पेट्रोल कीमतों में
इजाफे के लिए तेल कंपनियों की ओर से बनाए जा रहे दबाव के बीच वित्त
मंत्रालय बीच का रास्ता खोजने में लगी हुई है। मंत्रालय पेट्रोल पर उत्पाद
शुल्क कम करने की योजना बना रहा है।
वित्त मंत्रालय की ओर से इसको लेकर तेल कंपनियों को संकेत भी दिये जा चुके हैं। जानकारों के मुताबिक ये सब कदम कंपनियों को हो रहे घाटे के बोझ को कम करने के लिए उठाए जा रहे हैं। 1 रुपये की कटौती से तेल कंपनियों को 8,000 करोड़ रूपए की प्राप्ति हो सकेगी।
दिलचस्प है कि पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क कम करने से सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। इसके बाद कंपनियों की ओर से तेल के दाम बढ़ाने की प्रक्रिया को काफी हद तक टाला जा सकेगा। वहीं इस कदम के बाद पेट्रोल के दाम भी घटने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय तेल मंत्रालय के शुल्क घटाने के प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार कर रहा है। सरकार के इस कदम से तेल की बढ़ती कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा।
अभी सरकार प्रति लीटर पेट्रोल पर 14.45 रूपए उत्पाद शुल्क लगाती है। वहीं तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमत से कम पर ऑटो फ्यूल बेचकर एक लीटर पर नौ रूपए का घाटा उठा रही हैं।
पिछली बार 2008 में सरकार ने उत्पाद शुल्क घटाया था जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 135 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। तब शुल्क में एक रूपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी। हालांकि शुल्क कटौती 2010-11 के आम बजट में वापस ले ली गई थी।
वित्त मंत्रालय की ओर से इसको लेकर तेल कंपनियों को संकेत भी दिये जा चुके हैं। जानकारों के मुताबिक ये सब कदम कंपनियों को हो रहे घाटे के बोझ को कम करने के लिए उठाए जा रहे हैं। 1 रुपये की कटौती से तेल कंपनियों को 8,000 करोड़ रूपए की प्राप्ति हो सकेगी।
दिलचस्प है कि पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क कम करने से सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। इसके बाद कंपनियों की ओर से तेल के दाम बढ़ाने की प्रक्रिया को काफी हद तक टाला जा सकेगा। वहीं इस कदम के बाद पेट्रोल के दाम भी घटने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय तेल मंत्रालय के शुल्क घटाने के प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार कर रहा है। सरकार के इस कदम से तेल की बढ़ती कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा।
अभी सरकार प्रति लीटर पेट्रोल पर 14.45 रूपए उत्पाद शुल्क लगाती है। वहीं तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमत से कम पर ऑटो फ्यूल बेचकर एक लीटर पर नौ रूपए का घाटा उठा रही हैं।
पिछली बार 2008 में सरकार ने उत्पाद शुल्क घटाया था जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 135 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। तब शुल्क में एक रूपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी। हालांकि शुल्क कटौती 2010-11 के आम बजट में वापस ले ली गई थी।
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