Thursday, April 5, 2012

भूख ने किया ऐसा मजबूर, दिल पर पत्थर रख लिया कठोर फैसला


शिमला/सरकाघाट. प्रदेश सरकार ने भी बेटी है अनमोल योजना को घर घर पहुंचाया हो लेकिन फिर भी बेटों के बजाय बेटियां को आज भी लावारिस छोड़ा जा रहा है। ऐसा ही वाक्या उपमंडल सरकाघाट में घटित होने से ममता को शर्मशार किया है।



उपमंडल की चांदी पंचायत के चम्याणु गांव के प्रकाश चंद व पत्नी रेखा ने अपनी 4 मासूम बेटियां सिमरन(16), शांति (6), कांहा(3) व दूधमूही बच्ची प्रिया(7 माह) को भूखे मरने को छोड़ दिया है। वृद्ध दादी मैना देवी(76), बीडीसी सदस्य सलोचना देवी, पंचायत प्रधान प्रेमपाल, महिला मंडल प्रधान सावित्री देवी ने एसडीएम से उन्हें पालने में असमर्थता जाहिर करते हुए बच्चों को अनाथालय भेजने की फरियाद की। दादी का कहना है कि पति की मौत के बाद न ही उसके पास घर है और न खाने के लिए राशन।



कोट

प्रतिनिधिमंडल को सामूहिक शपथ पत्र, ग्राम पंचायत नबाही का प्रस्ताव व तहसील कल्याण अधिकारी के कार्यालय से बच्चों का अनाथालय भेजने का फार्म भरे जाने को कहा है। शीघ्र बच्चों को अनाथालय भेजा जा सके। साथ ही बच्चों को लावारिस छोड़ने वाले मां बाप को ढूंढने के भी निर्देश दिए गए हैं। -किशोरी लाल, एसडीएम सरकाघाट।

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