कोटा. 1960 में उद्घाटन के बाद बैराज ने तो कोटा की सूरत बदल दी, लेकिन सरकार इसका रख-रखाव तक नहीं कर रही है।
दोहन के साथ इसका जमकर दुरुपयोग भी हो रहा है। बांध की अथाह जलराशि
में आज भी बहुत कुछ देने की संभावना है, लेकिन वन विभाग का अड़ंगा गिनाकर
विकास के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है।
4 साल में 150 से ज्यादा चिट्ठियां लिखी, गेट की रस्सियों और पेंट तक का पैसा नहीं दे रहे
2008 से कोटा बैराज की मरम्मत पर सरकार की तरफ से एक पैसा भी नहीं
खर्च हुआ है। पानी का गेज बताने वाला मीटर, सुरक्षा के लिए लगे सीसीटीवी
कैमरे बंद पड़े हैं। सुरक्षा की दृष्टि से हर साल पांच गेटों की पुताई और
एक की रस्सी बदलने का नियम है, लेकिन इसका तक पालन नहीं हो रहा है।
इसके लिए स्थानीय अधिकारी सिंचाई विभाग के मुख्यालय को 4 साल में 150
से ज्यादा बार चिट्ठियां लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
देख-रेख के अभाव में बैराज पर सीमेंट की रेलिंग गिर रही हैं। स्ट्रक्चर पर
कुछ जगह पत्थर भी बाहर की तरफ खिसक आए हैं। गेटों की सील भी खराब हो गई है,
जिससे रोज सैकड़ों लीटर पानी बेकार बह रहा है। डाउन स्ट्रीम की तरफ एक
दीवार लगभग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। बारिश के दिनों में गेट खोलते हैं
तो ये तेज आवाज करते हैं।
अवैध शिकार- बैराज के आसपास अवैध मछलियों का शिकार हो रहा है। रात के
समय शिकारी डाउन व अप स्ट्रीम क्षेत्र में जाल लगाते हैं। दिन में इनको
उठाया जाता है। इसकी जानकारी स्थानीय कर्मचारी अधिकारियों को देते हैं,
लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
जर्जर नहरी तंत्र को चाहिए 2 हजार करोड़
चंबल का 50 साल पुराना नहरी तंत्र कच्चा है तथा इतना जर्जर हो चुका है
कि इसके कायाकल्प के लिए करीब 2 हजार करोड़ रुपए चाहिए। जबकि अब तक 100
करोड़ रुपए के ही काम हुए हैं। दाईं मुख्य नहर में जरूर दोनों राज्यों की
हिस्सेदारी से 166 करोड़ रुपए के काम हुए हैं। राजस्थान सरकार ने नहरी
तंत्र की मजबूती के लिए 1274 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसके तहत पहले चरण
में 150 करोड़ रुपए के काम कराए जाने हैं।
सरकार कुछ करे तो बने बात
विभाग ने बैराज की सुरक्षा को लेकर प्लान बनाकर मुख्यालय भेजा हुआ
है। यहां पुलिस चौकी बनाने व सीसी टीवी कैमरे लगाने का प्रस्ताव भी बनाया
हुआ है। इसके साथ ही बोट के बालाजी से सकतपुरा तक अलग से मार्ग बनाने का
सुझाव भी दिया हुआ है। इस पर सरकार सहमति दे तो सारी व्यवस्थाएं हो सकती
है। विभाग को पास तो मेंटीनेंस का बजट तक नहीं है। काफी पत्र इस बारे में
लिखे जा चुके हैं।
-हेमराज श्रीमाल, चीफ इंजीनियर जलसंसाधन विभाग
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