है।
मिसाइल अपने लक्ष्य पर तकरीबन एक घंटे देरी से पहुंची। सवाल यह है कि अगर अमेरिका टॉमहॉक की जगह भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का इस्तेमाल करता तो क्या ओबामा बच निकलता? बिलकुल नहीं। तब यह मिसाइल महज 40 मिनट में ही ओसामा का काम तमाम कर चुकी होती।
ध्वनि की गति से चलने वाली सुपरसोनिक मिसाइल वैसे तो कुछ और देशों के पास भी है, लेकिन भारत की इस ब्रह्मोस का कोई जवाब नहीं। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तीव्र गति वाली क्रूज मिसाइल है। इसकी गति इतनी तेज है कि एक घंटे में बीजिंग तक निशना साध सकती है। पाकिस्तान का सफर तो यह सेकंडों में तय कर सकती है।
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