Monday, September 12, 2011

जानिए चाणक्य के अनुसार हमारी सबसे बड़ी बीमारी कौन सी है...

बीमारी, हमेशा ही दुख और यातना देती है, तड़पाती है, मनोबल तोड़ देती है। बीमारियां कई प्रकार की होती हैं लेकिन हर स्थिति में ये हमारे लिए बुरी ही होती है। हर बीमारी का एक सटीक उपचार होता है जिससे हम पुन: स्वस्थ हो सकते हैं। कुछ बीमारियां शारीरिक होती हैं तो कुछ मानसिक।

शारीरिक बीमारियों का उपचार उचित दवाइयों से किया जा सकता है लेकिन मानसिक या वैचारिक बीमारियों का उपचार किसी दवाई से होना संभव नहीं है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने सबसे बुरी बीमारी बताई है लोभ। लोभ यानि लालच। जिस व्यक्ति के मन में लालच जाग जाता है वह निश्चित ही पतन की ओर दौडऩे लगता है। लालच एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आसानी से नहीं हो पाता। इसी वजह से आचार्य ने इसे सबसे बड़ी बीमारी बताया है।

जिस व्यक्ति को लोभ की बीमारी हो जाए वह सभी रिश्ते-नातों से दूर हो जाता है, इनके सच्चे मित्र भी साथ छोड़ देते हैं, समाज में मान-सम्मान प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। लालच का भूत सवार होने के बाद व्यक्ति की बुद्धि और विवेक भी उसका साथ छोड़ देते हैं। जिससे इंसान लालच के मद में अंधा होकर अधार्मिक मार्ग पर चल देता है। अधार्मिक मार्ग पर चलने वालों को कभी भी शांति और सुख प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसे लोग हमेशा ही भटकते रहते हैं लेकिन इनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती। अत: बुद्धिमान इंसान वही है तो लोभ की बीमारी से खुद को दूर रखे, अन्यथा बहुत भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

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