धनबाद।इंडियन
स्कूल ऑफ माइंस (आईएसएम) से जून 2011 में पास आउट हुए दो छात्रों दीपक
सिंह और तापस कुमार नंदी ने अपने शोधों से देश के भविष्य के अंतरिक्ष
कार्यक्रमों को और आसान बना दिया है।
दीपक
ने चंद्रमा की सतह के नीचे तीन मौजूद खनिज तत्वों की खोज की है। वहीं,
तापस ने देश के भविष्य के चंद्र अभियानों की राह आसान बनाने के लिए चंद्रमा
की सतह पर स्पेसक्राफ्ट की सेफ लैंडिंग का सॉफ्टवेयर तैयार किया है।
अप्लाइड जियोफिजिक्स के इन दोनों छात्रों ने 2010 में अहमदाबाद के स्पेस
एप्लिकेशन सेंटर में अपने शोध पूरे किए।
दीपक ने ऐसे की मैपिंग
दीपक
ने चंद्रमा पर मिनरल मैपिंग का काम चंद्रयान-1 में लगे टेरीन मैपिंग कैमरे
द्वारा खींची गई तस्वीरों के आंकड़ों के आधार पर किया। कैमरे में लगे लूनर
लेजर रेजिंग इंस्ट्रूमेंट से चंद्रमा की सतह व उसके नीचे स्थित खनिजों की
मैगनेटिक फील्ड की तस्वीरें खिंची गई थीं।
खनिजों
का पता लगाने के लिए इसरो के बड़े वैज्ञानिकों के साथ दीपक को भी मौका
दिया गया था। उसके जिम्मे चंद्रमा की सतह पर मौजूद ओरिएंटल बेसिन में
खनिजों की मैपिंग की जिम्मेदारी थी। उसने अपने शोध में टाइटेनियम, आयरन
आक्साइड एवं मैगनिटाइट की खोज की।
सॉफ्टवेयर डेवलपिंग में थे तापस
इसलिए महत्वपूर्ण
टाइटेनियम
हल्का खनिज होने के कारण लोहा के साथ मिलकर मजबूत मिश्र धातु बनाता है।
चंद्रमा पर दोनों खनिज भारी मात्रा में मौजूद हैं। भविष्य में जब चंद्रमा
का प्रयोग स्पेस स्टेशन के रूप में किया जाएगा, तब वहीं इन खनिजों से
अंतरिक्ष यानों को बनाया जा सकेगा। साथ ही इनका प्रयोग मिसाइल, रक्षा
उत्पाद व कृत्रिम अंग बनाने में भी हो सकेगा।
अमेरिका गए : दीपक फिलहाल अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी से रिमोट सेंसिंग पर पीएचडी कर रहे हैं।
सॉफ्टवेयर डेवलपिंग में थे तापस
तापस
को भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को आसान बनाने वाली टीम में शामिल किया
गया था। उनकी टीम को चंद्रमा पर स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग को आसान बनाने के
लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। तापस को
लैंडिंग के वक्त स्पेसक्राफ्ट की गति नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर
तैयार करना था। उन्होंने इसे मात्र एक माह में ही तैयार कर दिया था।
इसलिए महत्वपूर्ण
चंद्रयान-2 कार्यक्रम में इसरो इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर रहा है।
बन गए इंजीनियर :तापस अभी एस्सार ऑयल में पेट्रोलियम इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं।
शोधों को मिली मान्यता
दीपक
और तापस ने अहमदाबाद में पिछले साल 3 से 5 सितंबर तक आयोजित 13वीं यंग
एस्ट्रोनॉमर मीट में अपने शोध प्रस्तुत किए। मीट में इसरो और अमेरिकी
अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कई वैज्ञानिक शामिल हुए।
क्या है अप्लाइड जियोफिजिक्स : इसके तहत धरती की सतह के नीचे की संरचना एवं वहां मौजूद खनिजों का अध्ययन किया जाता है।
देश के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को मजबूत बनाने में इन दोनों छात्रों ने अहम भूमिका निभाई है।
- विनय कुमार श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, अप्लाइड जियोफिजिक्स विभाग, आईएसएम
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