Friday, November 2, 2012

मौत जैसे छू कर चली गयी, ऐसा मंजर जो कभी नहीं आया था आंखों के सामने!

कांके/रांची.पुलिस की नौकरी करते दो दशक हो चला, पर ऐसा खौफनाक मंजर इससे पहले आंखों के सामने कभी नहीं आया था। आईआईएम की दीवार ढहा रहे 75-80 लोग पुलिस की जीप देखते ही अचानक हम पर टूट पड़े। जीप में अगली सीट पर ड्राइवर जोबा बानरा के साथ मैं बैठा था, जबकि पीछे सीट पर हवलदार दुर्गा चरण भगत, कांस्टेबल बाबूलाल हेम्ब्रम और रंजीत राय किड़ो थे। पुलिस मात्र चार और हमलावर 75-80 लोग। किसी के हाथ में फरसा, तो कोई भाला लिए, किसी के हाथ में रॉड तो कोई तलवार लिए हुए था। उनके तेवर को देखकर ऐसा लगा, मानो उन्होंने प्री-प्लानिंग कर रखी थी कि पुलिस के आते ही हमला बोल देंगे।
पेट्रोलिंग करते हुए हम सुबह 4.30 बजे बीएयू के सामने से गुजर रहे थे, तभी सूचना मिली कि आईआईएम के बाउंड्री के पास ग्रामीण जमा हो रहे हैं। हमने गाड़ी मोड़ी और नगड़ी की ओर बढ़ चले। निर्माणाधीन जमीन के पास इकट्ठा ग्रामीण दीवार ढहाने में लगे थे। हमारी जीप के वहां पहुंचते ही, ग्रामीणों का हुजूम हमारी ओर मारो-मारो कहता दौड़ पड़ा।
(एएसआई अरविंद शर्मा की आपबीती, जैसा उन्होंने दैनिक भास्कर के अमरकांत को बताया)
कांके नगड़ी में एक बार फिर बवाल हुआ। हरवे-हथियार से लैस ग्रामीण सुबह चार बजे ही निर्माणाधीन लॉ यूनिवर्सिटी के पास पहुंच गए और चहारदीवारी को तोड़ डाला। उन्हें रोकने पहुंची पुलिस पर भी जानलेवा हमला कर दिया। पुलिस ने उन्हें खदेडऩे के लिए लाठीचार्ज किया, तो ग्रामीण और उग्र हो गए। पुलिस जीप को क्षतिग्रस्त कर दिया और फरसे से कांके थाना के एएसआई अरविंद शर्मा पर जानलेवा हमला किया। ग्रामीणों के तेवर को देखते हुए पुलिस को पीछे हटना पड़ा। बाद में अतिरिक्त सुरक्षा बलों के पहुंचने पर ग्रामीण वहां से चले गए। ग्रामीण एसपी असीम विक्रांत मिंज ने कहा कि चहारदीवारी तोडऩे और पुलिस पर जानलेवा हमला करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। इन्हें शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा।
जब सामने से एक ग्रामीण ने फरसा चलाया, तो जीप का शीशा ढाल बन सामने आ गया। फरसा शीशे से टकराया, शीशा तो फूट गया लेकिन फरसा उसमें फंसा रह गया। लगा अब जान नहीं बचेगी। तुरंत हाथ होलस्टर पर पहुंचा, अगले ही पल हाथ में पिस्टल थी। पिस्टल देखकर उग्र भीड़ ठिठकी, तब तक ड्राइवर जोबा ने चालाकी दिखाते हुए जीप को वहां से भगाया। यदि हम नीचे होते तो शायद दूसरी कहानी बन गई होती। वहां से निकलकर ऐसा लगा कि साक्षात मौत के मुंह से बाहर निकले हैं। तुरंत मोबाइल पर थाना प्रभारी को हमले की सूचना दी। थोड़ी देर बाद और फोर्स आ गई, तब जाकर ग्रामीणों को वहां से भगाया जा सका।

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