गोरखपुर।
दिल में देशभक्ति और शहीदों के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो इंसान को घर
परिवार नही बांध सकता। वह सबकुछ छोड़ इसी में जी जान से जुट जाता है। अपना
जीवन देशसेवा के लिए अर्पित कर देता है। देश के लिए ऐसे ही जुनून से जुटने
वाले एक शख्श हैं हीरालाल यादव।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कौडीराम के मूल निवासी हीराला पूरे परिवार समेत मुंबई में रहते हैं। हीरालाल पूर्वांचल की माटी के वह हीरा है जो अपनी चमक पूरे देश में फैला रहे हैं। संघर्षों के बल पर मुकाम हासिल करने वाले इस शख्स ने अब अपना पूरा जीवन देश की हिफाजत में शहीद हुए लोगों को समर्पित कर दिया है। ये देशभर में शहीदों के घर जाते हैं और उनके दुखों का साझा करते हैं।
26/11 के मुंबई की आतंकी घटना में शहीद एनएसजी कमांडो संदीप उन्नीकृणन के घर भी ये पहुंचे और उनके पिता से मिलकर काफी प्रभावित हुए। दोनों ने इंडिया गेट से गेटवे आफ इंडिया तक साइकिल यात्रा भी की।
हीरालाल ने बताया इस यात्रा के दौरान वह जिन शहरों से गुजरे वहां लोगों ने शहीद पिता के लिए पलक पांवडे बिछा दिए। लोग पैर छूते थे। ऐसा नजारा देख उन्नीकृष्णन के पिता को यह अहसास हुआ कि उन्होंने बेटा खोया नही है।
हीरालाल इस तरह की अब तक 35 यात्राएं कर चुके हैं। शहीदों और देश प्रेम के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए दर्जनों जगह अपनी कविताओं शहीदों के पत्रों आदि की प्रदर्शनी लगा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कौडीराम के मूल निवासी हीराला पूरे परिवार समेत मुंबई में रहते हैं। हीरालाल पूर्वांचल की माटी के वह हीरा है जो अपनी चमक पूरे देश में फैला रहे हैं। संघर्षों के बल पर मुकाम हासिल करने वाले इस शख्स ने अब अपना पूरा जीवन देश की हिफाजत में शहीद हुए लोगों को समर्पित कर दिया है। ये देशभर में शहीदों के घर जाते हैं और उनके दुखों का साझा करते हैं।
26/11 के मुंबई की आतंकी घटना में शहीद एनएसजी कमांडो संदीप उन्नीकृणन के घर भी ये पहुंचे और उनके पिता से मिलकर काफी प्रभावित हुए। दोनों ने इंडिया गेट से गेटवे आफ इंडिया तक साइकिल यात्रा भी की।
हीरालाल ने बताया इस यात्रा के दौरान वह जिन शहरों से गुजरे वहां लोगों ने शहीद पिता के लिए पलक पांवडे बिछा दिए। लोग पैर छूते थे। ऐसा नजारा देख उन्नीकृष्णन के पिता को यह अहसास हुआ कि उन्होंने बेटा खोया नही है।
हीरालाल इस तरह की अब तक 35 यात्राएं कर चुके हैं। शहीदों और देश प्रेम के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए दर्जनों जगह अपनी कविताओं शहीदों के पत्रों आदि की प्रदर्शनी लगा चुके हैं।
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