Saturday, April 7, 2012

डॉक्टरों के कर दिया कमाल, भारत में पहली बार हुआ ऐसा

नई दिल्ली. गिडोन का किडनी ट्रांसप्लांटेशन डॉक्टर्स के लिए एक बड़ी चुनौती था। क्रिश्चियन धर्म के एक पंथ जीवो विटनेस के कुछ सदस्यों ने डॉक्टरों से सपंर्क किया। उन्हें बताया कि धार्मिक कारणों की वजह से ब्लड ट्रांसफ्यूजन (रक्ताधान) संभव नहीं है। इसीलिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी स्वीकार नहीं है।

इसीलिए रक्त का नुकसान हुए बिना यह सर्जरी होना थी। पेशेंट का हीमोग्लोबीन काउंट ४.२ से करीब ३० प्रतिशत कम था। इसका अर्थ यह कि किसी भी ऑपेरशन संबंधी प्रक्रिया के लिए ऐनेस्थीसिया देना भी संभव नहीं था।

इस केस में डोनर और रेसिपियन्ट दोनों की ही जिंदगी खतरे में थी। एक छोटी सी गलती किसी पर भी भारी पड़ सकती थी। मूलचंद रीनल केयर और डायलिसिस के सीनियर कंसल्टेंट एवं नेफ्रोलजी और ट्रांसप्लांट एडवाइजर, नई दिल्ली के डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि उनके धार्मिक मूल्यों का सम्मान करने के साथ ही हम उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुरक्षा भी देना चाहते थे।

ट्रांसप्लांट के बाद दोनों ही स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। इस सर्जरी में डॉ. कुमार के साथ सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. एचएस भटयाल, सीनियर कंसल्टेंट, एनेस्थीसिया डॉ. लांगर भी साथ थे। सभी बड़ी सर्जरी जैसे किडनी, हार्ट, या ब्रैन संबंधी ऑपरेशन में रक्ताधान की बहुत जरूरत पड़ती है। इन सर्जरी में रक्त एक महत्वपूर्ण घटक होता है। इस चुनौती को डॉक्टरों ने बड़ी सफाई के साथ पूरा किया।

कैसे कम करते हैं ब्लड लॉस

-छुरी की बजाय लेकार का प्रयोग

-बोन मैरो को ज्यादा रेड ब्लड सेल उत्पादन के लिए प्रेरित करके।

-सर्जरी के दौरान वॉल्युम एक्सपान्डर की मदद से मरीज के रक्त को ही संचरित करके।

-सर्जरी के दौरान स्किन मॉनिटर की मदद से ऑक्सीजन स्तर की ट्रैकिंग।

-एरगोन बीम कॉग्युलेटर से ब्लड क्लॉटिंग की स्पीड बढ़ाकर।

-इन्ट्राऑपरेटिव एनेस्थीसिया की मदद से सर्जरी के समय ब्लड प्रेशर कम करना, ब्लीडिंग कम करना।

-सेलसेवर द्वारा मरीज के ब्लड को कलेक्ट, रिसर्कुलेट और रिएडमिनिस्ट्रेट करके।

No comments:

Post a Comment