नई दिल्ली. रजिस्ट्रेशन फीस जमा करवाने के बाद आईआईटी में प्रवेश नहीं लेने वाले बाद में प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे। 
दिल्ली
 हाईकोर्ट ने एक छात्र की याचिका नामंजूर करते हुए यह व्यवस्था दी। प्रतीक 
रोहिल्ला नामक छात्र ने आठ अप्रैल को होने वाली आईआईटी-जेईई 2012 में शामिल
 होने की अनुमति को लेकर याचिका दायर की थी। 
इस
 पर कोर्ट ने कहा कि एडमिशन लेने के बाद सीट छोड़ने की वजह से संस्थान को 
वित्तीय नुकसान हुआ है। जस्टिस कोहली ने कहा, ‘मामला सिर्फ एक साल का नहीं 
है। यह सीट अब पूरे पांच साल खाली रहेगी। इस प्रतिष्ठित कोर्स की प्रत्येक 
सीट बेशकीमती है। किसी को भी इस तरह इसे खराब नहीं करने दिया जा सकता।’
यह है नियम: आईआईटी-जेईई
 2012 के ब्रॉशर के नियम 3.5 में पात्रता शर्तो को स्पष्ट किया गया है। 
इसके अनुसार एडमिशन ले चुके या रजिस्ट्रेशन फीस जमा कर चुके उम्मीदवार 
आईआईटी-जेईई 2012 में शामिल होने के पात्र नहीं हैं। यह मायने नहीं रखता कि
 उन्होंने कोर्स जारी रखा या नहीं। 
यह
 नियम सभी आईआईटी, आईटी-बीएचयू (इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-बनारस हिंदू 
विश्वविद्यालय) वाराणसी और आईएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइनिंग) धनबाद के लिए 
लागू हैं। 
यह है सबक: - आईआईटी-जेईई में सफल रहने के बाद किसी संस्थान में पसंदीदा विषय न मिल रहा हो तो रजिस्ट्रेशन फीस जमा न करें। 
- यदि रजिस्ट्रेशन फीस जमा कर दी है तो कोर्स को जारी रखें। वरना अगले साल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में भाग नहीं ले सकेंगे।
यह है मामला
प्रतीक
 रोहिल्ला ने 2011 में आईआईटी-मद्रास में इंजीनियरिंग डिजाइन के पांच 
वर्षीय एम-टेक डिग्री कोर्स में दाखिला लिया था। संयुक्त प्रवेश परीक्षा 
में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर उन्हें सफलता मिली थी। 
उन्होंने रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में बीस हजार रुपए जमा कराए। 
बाद
 में आईआईटी-मद्रास में जाकर कक्षा में शामिल नहीं हुए। प्रतीक ने इस साल 
सामान्य श्रेणी से प्रवेश परीक्षा का फार्म भरा था। आईआईटी दिल्ली ने 17 
मार्च को उन्हें सूचित किया कि वे अपात्र हैं। उनका आवेदन रद्द किया जाता 
है। उन्होंने इसी को चुनौती दी थी।

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