नई दिल्ली जेनेरिक ड्रग नहीं देने पर डॉक्टर नपेंगे। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की पर्ची की निगरानी के लिए विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया जा चुका है। इससे डॉक्टरों द्वारा मरीजों की पर्ची पर लिखी दवाओं पर नजर रखी जाएगी। हालांकि सॉफ्टवेयर का पहला काम डॉक्टरों द्वारा लिखी ब्रांडेड दवाओं के बदले अस्पताल में उपलब्ध जेनेरिक दवाओं की जानकारी देना है। लेकिन यही सॉफ्टवेयर अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा लिखी जा रही विभिन्न दवाइयों की लिस्ट भी तैयार करेगा। डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए भी इसी लिस्ट की मदद ली जाएगी।
विशेष सॉफ्टवेयर रखेगा नजर
मरीजों को महंगी दवाओं से निजात दिलाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य करने जा रहा है। पिछले एक साल से मंत्रालय डॉक्टरों से मरीजों को जेनेरिक ड्रग ही लिखने का अनुरोध करता रहा है। अब उसने तेवर सख्त कर लिए हैं। कोताही करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। निगरानी के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में एक विशेष सॉफ्टवेयर भी लगाया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एलसी गोयल ने ‘भास्कर’ से बातचीत में कहा, ‘सरकार गरीब मरीजों के लिए सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में कड़ाई की शुरुआत डॉक्टरों से ही की जाएगी। सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को मरीज की पर्ची पर सिर्फ जेनेरिक दवाएं ही लिखने का निर्देश दिया गया है।’
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में फर्क
अतिरिक्त सचिव ने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कैसी कार्रवाई हो, इसके लिए मेडिकल कौंसिल की आचरण समिति से बातचीत हो रही है। दोषी डॉक्टरों को कुछ समय तक प्रैक्टिस से दूर रखने के प्रावधानों पर भी विचार किया जा रहा है। ज्यादातर डॉक्टर मरीजों की पर्ची में जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता के बावजूद ब्रांडेड महंगी दवाएं लिख देते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी मरीज को सिर दर्द और हल्का बुखार हो तो डॉक्टर ‘पैरासिटामॉल’ की जगह ‘क्रोसिन’ या अन्य दवा लिख देते हैं। ‘पैरासिटामॉल’ दवा की एक श्रेणी है, जबकि ‘क्रोसिन’ एक कंपनी विशेष की बनी पैरासिटामॉल दवा है।
विशेष सॉफ्टवेयर रखेगा नजर
मरीजों को महंगी दवाओं से निजात दिलाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य करने जा रहा है। पिछले एक साल से मंत्रालय डॉक्टरों से मरीजों को जेनेरिक ड्रग ही लिखने का अनुरोध करता रहा है। अब उसने तेवर सख्त कर लिए हैं। कोताही करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। निगरानी के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में एक विशेष सॉफ्टवेयर भी लगाया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एलसी गोयल ने ‘भास्कर’ से बातचीत में कहा, ‘सरकार गरीब मरीजों के लिए सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में कड़ाई की शुरुआत डॉक्टरों से ही की जाएगी। सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को मरीज की पर्ची पर सिर्फ जेनेरिक दवाएं ही लिखने का निर्देश दिया गया है।’
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में फर्क
अतिरिक्त सचिव ने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कैसी कार्रवाई हो, इसके लिए मेडिकल कौंसिल की आचरण समिति से बातचीत हो रही है। दोषी डॉक्टरों को कुछ समय तक प्रैक्टिस से दूर रखने के प्रावधानों पर भी विचार किया जा रहा है। ज्यादातर डॉक्टर मरीजों की पर्ची में जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता के बावजूद ब्रांडेड महंगी दवाएं लिख देते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी मरीज को सिर दर्द और हल्का बुखार हो तो डॉक्टर ‘पैरासिटामॉल’ की जगह ‘क्रोसिन’ या अन्य दवा लिख देते हैं। ‘पैरासिटामॉल’ दवा की एक श्रेणी है, जबकि ‘क्रोसिन’ एक कंपनी विशेष की बनी पैरासिटामॉल दवा है।
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