(झारखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी देश के यूथ आईकॉन हैं। झारखंड के इस सपूत ने साबित कर दिया है कि लक्ष्य स्पष्ट हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। क्रिकेट के तमाम विशेषज्ञ धौनी की प्रबंधन क्षमता के मुरीद हैं। धोनी झारखंड की राजधानी रांची में रहते हैं। राज्य गठन के 12वें वर्ष पर उनसे भास्कर के रिपोर्टर ने बातचीत कर युवाओं कै संबंध में उनकी राय जानी। इस विषय पर धोनी ने कुछ कहा उसकी मूल बातें नीचे प्रस्तुत हैं)
प्राकृतिक और खनिज संपदाओं से भरे हमारे झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इस राज्य के युवा देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ रहे हैं। युवा इस प्रदेश के सबसे कीमती एसेट हैं। राज्य गठन के 12 वर्षों में खेल के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। नेशनल गेम्स से हमारी छवि देश के सामने उभर कर आई। इसमें हमारे खिलाडिय़ों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। एक अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है। इसका सदुपयोग कर खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को और निखार सकते हैं। वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी तैयार हो गया है। क्रिकेट खिलाडिय़ों को टर्फ विकेट पर खेलने का अवसर मिलेगा।
खेल अकादमी में निखर सकती हैं प्रतिभाएं : राज्य में खिलाडिय़ों की प्रतिभा को निखारने के लिए खेल अकादमी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यहां पर खिलाड़ी नियमित अभ्यास कर सकते हैं। राज्य में कई अच्छे खिलाड़ी हैं, जिनकी मदद से कैंप लगा कर युवा खिलाडिय़ों की प्रतिभा को और निखारा जा सकता है। जरूरत पडऩे पर दूसरे राज्यों के खिलाडिय़ों को कैंप में बुलाकर उनसे भी टिप्स लिए जा सकते हैं।
युवाओं पर टिका है देश और राज्य का भविष्य : देश का भविष्य युवाओं के कंधे पर टिका हुआ है। युवाओं की मेहनत हमेशा रंग लाती है। आपने जितनी मेहनत की है, उसका फल आपको जरूर मिलेगा। हो सकता है कि इसमें थोड़ा विलंब हो। इसके लिए युवाओं को यह तय करना होगा कि उसकी किस चीज में रुचि है, फिर टैलेंट को पहचानने और आगे बढ़ जाने की बारी आती है। इसके बाद आप अपना शत प्रतिशत उसमें लगा दें। इस बात पर कभी ध्यान न दें कि सामने वाला क्या कह रहा है। क्योंकि उस पर आपका कोई कंट्रोल नहीं होता है। अगर आप अच्छा काम कर रहे हैं, तो सभी आपको अच्छा ही कहेंगे। एक-दो लोग ही आपको असफल कह सकते हैं, जो आपसे पीछे छूट गए।
आलोचना से नहीं गिरने दें मनोबल : प्रशंसा और आलोचनाओं में सामंजस्य बनाएं और उसे सहर्ष स्वीकार करें। अच्छा करने पर एप्रिसिएशन मिलता है, वहीं खराब करने पर क्रिटिसिज्म। जब आपकी आलोचना की जा रही हो, तब भी मनोबल न गिराएं। मेहनत में जुट जाएं और खुद को साबित करके दिखाएं।
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