इंदौर। शहर
में ट्रैफिक की बदहाली ज्यों की त्यों है, लेकिन सुधार के नाम पर एक कंपनी
ने नौ माह में तीन लाख रुपए जरूर कमा लिए। यह कमाई ई-चालान से हुई है,
जिसके तहत नियम तोड़ने पर सीसीटीवी कैमरे में दर्ज फुटेज के आधार पर चालान
बनता है। ऐसे वाहन चालकों से प्रतिचालान 25 से 75 रुपए अतिरिक्त लिए जा रहे
हैं, जो कंपनी के खाते में जाते हैं। इस राशि को ‘कोरियर व अन्य खर्च’ का
नाम दिया गया है।
एक ही गाड़ी का दिन में दो बार चालान
ई-चालान में केवल गाड़ी के नंबर का फोटो होता है लेकिन चालक वास्तव में रांग साइड गया या खतरनाक ढंग से गाड़ी पार्क की, यह नहीं बताया जा सकता है। इसलिए कंपनी के ऑफिस पर चालान भरने वालों की रोज वाद-विवाद होता है। कई बार तो एक गाड़ी का एक ही दिन में एक घंटे के दौरान दो-दो बार चालान तक भेज दिया गया है और वह भरवाया भी गया है। इस व्यवस्था के प्रति लोगों का विरोध भी है। उनका कहना है कि शहर की सड़कों और चौराहों पर सिग्नल की व्यवस्था तो आज तक ठीक नहीं की जा सकी है तो फिर ई-चालान बनाना उचित ही नहीं है।
सात दिन बाद दूसरा नोटिस
ई-चालान के ऑफिस से संबंधित वाहन चालक को नोटिस भेजा जाता है। संबंधित क्षेत्रों में यह नोटिस गलत तरीके पार्किग, वन-वे में वाहन ले जाने आदि के लिए दिया जाता है। धारा १७९ एवं ११९/१७७ के अंतर्गत चालानी कार्रवाई कर प्रथम नोटिस में 175 रुपए भरने के लिए कहा जाता है। इसके बाद 7 दिनों में दूसरा नोटिस दिया जाता है, जिसमें २क्क् रुपए और तीसरे नोटिस में २२५ रुपए भरने के लिए कहा जाता है। इसके बाद न्यायालय को प्रकरण भेज दिया जाता है। नोटिस पर वाहन की नंबर प्लेट का सीसीटीवी कैमरे से खींचा गया फोटो भी होता है।
पुलिस विभाग ने दो बार खारिज किए टेंडर
यातायात विभाग के लिए काम कर रही इस कंपनी ने पहले पुलिस विभाग द्वारा लगाए गए कैमरों के लिए भी टेंडर भरा था लेकिन उसका टेंडर दो बार खारिज कर दिया गया। इसके पीछे कंपनी का व्यवसाय कम होना और नियम-शर्ते पूरी नहीं कर पाने की बात कही गई थी।
कंपनी की सेहत का ख्याल
- बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के शहर में कैमरे लगाने और चालान करने का ठेका दिया गया।
- प्रतिचालान 25 से 75 रुपए कोरियर खर्च आदि के नाम पर ले रही है। अब तक तीन लाख कमा भी लिए।
- शहर में तीन जगह 45 लाख रुपए की लागत से कैमरे लगाने का ठेका मिला। कैमरों के साथ विज्ञापन लेने की भी छूट। अब तक पांच लाख की कमाई।
- 14 और चौराहों पर कैमरे लगने जा रहे हैं, कमाई कई गुना बढ़ने वाली है। पांच साल का ठेका मिला है। कंपनी हमारी जेब से पैसा निकालकर कितनी मालामाल हो जाएगी, अनुमान लगाया जा सकता है।
हमारी सुरक्षा से खिलवाड़
- सिर्फ चालान करना ट्रैफिक सुधारने की गारंटी नहीं हो सकती। ऐसा होता तो नौ माह में बदलाव नजर आता। आखिर चालान से कमाई 1400 फीसदी बढ़ गई है और 16 हजार लोगों का चालान किया गया है।
- पुलिस का काम यातायात का सुचारु संचालन करना है, कार्रवाई करना नहीं। कंपनी को कार्रवाई में लगाकर पुलिस यातायात को लेकर निश्चिंत हो गई है।
- चालान की तय राशि लेना तो जायज है, लेकिन 25 से 75 रुपए अतिरिक्त लेना किसी नियम के तहत नहीं आता।
सीधी बात : जसदीपसिंह छाबड़ा, डायरेक्टर - सुखमनी सेफ्टी सॉल्यूशन
शहर में कितने स्थानों पर कैमरे लगे है?
जेलरोड, 56 दुकान, जंजीरावाला चौराहा, सराफा। 14 चौराहों पर 25 लाख की लागत से 56 कैमरे लगेंगे।
आपका क्या रोल है?
-ई-चालान कार्रवाई से लेकर इसकी वसूली तक का काम हमारा है। 8 लोगों का स्टाफ है।
आपको क्या फायदा?
-फायदा कुछ खास नहीं है। बस 25 रुपए एक चालान पर मिलते हैं। कोरियर, प्रिंटिंग, तनख्वाह सारे खर्च इसी से निकालने पड़ते हैं। बस चैलेंज के कारण काम कर रहे हैं।
ट्रैफिक पुलिस का कितना फायदा?
-नौ महीने में 16000 चालान बना दिए हैं। 14 लाख रुपए की इनकम हो गई है। पहले इस मद में केवल एक-सवा लाख रुपए ही मिलते थे।
एक ही गाड़ी का दिन में दो बार चालान
ई-चालान में केवल गाड़ी के नंबर का फोटो होता है लेकिन चालक वास्तव में रांग साइड गया या खतरनाक ढंग से गाड़ी पार्क की, यह नहीं बताया जा सकता है। इसलिए कंपनी के ऑफिस पर चालान भरने वालों की रोज वाद-विवाद होता है। कई बार तो एक गाड़ी का एक ही दिन में एक घंटे के दौरान दो-दो बार चालान तक भेज दिया गया है और वह भरवाया भी गया है। इस व्यवस्था के प्रति लोगों का विरोध भी है। उनका कहना है कि शहर की सड़कों और चौराहों पर सिग्नल की व्यवस्था तो आज तक ठीक नहीं की जा सकी है तो फिर ई-चालान बनाना उचित ही नहीं है।
सात दिन बाद दूसरा नोटिस
ई-चालान के ऑफिस से संबंधित वाहन चालक को नोटिस भेजा जाता है। संबंधित क्षेत्रों में यह नोटिस गलत तरीके पार्किग, वन-वे में वाहन ले जाने आदि के लिए दिया जाता है। धारा १७९ एवं ११९/१७७ के अंतर्गत चालानी कार्रवाई कर प्रथम नोटिस में 175 रुपए भरने के लिए कहा जाता है। इसके बाद 7 दिनों में दूसरा नोटिस दिया जाता है, जिसमें २क्क् रुपए और तीसरे नोटिस में २२५ रुपए भरने के लिए कहा जाता है। इसके बाद न्यायालय को प्रकरण भेज दिया जाता है। नोटिस पर वाहन की नंबर प्लेट का सीसीटीवी कैमरे से खींचा गया फोटो भी होता है।
पुलिस विभाग ने दो बार खारिज किए टेंडर
यातायात विभाग के लिए काम कर रही इस कंपनी ने पहले पुलिस विभाग द्वारा लगाए गए कैमरों के लिए भी टेंडर भरा था लेकिन उसका टेंडर दो बार खारिज कर दिया गया। इसके पीछे कंपनी का व्यवसाय कम होना और नियम-शर्ते पूरी नहीं कर पाने की बात कही गई थी।
कंपनी की सेहत का ख्याल
- बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के शहर में कैमरे लगाने और चालान करने का ठेका दिया गया।
- प्रतिचालान 25 से 75 रुपए कोरियर खर्च आदि के नाम पर ले रही है। अब तक तीन लाख कमा भी लिए।
- शहर में तीन जगह 45 लाख रुपए की लागत से कैमरे लगाने का ठेका मिला। कैमरों के साथ विज्ञापन लेने की भी छूट। अब तक पांच लाख की कमाई।
- 14 और चौराहों पर कैमरे लगने जा रहे हैं, कमाई कई गुना बढ़ने वाली है। पांच साल का ठेका मिला है। कंपनी हमारी जेब से पैसा निकालकर कितनी मालामाल हो जाएगी, अनुमान लगाया जा सकता है।
हमारी सुरक्षा से खिलवाड़
- सिर्फ चालान करना ट्रैफिक सुधारने की गारंटी नहीं हो सकती। ऐसा होता तो नौ माह में बदलाव नजर आता। आखिर चालान से कमाई 1400 फीसदी बढ़ गई है और 16 हजार लोगों का चालान किया गया है।
- पुलिस का काम यातायात का सुचारु संचालन करना है, कार्रवाई करना नहीं। कंपनी को कार्रवाई में लगाकर पुलिस यातायात को लेकर निश्चिंत हो गई है।
- चालान की तय राशि लेना तो जायज है, लेकिन 25 से 75 रुपए अतिरिक्त लेना किसी नियम के तहत नहीं आता।
सीधी बात : जसदीपसिंह छाबड़ा, डायरेक्टर - सुखमनी सेफ्टी सॉल्यूशन
शहर में कितने स्थानों पर कैमरे लगे है?
जेलरोड, 56 दुकान, जंजीरावाला चौराहा, सराफा। 14 चौराहों पर 25 लाख की लागत से 56 कैमरे लगेंगे।
आपका क्या रोल है?
-ई-चालान कार्रवाई से लेकर इसकी वसूली तक का काम हमारा है। 8 लोगों का स्टाफ है।
आपको क्या फायदा?
-फायदा कुछ खास नहीं है। बस 25 रुपए एक चालान पर मिलते हैं। कोरियर, प्रिंटिंग, तनख्वाह सारे खर्च इसी से निकालने पड़ते हैं। बस चैलेंज के कारण काम कर रहे हैं।
ट्रैफिक पुलिस का कितना फायदा?
-नौ महीने में 16000 चालान बना दिए हैं। 14 लाख रुपए की इनकम हो गई है। पहले इस मद में केवल एक-सवा लाख रुपए ही मिलते थे।
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