उज्जैन. गरीबी एक अभिशाप की तरह
ही है। कोई व्यक्ति नहीं चाहता कि वह गरीबी का सामना करें। धन अभाव में
जीवन किसी नर्क के समान ही होता है। यदि कोई व्यक्ति पूरी ईमानदारी से अपने
कर्तव्यों का पालन कर रहा है फिर भी उसे प्रतिफल के रूप में उचित धन
प्राप्त नहीं हो पा रहा है तो वह कई प्रकार के धार्मिक उपाय भी करता है।
इन्हीं उपायों में से एक है पीपल के वृक्ष की पूजा करना, उसकी परिक्रमा
करना।
शास्त्रों के अनुसार पीपल का वृक्ष पवित्र एवं पूजनीय माना गया है। ऐसा वर्णित है कि इसमें कई देवी-देवताओं का वास रहता है। इसी वजह से इसकी पूजा करने वाले भक्तों को सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि पीपल की पूजा और परिक्रमा कब की जानी चाहिए, इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पीपल की परिक्रमा करने और स्पर्श के लिए केवल शनिवार निर्धारित किया गया है। शेष दिनों में पीपल को स्पर्श तक नहीं करना चाहिए। शनिवार के अतिरिक्त पीपल में दरिद्रता का वास रहता है अत: जो भी व्यक्ति ऐसे समय में इस वृक्ष को स्पर्श करता है उसे दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा माना गया है कि शनिवार के दिन पीपल में लक्ष्मी-नारायण का वास रहता है और इस दिन पीपल की परिक्रमा करने पर भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि संबंधी दोषों के निवारण के लिए भी शनिवार के दिन ही पीपल की सात परिक्रमा करने पर शनि दोषों का प्रभाव कम होता है। इसके साथ कई अन्य दोषों के समाधान के लिए भी पीपल की पूजा की जाती है। पीपल को जल किसी भी दिन अर्पित किया जा सकता है। इस संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है।
शास्त्रों के अनुसार पीपल का वृक्ष पवित्र एवं पूजनीय माना गया है। ऐसा वर्णित है कि इसमें कई देवी-देवताओं का वास रहता है। इसी वजह से इसकी पूजा करने वाले भक्तों को सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि पीपल की पूजा और परिक्रमा कब की जानी चाहिए, इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पीपल की परिक्रमा करने और स्पर्श के लिए केवल शनिवार निर्धारित किया गया है। शेष दिनों में पीपल को स्पर्श तक नहीं करना चाहिए। शनिवार के अतिरिक्त पीपल में दरिद्रता का वास रहता है अत: जो भी व्यक्ति ऐसे समय में इस वृक्ष को स्पर्श करता है उसे दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा माना गया है कि शनिवार के दिन पीपल में लक्ष्मी-नारायण का वास रहता है और इस दिन पीपल की परिक्रमा करने पर भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि संबंधी दोषों के निवारण के लिए भी शनिवार के दिन ही पीपल की सात परिक्रमा करने पर शनि दोषों का प्रभाव कम होता है। इसके साथ कई अन्य दोषों के समाधान के लिए भी पीपल की पूजा की जाती है। पीपल को जल किसी भी दिन अर्पित किया जा सकता है। इस संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है।
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