Tuesday, July 5, 2011

अमीर बनना है तो उद्योगपति नहीं किसान बनने की सोचो


जिम रोजर्स की सलाह :-कृषि सेक्टर में दुनिया के सबसे अच्छे जानकारों में से एक निवेश सलाहकार जिम रोजर्स का कहना है कि खाद्य कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। रोजर्स का कहना है कि अगले कुछ दशकों तक कृषि से कमाई आश्चर्यजनक रूप से बढऩे वाली है। किसी भी अन्य उद्योग के मुकाबले यहां तक कि वाल स्ट्रीट के मुकाबले खेती में कमाई बहुत ज्यादा होने वाली है। उनका साफ कहना है कि दुनिया को इस समय बैंकरों की नहीं, किसानों की ज्यादा जरूरत है।


यदि अमीर बनना चाहते हैं तो किसान बनो। भारत में शायद लोग इस सलाह पर विश्वास नहीं करेंगे क्योंकि यहां ज्यादातर किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है। लेकिन वाल स्ट्रीट के जानेमाने नाम, अमेरिका के प्रमुख निवेश सलाहकार और लोकप्रिय लेखक जिम रोजर्स की तो यही सलाह है। वे कहते हैं कि यदि अमीर बनना चाहते हैं तो किसान बनें। इसमें मॉडर्न खेती भी शामिल है जो आधुनिक संसाधनों से शहरों में भी की जा सकती है।
टाइम मैग्जीन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में रोजर्स ने कहा है कि खाद्य कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और कुछ लोग पूछ रहे हैं कि बढ़ोतरी कब तक जारी रहेगी। रोजर्स का कहना है कि अगले कुछ दशकों तक कृषि से कमाई आश्चर्यजनक रूप से बढऩे वाली है। किसी भी अन्य उद्योग के मुकाबले यहां तक कि वाल स्ट्रीट के मुकाबले खेती में कमाई बहुत ज्यादा होने वाली है। उनका साफ कहना है कि दुनिया को इस समय बैंकरों की नहीं, किसानों की ज्यादा जरूरत है। रोजर्स कहते हैं कि दुनिया गंभीर खाद्य संकट में फंस चुकी है और इसका एक ही इलाज है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को खेती में लगाया जाए।
एक समय पर अमेरिका में भी कृषि सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर था। बाद में पुराने कस्बे खाली होते गए और अमेरिकी परिवार इसे छोड़कर आगे बढ़ गए। टेक्नोलॉजी, सर्विस सेक्टर और वित्त सेक्टर 1980 के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आधार बन गए। कृषि पर से ध्यान लगातार हटता गया। लेकिन पिछले कुछ सालों से अमेरिका में धनी मध्यम वर्ग के उभार और बायोफ्यूल के उफान के चलते खेती एक बार फिर कमाई वाला कारोबार बन गया है। ऐसे समय में जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर मात्र 1.9 फीसदी पर टिकी है, कृषि से आय में पिछले साल 27 फीसदी की भारी बढ़ोतरी रही है। वर्ष 2011 में भी इसमें 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की उम्मीद है। रियल्टी की कीमतें इस साल भी गिरने वाली हैं, लेकिन फेडरल रिजर्व का कहना है कि कृषि भूमि की औसत कीमत पिछले छह साल में दोगुनी हो चुकी है। वाल स्ट्रीट पर कृषि भूमि सबसे आकर्षक निवेश साबित हो रही है। हैंकोक एग्रीकल्चरल इन्वेस्टमेंट गु्रप के प्रमुख जेफ कोनराड कहते हैं कि वे कई सालों से ऐसा कर रहे हैं। जब तक लोगों को इस बात का पता चला कि कृषि भूमि में निवेश आकर्षक है, उससे काफी पहले से वे इसमें निवेश कर रहे हैं।
आधुनिक खेती के लिए अब न्यूयॉर्क में भी काफी लोग इच्छुक हो रहे हैं। खेतों से घिरे छोटे से शहर ग्रांड आइलैंड में इन दिनों इस तरह की आधुनिक खेती जोरों पर है। शहर के करीब आधा दर्जन स्थानीय बैंक भी कृषि से कमाई का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। फाइव प्वाइंट्स बैंक के स्थानीय मैनेजर कोल्बी कोलिन्स कहते हैं कि स्थानीय बैंक भी कृषि में निवेश के लिए तैयार बैठे हैं। ग्रांड आईलैंड में आधुनिक कृषि से बढ़ी कमाई से रियल्टी जैसे दूसरे उद्योगों की रफ्तार भी अच्छी रही है। ऐसे में इस शहर की बेरोजगारी दर भी पूरे अमेरिका में दूसरी सबसे कम है।
कृषि सेक्टर में आ रही तेजी के बावजूद अमेरिकी जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी मात्र 1 फीसदी है। कृषि अर्थव्यवस्था से जुड़े टे्रक्टर, खाद, बीज आदि की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है जो रियल्टी के 13 फीसदी योगदान से भी काफी कम है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 70 फीसदी हिस्सेदारी सर्विस सेक्टर की है। जेपीमॉर्गन के एक अधिकारी का कहना है कि यदि अमेरिका तेल खरीदने के बदले मक्का निर्यात करता है तो इसमें घाटा नहीं है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका में कृषि ही रोजगारों की रफ्तार बढ़ा सकती है। आज के अमेरिका की यह स्थिति भारत पर भी काफी हद तक लागू होती है। जीडीपी में कृषि की लगातार घटती और सर्विस सेक्टर की बढ़ती हिस्सेदारी इसे दर्शाती है। लेकिन जिम रोजर्स की यह सलाह भारत के भी काफी काम आ सकती है कि कृषि और आधुनिक कृषि से कमाई के जितने मौके पैदा हो सकते हैं वे काफी मददगार साबित हो सकते है।

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