Saturday, April 7, 2012

एक ऐसा गांव जहां कोई नहीं चाहता अपनी बेटी ब्याहना

भोपाल। एक अंधेरे गांव में बेटी ब्याहने को कोई तैयार नहीं है। इस वजह से कई युवक कुंआरे हैं और उनकी उम्र बढ़ती जा रही है। इक्का-दुक्का युवकों की शादी हुई तो कुछ दिनों बाद बहू गांव छोड़कर चली गईं। मजेदार बात तो यह है कि जब ग्रामीण बहू लेने जाते हैं तो वे कहती हैं कि बिजली आ जाए तो बता देना, हम खुद ब खुद चले आएंगे। अब गांव के लोग नेताओं से इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार कर रहे हैं।

यह तस्वीर है भोपाल से 40 किमी दूर मुरारी चोपड़ा गांव की। यहां देश की आजादी के बाद से सिर्फ 6 महीने के लिए बिजली आई। इस वजह से गांव में कोई नल-जल योजना शुरू नहीं हुई। पीएचई ने जो हैंडपंप लगाए थे, वे भी खराब हैं। गांव की महिलाओं को दूर-दराज खेतों से पानी भरकर लाना पड़ रहा है। बच्चों को पढ़ाई दिन में करनी पड़ती है, वरना रात को केवल लालटेन का उजाला ही होता है। यही नहीं, दूसरे गांव के लोग मुरारी चोपड़ा का नाम सुनते ही अपनी बेटियों के रिश्ते करने से इंकार कर देते हैं।

आलम यह है कि पूरे गांव में 15 से ज्यादा युवक विवाह की उम्र पार कर चुके हैं। जबकि करीब १क् से ज्यादा युवक और प्रौढ़ ऐसे हैं, जिनकी पत्नियां बिजली-पानी की व्यवस्था नहीं होने से मायके चली गई हैं। यह स्थिति तब है, जब भाजपा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज यहां से सांसद हैं और विधायक पूर्व मुयमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा हैं।

ऐसे हुआ खुलासा

विधानसभा में २९ मार्च को मुद्दा उठा कि भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के करीब १क्-१५ गांव में बिजली काट दी गई है। डीबी स्टार ने इसकी वजह जानने के लिए पड़ताल की तो यह गांव सामने आया। इसके बाद मुलाकात हुई औबेदुल्लागंज के रवि यादव से, जिन्होंने गांव की समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों से चर्चा की थी।

15 साल पहले लगे थे खंभे

मुरारी चोपड़ा में 15 साल पहले बिजली विभाग ने खंभे लगाए थे। तब गांव वालों से कहा गया था कि मीटर के पैसे जमा कर दें। गांव वालों ने करीब १ लाख रुपए जमा कर दिए तो तार खिंच गए और बिजली चालू हो गई। लेकिन ज्यादा बिल आने की वजह से चंद महीनों में ही कट गई।

दहेज का सामान बंद पड़ा है कमरों में, कुतर रहे हैं चूहे

विवाह के बाद दहेज में मिलने वाला पूरा सामान कमरों में बंद पड़ा है और उसे चूहे कुतर रहे हैं। अब तो गांव वालों ने बिजली आने की उम्मीद ही छोड़ दी, इसलिए वे दहेज में सौर ऊर्जा की प्लेट मांगने लगे हैं। जो सामान मिला भी था तो उसे या तो गांव वालों ने बेच दिया या फिर वे कमरों में बंद हैं।

बिजली से निपटते हैं तो पानी कमर तोड़ देता है

मुरारी चोपड़ा में करीब 7 हैंडपंप लगे हैं, लेकिन इनमें से एक ही चालू है। इस वजह से गांव की महिलाएं दूर-दराज के खेतों में लगे ट्यूबवेल से पानी लाती हैं। अब तो स्थिति यह है कि घर में अगर दो-तीन महिला सदस्य हैं तो उनमें से एक केवल पानी भरने के लिए ही पूरे दिन तैनात रहती है।

कोशिशें तो बहुत कीं पर..

गांव के मुखिया शफीक पटेल का कहना है कि हमने तो खूब कोशिश की, कि अधिकारियों तक बात पहुंच जाए। कई आवेदन दिए। एक बार तो बस भरकर भोपाल भी गए और तमाम नेताओं से मिले, लेकिन सभी ने आश्वासन ही दिया। चुनाव में भी हर नेता ने हमको कोरे आश्वासन दिए, लेकिन बिजली नहीं आई। गांव में न तो पानी है न ही बिजली। स्थिति यह है कि हर घर का एक सदस्य दिनभर सिर्फ पानी ही भरता रहता है। महिलाओं की भी यही हालत है।

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