इंदौर। बटन
वाले मोबाइल आउट डेटेड हो गए हैं। इनकी जगह टच स्क्रीन मोबाइल ने ले ली
है। मोबाइल स्टोर्स के आंकड़े बताते हैं 70 फीसदी से ज्यादा यूजर
टच-स्क्रीन मोबाइल ही खरीद रहे हैं।
शहर के मोबाइल मार्केट में पिछले साल तक रोजाना करीब 200 टच स्क्रीन मोबाइल बिकते थे, जबकि एक साल में यह संख्या 400 से ज्यादा हो गई है। हालांकि टच स्क्रीन सेगमेंट में चायना के मोबाइल्स ने ब्रांडेड कंपनियों को पीछे छोड़ रखा है। हर पखवाड़े चाइना मोबाइल के 20 से ज्यादा मॉडल लॉन्च हो रहे हैं। इंदौर के मार्केट से आसपास के क्षेत्रों में रोजाना दो हजार से भी ज्यादा चायना के टच स्क्रीन मोबाइल जा रहे हैं।
कंपनियों के डीलर्स और शॉप संचालकों का कहना है टेक्नोलॉजी सस्ती होने से तकरीबन सभी कंपनियों ने कम रेंज में टच स्क्रीन मोबाइल लॉन्च किए हैं। दो हजार से 35 हजार तक की रेंज में होने से हर वर्ग इसे खरीदने में सक्षम है।
एमोलैड टेक्नोलॉजी
टच स्क्रीन मोबाइल के पुराने मॉडल में डिस्प्ले ज्यादा सेंसेटिव होने से इसे ऑपरेट करने के लिए स्टिक की जरूरत थीं। एमोलैड टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी से फीचर्स ज्यादा सुविधाजनक हो गए हैं। लगातार कई मैसेज टाइप करने के बाद भी अंगुलियों में दर्द नहीं होता। थोक मोबाइल विक्रेता बलराम आडियानी कहते हैं एंड्राइड एप्लिकेशन आने के बाद टच स्क्रीन पर काम करना आसान हो गया है। 100 में से 70 कस्टमर्स का रुझान टच स्क्रीन की तरफ ही है।
40 प्लस हैं दूर
नोकिया के डीलर शैलेष शाह कहते हैं छोटे साइज के मोबाइल का क्रेज बढ़ रहा है। की-पेड न होने से कॉम्पैक्ट साइज के मोबाइल्स में स्क्रीन बड़ा आ रहा है। गेम्स, वीडियो और फोटो देखने में यह ज्यादा उपयोगी होता है। की-पेड की लाइफ लिमिट होने से बार-बार खराब होने की परेशानी बनी रहती है। सेमसंग डीलर अरविंद जैन कहते हैं मैसेज और इंटरनेट चलाने में टच स्क्रीन ज्यादा सुविधाजनक होने से यूथ इसे पसंद कर रहे हैं।
शहर के मोबाइल मार्केट में पिछले साल तक रोजाना करीब 200 टच स्क्रीन मोबाइल बिकते थे, जबकि एक साल में यह संख्या 400 से ज्यादा हो गई है। हालांकि टच स्क्रीन सेगमेंट में चायना के मोबाइल्स ने ब्रांडेड कंपनियों को पीछे छोड़ रखा है। हर पखवाड़े चाइना मोबाइल के 20 से ज्यादा मॉडल लॉन्च हो रहे हैं। इंदौर के मार्केट से आसपास के क्षेत्रों में रोजाना दो हजार से भी ज्यादा चायना के टच स्क्रीन मोबाइल जा रहे हैं।
कंपनियों के डीलर्स और शॉप संचालकों का कहना है टेक्नोलॉजी सस्ती होने से तकरीबन सभी कंपनियों ने कम रेंज में टच स्क्रीन मोबाइल लॉन्च किए हैं। दो हजार से 35 हजार तक की रेंज में होने से हर वर्ग इसे खरीदने में सक्षम है।
एमोलैड टेक्नोलॉजी
टच स्क्रीन मोबाइल के पुराने मॉडल में डिस्प्ले ज्यादा सेंसेटिव होने से इसे ऑपरेट करने के लिए स्टिक की जरूरत थीं। एमोलैड टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी से फीचर्स ज्यादा सुविधाजनक हो गए हैं। लगातार कई मैसेज टाइप करने के बाद भी अंगुलियों में दर्द नहीं होता। थोक मोबाइल विक्रेता बलराम आडियानी कहते हैं एंड्राइड एप्लिकेशन आने के बाद टच स्क्रीन पर काम करना आसान हो गया है। 100 में से 70 कस्टमर्स का रुझान टच स्क्रीन की तरफ ही है।
40 प्लस हैं दूर
नोकिया के डीलर शैलेष शाह कहते हैं छोटे साइज के मोबाइल का क्रेज बढ़ रहा है। की-पेड न होने से कॉम्पैक्ट साइज के मोबाइल्स में स्क्रीन बड़ा आ रहा है। गेम्स, वीडियो और फोटो देखने में यह ज्यादा उपयोगी होता है। की-पेड की लाइफ लिमिट होने से बार-बार खराब होने की परेशानी बनी रहती है। सेमसंग डीलर अरविंद जैन कहते हैं मैसेज और इंटरनेट चलाने में टच स्क्रीन ज्यादा सुविधाजनक होने से यूथ इसे पसंद कर रहे हैं।
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