बठिंडा. बठिंडा
की नंदिनी मात्र 12 वर्ष की है। उसकी कैलकुलेशन और इमेजिनेशन बड़े-बड़े
गणितज्ञों और साइंसदानों को मात करती है। धरती पर अभी तक 2012 वर्षो और आने
वाले वर्षो का एक भरपूर कैलेंडर उसके दिमाग में है। आप किसी भी साल की
तारीख उसे बताएं, वह झट से बता देगी कि इस दिन कौन सा वार है।
आप
कितने सैकड़ों या हजारों में उसे एक चार्टशीट पढ़ने के लिए दें, एक बार
पढ़ने के बाद वह क्रम से उसे बिना पढ़े ऊपर से नीचे या फिर नीचे से ऊपर
ज्यों का त्यों सुना देगी। गजब की याददाश्त वाली इस बच्ची पर साउथ कोरिया
की एक कंपनी ने डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है।
इंग्लैंड
की आरएचआर (रिकार्ड होल्डर रिपब्लिक बुक ऑफ यूके)में सबसे टॉप सूची में
नाम दर्ज करवा चुकी नंदिनी विलक्षण प्रतिभा की धनी होने के बावजूद गरीबी के
हाथों मजबूर है। एक अदद कंप्यूटर के लिए उसके पिता सत्ता और प्रशासन की
दहलीज पर कई बार दस्तक दे चुके हैं पर हर जगह या तो निराशा मिली या फिर
आश्वासन।
बेजोड़ सॉफ्टवेयर बनाने का सपना
धोबियाना
रोड पर रह रहा नंदिनी का परिवार बेहद गरीब है। डीएवी पब्लिक स्कूल में
8वीं की छात्रा नंदिनी कहती है, ‘हाईटेक कंप्यूटर मिलने पर ऐसा सॉफ्टवेयर
बनाऊंगी जो आदमी का दिमाग पढ़ सकेगा। इस सॉफ्टवेयर से गुजरे वक्त और भविष्य
की जानकारी हासिल की जा सकेगी।’ नंदिनी के पिता हेमराज सांखला ने बताया कि
2010 में डाक्यूमेंटरी बनाने आई टीम ने सहायता के बदले साउथ कोरिया आने की
बात कही, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। वे चाहते हैं कि नंदिनी भारत में ही
रहकर ही देश का रोशन करे।
छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धियां
नौ
वर्ष की उम्र में यूके की रिकॉर्ड होल्डर बुक में नाम दर्ज करवाया। गुजरे
समय की सटीक इमेजिनेशन। साउथ कोरिया की कंपनी एजुकेशन ब्राडकास्टिंग ने
2010 में डाक्यूमेंट्री तैयार की। इसे कोरियन बच्चों की मेमोरी शॉर्प करने
के लिए तैयार किया गया।
नंदिनी
जैसे असाधारण बच्चे करोड़ों में एक होते हैं। जरूरत है इन्हें अच्छा माहौल
व सपोर्ट करने की। असाधारण बच्चों को यदि सही दिशा मिले तो देश का नाम
पूरी दुनिया में रोशन कर सकते हैं। ऐसे हीरे को सही समय और तरीके से तराशने
की जरूरत है।
-डॉ. निधि गुप्ता. मनोविशेषज्ञ
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