अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे ‘गैम्बर्टसेव’ नामक रहस्य छिपा है। असल
में यह एक पहाड़ है, जिस पर लंबे समय तक किसी का ध्यान नहीं गया था,
क्योंकि यह चार किलोमीटर मोटी बर्फ की परत के नीचे है। इसका खोजा जाना
भू-गर्भ वैज्ञानिकों के लिए उत्साहित करने वाला तो है, लेकिन इससे अधिक
उन्हें इस बात की हैरानी है कि यह पहाड़ कैसे बना और अब तक अपना वजूद कैसे
कायम रखे है? हालांकि इन सवालों का जवाब पाने का प्रयास वैज्ञानिक छह दशक
से कर रहे हैं लेकिन ‘गैम्बर्टसेव’ का वजूद राज बना हुआ है।
‘गैम्बर्टसेव’ की खोज 1950 के दशक के अंत में एक सोवियत टीम ने की थी। इसे देखकर वे काफी चौंक गए थे, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि यहां की सतह सपाट होगी। आमतौर पर पर्वतमालाएं महाद्वीपों के किनारे पर होती हैं, लेकिन अंटार्कटिका का यह पहाड़ महाद्वीप के बीचोंबीच है।
इसका अध्ययन कर चुके अमेरिकी शोधकर्ता डॉ. रॉबिन कहते हैं, पहाड़ दो वजहों से बनते हैं। पहला महाद्वीपों की टक्कर से। यहां आखिरी टक्कर 50 करोड़ साल से भी पहले हुई थी, इसलिए इस पहाड़ को अब तक यहां नहीं होना चाहिए था। पहाड़ बनने की दूसरी वजह ज्वालामुखी होते हैं, लेकिन अंटार्कटिका की बर्फ की मोटी चादर के नीचे किसी ज्वालामुखी का होना मुश्किल है।
गौरतलब है कि अंटार्कटिका महाद्वीप के बीचोंबीच स्थित ‘गैम्बर्टसेव’ पहाड़ की जानकारी लंबे समय तक किसी को नहीं थी, क्योंकि यह चार किलोमीटर मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा है। भू-गर्भ वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे कि यह कैसे बना और अब तक कैसे मौजूद है।
‘गैम्बर्टसेव’ की खोज 1950 के दशक के अंत में एक सोवियत टीम ने की थी। इसे देखकर वे काफी चौंक गए थे, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि यहां की सतह सपाट होगी। आमतौर पर पर्वतमालाएं महाद्वीपों के किनारे पर होती हैं, लेकिन अंटार्कटिका का यह पहाड़ महाद्वीप के बीचोंबीच है।
इसका अध्ययन कर चुके अमेरिकी शोधकर्ता डॉ. रॉबिन कहते हैं, पहाड़ दो वजहों से बनते हैं। पहला महाद्वीपों की टक्कर से। यहां आखिरी टक्कर 50 करोड़ साल से भी पहले हुई थी, इसलिए इस पहाड़ को अब तक यहां नहीं होना चाहिए था। पहाड़ बनने की दूसरी वजह ज्वालामुखी होते हैं, लेकिन अंटार्कटिका की बर्फ की मोटी चादर के नीचे किसी ज्वालामुखी का होना मुश्किल है।
गौरतलब है कि अंटार्कटिका महाद्वीप के बीचोंबीच स्थित ‘गैम्बर्टसेव’ पहाड़ की जानकारी लंबे समय तक किसी को नहीं थी, क्योंकि यह चार किलोमीटर मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा है। भू-गर्भ वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे कि यह कैसे बना और अब तक कैसे मौजूद है।
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