जोधपुर.उम्मेद
अस्पताल में बच्चा बदलने के मामले की डीएनए रिपोर्ट गुरुवार को मुख्य
महानगर मजिस्ट्रेट मुकेश के सामने पेश की गई। रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि
पूनमकंवर ने ही बेटी को जन्म दिया है। पूनमकंवर के परिजनों ने बेटी
स्वीकार करने की हां भी भर दी। इसके बाद न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के जवाब
के आधार पर अपना निर्णय जारी कर नर्सरी में पल रही नवजात को पूनमकंवर को
सुपुर्द करने के आदेश जारी किए। साथ ही अभिभावकों को इस बात के लिए पाबंद
किया है कि बच्ची के विरुद्ध किसी भी तरह की घरेलू हिंसा, मौखिक व
भावनात्मक हिंसा नहीं करेंगे।
अस्पताल में ऐसी घटना दुबारा नहीं हो इसके लिए पाबंद किया है। साथ ही कर्मचारियों के विरुद्ध जांच करने के निर्देश दिए हैं जिन्होंने बधाई स्वरूप छह सौ रुपए लिए थे। इसके बाद रात को ही न्यायमित्र राजल्क्ष्मी चौधरी न्यायालय के आदेश लेकर उम्मेद अस्पताल पहुंची और सुपुर्द की कार्रवाई शुरू की।
मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में गुरुवार सुबह सबसे पहले पूनमकंवर के पति चैनसिंह, खांडा फलसा पुलिस, न्यायमित्र उपस्थित हुए। इसके बाद न्यायाधीश के सामने पेश हुए उम्मेद अस्पताल अधीक्षक डॉ. नरेंद्र छंगाणी को न्यायाधीश ने इस घटना को लताड़ लगाई।
पूनमकंवर के अधिवक्ता इंद्रराज चौधरी व विक्रम चौधरी ने न्यायालय में डीएनए रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया। इस पर न्यायाधीश ने लंच के बाद सुनवाई रखी। लेकिन लंच के बाद जो लिफाफा पेश किया गया उसमें डीएनए रिपोर्ट नहीं थी। उसमें ब्लड के सैंपल थे। इसके बाद अधीक्षक डॉ. नरेंद्र छंगाणी डीएनए रिपोर्ट लेकर पेश हुए। रिपोर्ट पढ़ कर न्यायाधीश ने चैन सिंह से कहा कि बेटी आपकी है।
चैनसिंह ने कहा कि बेटी स्वीकार है। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि आपको लड्डू बांटने चाहिए। इसके बाद साढ़े चार बजे न्यायाधीश ने सभी पक्षों को अपने जवाब के साथ बुलाया। पूनमकंवर के अधिवक्ता ने इस घटना से हुई मानसिक पीड़ा के लिए दस लाख रुपए का हर्जाना अस्पताल से दिलाने की मांग की एवं लेबररूम की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया। इसके बाद न्यायाधीश मुकेश ने रात साढ़े सात बजे अपना निर्णय जारी किया।
गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने दो अप्रेल को प्रकाशित समाचार में इस बात का खुलासा किया था कि नर्सरी में पल रही बच्ची सात दिन से मां के दूध से वंचित है। इसके बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर जल्द से जल्द डीएनए रिपोर्ट मंगवाने व बच्ची को मां का दूध पिलाने के निर्देश जारी किए।
बेटी आपकी है, लड्डू बांटिए : न्यायाधीश
मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने डीएनए रिपोर्ट पढ़ी और पूनम कंवर के पति चैनसिंह से कहा कि बेटी आपकी है, आपको लड्डू बांटने चाहिए। मजिस्ट्रेट ने अभिभावकों को पाबंद किया है कि वे बच्ची के विरुद्ध किसी भी तरह की घरेलू, मौखिक व भावनात्मक हिंसा नहीं करेंगे।
जज ने की दैनिक भास्कर की तारीफ
मजिस्ट्रेट ने मौखिक रूप से दैनिक भास्कर की तारीफ करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने पर मामले का त्वरित निस्तारण हो पाया। भास्कर ने दो अप्रैल को ‘सात दिन से मां व दूध को बिलखती मासूम’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
अस्पताल में ऐसी घटना दुबारा नहीं हो इसके लिए पाबंद किया है। साथ ही कर्मचारियों के विरुद्ध जांच करने के निर्देश दिए हैं जिन्होंने बधाई स्वरूप छह सौ रुपए लिए थे। इसके बाद रात को ही न्यायमित्र राजल्क्ष्मी चौधरी न्यायालय के आदेश लेकर उम्मेद अस्पताल पहुंची और सुपुर्द की कार्रवाई शुरू की।
मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में गुरुवार सुबह सबसे पहले पूनमकंवर के पति चैनसिंह, खांडा फलसा पुलिस, न्यायमित्र उपस्थित हुए। इसके बाद न्यायाधीश के सामने पेश हुए उम्मेद अस्पताल अधीक्षक डॉ. नरेंद्र छंगाणी को न्यायाधीश ने इस घटना को लताड़ लगाई।
पूनमकंवर के अधिवक्ता इंद्रराज चौधरी व विक्रम चौधरी ने न्यायालय में डीएनए रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया। इस पर न्यायाधीश ने लंच के बाद सुनवाई रखी। लेकिन लंच के बाद जो लिफाफा पेश किया गया उसमें डीएनए रिपोर्ट नहीं थी। उसमें ब्लड के सैंपल थे। इसके बाद अधीक्षक डॉ. नरेंद्र छंगाणी डीएनए रिपोर्ट लेकर पेश हुए। रिपोर्ट पढ़ कर न्यायाधीश ने चैन सिंह से कहा कि बेटी आपकी है।
चैनसिंह ने कहा कि बेटी स्वीकार है। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि आपको लड्डू बांटने चाहिए। इसके बाद साढ़े चार बजे न्यायाधीश ने सभी पक्षों को अपने जवाब के साथ बुलाया। पूनमकंवर के अधिवक्ता ने इस घटना से हुई मानसिक पीड़ा के लिए दस लाख रुपए का हर्जाना अस्पताल से दिलाने की मांग की एवं लेबररूम की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया। इसके बाद न्यायाधीश मुकेश ने रात साढ़े सात बजे अपना निर्णय जारी किया।
गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने दो अप्रेल को प्रकाशित समाचार में इस बात का खुलासा किया था कि नर्सरी में पल रही बच्ची सात दिन से मां के दूध से वंचित है। इसके बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर जल्द से जल्द डीएनए रिपोर्ट मंगवाने व बच्ची को मां का दूध पिलाने के निर्देश जारी किए।
बेटी आपकी है, लड्डू बांटिए : न्यायाधीश
मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने डीएनए रिपोर्ट पढ़ी और पूनम कंवर के पति चैनसिंह से कहा कि बेटी आपकी है, आपको लड्डू बांटने चाहिए। मजिस्ट्रेट ने अभिभावकों को पाबंद किया है कि वे बच्ची के विरुद्ध किसी भी तरह की घरेलू, मौखिक व भावनात्मक हिंसा नहीं करेंगे।
जज ने की दैनिक भास्कर की तारीफ
मजिस्ट्रेट ने मौखिक रूप से दैनिक भास्कर की तारीफ करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने पर मामले का त्वरित निस्तारण हो पाया। भास्कर ने दो अप्रैल को ‘सात दिन से मां व दूध को बिलखती मासूम’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
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