Monday, September 26, 2011

दूल्हा-दुल्हन आगे-आगे और पीछे तीन किलोमीटर लंबी बारात !


कासेल डि प्रिंसिप (इटली)। शादी को यादगार बनाने के लिए दूल्हा-दुल्हनों को कुछ अनोखा करते देखा जाता रहा है, लेकिन इटली की एलेना डे एंजेलिस ने जो किया वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में भी दर्ज हो चुका है।



एलेना एक ऐसी ड्रेस पहनकर चर्च पहुंचीं, जो करीब तीन किलोमीटर लंबी थी। इस दौरान सैकड़ों लोग उनकी ड्रेस संभालते हुए चल रहे थे।













Sunday, September 25, 2011

Friendship



romantic song


अरे, देखो इस लड़की की जीभ नहीं जल रही


भोपाल. अरे देखो, इस लड़की की जीभ पर आग जल रही है फिर भी इसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। हम तो पहले इसे चमत्कार समझते थे। अब देखो, इस नारियल में से खून कैसे निकल रहा है। यह भी तो एक ट्रिक है। अब आया समझ में।
कुछ इस तरह की बातचीत शनिवार को टीटी नगर स्थित मॉडल स्कूल के सेमिनार हॉल में स्कूली बच्चे कर रहे थे। बच्चों का अंधविश्वास दूर करने के लिए देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र नायक यहां पहुंचे थे। अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान वर्ष के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. नायक ने एक लड़की की जीभ पर बाहर की ओर कपूर रखा और उसमें आग लगा दी।
लड़की को कोई फर्क नहीं पड़ा और कपूर जलकर गैस के रूप में हवा में उड़ गया। दरअसल कपूर को जब जीभ के बाहर की ओर रखकर आग लगाई जाती है तो निकलने वाली हीट, गैस के रूप में सीधी हवा में पहुंच जाती है और जीभ को नुकसान नहीं होता।
इसी तरह नारियल में इंजेक्शन से पोटेशियम परमेंगनेट का गाढ़ा घोल भर दिया जाता है। जैसे ही उसे फोड़ा जाता है, उसमें से खून निकलने की बात कहकर ढोंगी अनिष्ट की आशंका बताते हुए लोगों को ठग लेते हैं। डॉ. नायक ने इस दौरान जमीन में समाधि लेने, उबलते तेल में हाथ डालने समेत कई टोने-टोटकों के वैज्ञानिक रहस्य बच्चों के सामने उद्घाटित किए।
माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष डॉ. एमके राय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे, जबकि अध्यक्षता मॉडल स्कूल के प्राचार्य एमएल दुबे ने की। कार्यक्रम समन्वयक अभिलाषा दुबे ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान वर्ष के अंतर्गत इस तरह के कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में स्कूल के उप प्राचार्यद्वय एसके रेनीवाल व ज्योति पांडेय के अलावा भारी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे। संचालन रेखा शर्मा व अभिलाषा दुबे ने किया।

Mother Sacrifice


This is a true story of Mother’s Sacrifice during the Japan Earthquake.
After the Earthquake had subsided, when the rescuers reached the ruins of a young woman’s house, they saw her dead body through the cracks. But her pose was somehow strange that she knelt on her knees like a person was worshiping; her body was leaning forward, and her two hands were supporting by an object. The collapsed house had crashed her back and her head.

With so many difficulties, the leader of the rescuer team put his hand through a narrow gap on the wall to reach the woman’s body. He was hoping that this woman could be still alive. However, the cold and stiff body told him that she had passed away for sure.
He and the rest of the team left this house and were going to search the next collapsed building. For some reasons, the team leader was driven by a compelling force to go back to the ruin house of the dead woman. Again, he knelt down and used his had through the narrow cracks to search the little space under the dead body. Suddenly, he screamed with excitement,” A child! There is a child! “
The whole team worked together; carefully they removed the piles of ruined objects around the dead woman. There was a 3 months old little boy wrapped in a flowery blanket under his mother’s dead body. Obviously, the woman had made an ultimate sacrifice for saving her son. When her house was falling, she used her body to make a cover to protect her son. The little boy was still sleeping peacefully when the team leader picked him up.
The medical doctor came quickly to exam the little boy. After he opened the blanket, he saw a cell phone inside the blanket. There was a text message on the screen. It said,” If you can survive, you must remember that I love you.” This cell phone was passing around from one hand to another. Every body that read the message wept. ” If you can survive, you must remember that I love you.” Such is the mother’s love for her child!!

Saturday, September 24, 2011

कुदरत के इस हैरतअंगेज करिश्मे को देख डॉक्टर भी रह गए आश्चर्यचकित!


वाराणसी। सोनभद्र जिले के एक 25 वर्षीय युवक के साथ कुदरत ने वह किया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसके पेट में आये दिन दर्द की शिकायत रहती थी। वह अपनी समस्या लेकर बीएचयू के चिकित्सकों के पास पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने चेक किया तो आश्चर्यचकित रह गए। युवक के पेट में गर्भाशय और फेलोपियन ट्यूब था। इसी की वजह से उसको दर्द होता रहता था।

डॉक्टरों की एक टीम ने इस आपरेशन को अंजाम दिया। डॉक्टरों के मुताबिक, इस समस्या ने उसकी पैदाइश से पूर्व गर्भ में रहने के दौरान ही जन्म ले लिया था। बताया कि गर्भ ठहरने के दो माह तक भ्रूण में स्त्री व पुरुष दोनों अंग बने होते हैं। दो माह बाद जब एमआईएस हार्मोन बनता है तो पुरुष अंग का विकास होता है और स्त्रियोचित अंग गायब होने लगते हैं।

वहीं 'इंसुलिन लाइक फैक्टर 3' हार्मोन की वजह से मानव अंडकोष का निर्माण पेट में होता है। उक्त युवक में दोनों हार्मोन्स की कमी हो गई। पहले हार्मोन की कमी से स्त्री अंग गर्भाशय व फेलोपियन ट्यूब शरीर में रह गया और दूसरे हार्मोन की कमी से अंडकोष पेट में ही रह गया।

परिजनों के मुताबिक, बीएचयू में अल्ट्रासाउंड व सीटी स्कैन जांच में उसके पेट में सिस्ट होना बताया गया। जब उसका पेट चीरा गया तो सिस्ट के जगह पर बच्चेदानी व फेलोपियन ट्यूब दिखाई दिया। युवक का ऑपरेशन कर इन अंगों को शरीर से निकाल दिया गया है। युवक अब पूर्णतया स्वस्थ्य है।

एक और मुसीबत? 'कृष्ण अवतार' में दिखे गृह मंत्री चिदंबरम, पुलिस में दर्ज हुई शिकायत


नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई चिट्ठी से उठे विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री एक पी. चिदंबरम और पचड़े में फंसे हुए हैं। 16 सितंबर को चिदंबरम के ६६ वें जन्मदिन पर तमिलनाडु में चेन्नई और मदुरई समेत कई जगहों पर ऐसे पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें चिदंबरम को उनके समर्थकों ने भगवान कृष्ण की वेशभूषा में दिखाया गया था। लेकिन हिंदू संगठनों को गृह मंत्री का यह अवतार नहीं भाया। आतंकी धमाकों के बीच गृहमंत्री पी. चिदंबरम के समर्थकों ने उन्हें भगवान का दर्जा दे दिया था।

समर्थकों के मुताबिक गृह मंत्री कृष्ण का अवतार हैं और वे ही देश में आतंक का नाश करेंगे। लेकिन संघ परिवार से जुड़े संगठन हिंदू मक्कल कची ने इन पोस्टरों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए चेन्नई पुलिस कमिश्नर के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। हिंदू मकल कची से जुड़े अर्जुन संपत का कहना है कि गृह मंत्री को किसी एक धर्म या भगवान के साथ अपनी पहचान नहीं जोड़नी चाहिए। संपत के मुताबिक, 'यह हिंदू समुदाय के लिए अपमानजनक है क्योंकि चिदंबरम हजारों लोगों के जीवन की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं किया है।'

पिछले दिनों हुए लगातार आतंकी धमाकों ने चिदंबरम की काफी आलोचना हो रही है। वे विपक्ष के निशाने पर हैं। मुंबई धमाके, दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट और उसके बाद आगरा में धमाका इसकी एक बानगी है। वहीं, वित्त मंत्रालय की तरफ से पीएमओ को इसी साल मार्च में भेजी गई चिट्ठी के आरटीआई के जरिए सामने आने के बाद चिदंबरम पर 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है।
आपकी राय व निवेदन
क्या गृह मंत्री और उनके समर्थकों को धार्मिक भावनाओं का खयाल रखते हुए ऐसे पोस्टर नहीं लगाने चाहिए? आप खबर पर अपना कमेंट्स लिखते समय भाषा का खयाल रखें। निजी या आपत्तिजनक टिप्‍पणी किसी भी सूरत में नहीं करें। ऐसी टिप्‍पणी साइट से हटा दी जाएगी और इसके लिए अगर कोई पक्ष कानूनी कार्रवाई करता है तो उसकी जिम्‍मेदारी भी कमेंट करने वाले की ही होगी।

लाइव: देखिए, धरती पर कहां आफत बनकर टूटेगा सेटेलाइट


फ्लोरिडा (अमेरिका).एक बस के आकार का बेकाबू सेटेलाइट धरती पर कभी भी गिर सकता है। हालांकि ने नासा ने ताजा रिपोर्ट जारी कर कहा है कि इस उपग्रह के गिरने की गति हल्कीहो गई है जिस कारण वो अब शनिवार तक धरती पर गिरेगा। 2005 से बेकार पड़ा (निष्क्रिय) नासा का यूएआरएस सेटेलाइट  अंतरिक्ष में घूम रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है  शनिवार सुबह के बाद नासा का यह सेटेलाइट कभी भी धरती से टकरा सकता है।

नासा की तरफ से जारी ताज़ा बयान में यह भी कहा गया है कि इस उपग्रह के अमेरिका से टकराने की संभावना बेहद कम है।  नासा ने यह भी साफ नहीं  किया है कि आखिरकार यह सेटेलाइट धरती के किस हिस्‍से से टकराएगा। नासा का यह भी दावा है कि सैटेलाइट की टक्‍कर से धरती पर नुकसान जरूर होगा।

रूसी वैज्ञानिकों ने कुछ आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया है कि इस सैटलाइट के हिंद महासागर में गिरने की उम्मीद है। यह जगह हिंद महासागर में क्रोजेट द्वीप के उत्तर में कहीं हो सकती है।
क्या कहता है नासा का ताजा अपडेट
अमेरिकी समयानुसार शाम सात बजे यूएआरएस की आर्बिट 145 से 150 किलोमीटर था। यह अमेरिकी समयानुसार शुक्रवार रात 11 बजे से सुबह तीन बजे के बीच (भारतीय समयनुसार शनिवार सुबह 8.30 बजे से 12.30 बजे) धरती पर गिर सकता है। इस समय यह उपग्रह कनाडा, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के ऊपर से गुजर रहा होगा। इस स्थिति में इससे जान माल की हानि होने की संभावना बेहद कम है। राहत की बात यह है कि अंतरिक्ष अभियानों के अभी तक के इतिहास में किसी भी उपग्रह के धरती पर गिरने से जान माल की कोई हानि नहीं हुई है। सेटेलाइट का वजन 5,900 किलोग्राम है। धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही सेटेलाइट 20 टुकड़ों में बंट जाएगा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके कई टुकड़े तो धरती की कक्षा में प्रवेश करते ही जल जाएंगे लेकिन कुछ टुकड़ों के धरती पर करीब 800 किलोमीटर की दूरी में बिखरने की आशंका है।  इन टुकड़ों का कुल वजन करीब 500 किलो होगा। चूंकि, सेटेलाइट लगातार अपनी दिशा बदल रहा है, ऐसे में नासा के जानकार भी इस बात का पूरी तरह से अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि सेटेलाइट के टुकड़े धरती पर कब और कहां गिरेंगे। 35 फुट लंबे और 15 फुट चौड़ाई वाले इस सेटेलाइट को ओज़ोन और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद रसायनों के अध्ययन के लिए 1991 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। लेकिन 2005 में इसने काम करना बंद कर दिया था।
आपकी राय व निवदेन
क्या वैज्ञानिक प्रगति के नाम पृथ्वी को ऐसी कीमत चुकानी चाहिए? क्या नासा को इसकी जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए? अगर नासा इसे नियंत्रित नहीं कर पा रहा है तो ऐसे अंतरिक्ष अभियान की क्या जरूरत थी? आप खबर पर अपना कमेंट्स लिखते समय भाषा का खयाल रखें। निजी या आपत्तिजनक टिप्‍पणी किसी भी सूरत में नहीं करें। ऐसी टिप्‍पणी साइट से हटा दी जाएगी और इसके लिए अगर कोई पक्ष कानूनी कार्रवाई करता है तो उसकी जिम्‍मेदारी भी कमेंट करने वाले की ही होगी। 


Funny compilation 6









इस वीडियो को देखकर बढ़ जाएगी दिल की धड़कन!


सिनेमा हॉल के पर्दे पर अपने पसंदीदा नायक को जान जोखिम में डाल हीरोइन को बचाने और बदमाशों को सबक सिखाने का सीन देख हम सब खूब इंज्वाय करते हैं। ये स्टंट फिल्मों में विशेष सुरक्षा इंतजामों और जानकारों की टीम के साथ सूट किए जाते हैं। परंतु कुछ लोग बिना समझे बूझे खतरनाक स्टंट करने की कोशिश करते हैं, जिसमें दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। आइए देखते हैं ऐसी ही एक कोशिश, जिससें कुछ युवा ट्रेन के बेहद नजदीक आने पर पुल से नीचे कूदते हैं। इनकी थोड़ी सी चूक इन्हें मौत के मुंह में पहुंचा सकती थी।

मरने के बाद कौन कहां जाता है?


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये जाना जा सकता है कि मरने के बाद व्यक्ति को स्वर्ग, नरक या पितृ लोक नसीब होगा या फिर से पृथ्वी पर जन्म लेगा। मृत्यु लग्न कुंडली से पुनर्जन्म का ज्ञान हो जाता है। अगर मृत्यु के समय की कुंडली बनाएं तो पता चल जाएगा कि मरने वाले जीव का अगला जन्म होगा या नहीं?

कैसे जानें?

- अगर कुंडली के पहले घर में मेष, वृष मिथुन या कर्क राशि यानी क्रमश: 1,2,3, या 4 नंबर होता  है तो मृत व्यक्ति का पुनर्जन्म पृथ्वी पर होगा। क्योंकि पृथ्वी लोक उपर बताई गई राशियों के अंर्तगत आता है।

- मृत्यु के समय बनाई गई कुंडली के पहले घर में अगर 5,6,7 या 8 नंबर हो यानी क्रमश: सिंह कन्या तुला या वृश्चिक राशि हो तो ऐेसे लग्न में मरा जीव पितृलोक को जाता है।

- मृत्यु के बाद स्वर्ग में जाने वाले जीव की कुंडली के पहले घर में 9,10,11 या12 नंबर आता है यानि धनु, मकर, कुंभ या मीन राशि लग्र में आती है तो मृत व्यक्ति स्वर्ग लोक को जाता है।

- अगर मृत्यु लग्र में गुरु होता है तो ऐसा व्यक्ति मरने के बाद परम गति को प्राप्त करता है और स्वर्ग को जाता है।

- अगर मृत्यु के समय कुंडली के पहले घर में पाप ग्रह यानि सूर्य या मंगल बैठे हो या इनकी दृष्टि हो तो मरने वाले का अगला जन्म पृथ्वी पर  ही होगा।

- मरने वाले की मृत्यु कुंडली के पहले घर में सौम्य ग्रह यानी चंद्र और शुक्र हो या लग्र को देखते हो तो ऐसा जीव मरने के बाद पितृ लोक को जाता है और पितृ बनता है।

- बुध और शनि जैसे पाप ग्रह मृत्यु कुंडली के पहले घर में बैठे हो या लग्र को देखते हो तो मरने वाला नरक में जाता है।

इनके सड़कों पर निकलते, भौंचक्के रह जाते हैं लोग, लग जाती है भीड़!


मेरठ।  यहां शहर में एक ऐसा परिवार रहता है जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है। ये लोग जब सड़कों पर निकलते हैं तो रास्ते जाम हो जाते हैं। विश्व में ऐसा कोई परिवार नहीं हैं।

इस परिवार में ऐसा क्या है? इसे जानने के लिए इस वीडियो को देखिए...


दुख की घड़ी में 'फिसल' गई युवी की जुबान, मांगी माफी


खेल डेस्क. नवाब मंसूर अली खान पटौदी के निधन पर पूरा भारतीय क्रिकेट जगत शोक में डूबा हुआ है। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर खिलाड़ियों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं।

टीम इंडिया के धाकड़ ऑलराउंडर युवराज सिंह ने भी अपना दुख ट्विटर पर व्यक्त किया है। युवी पटौदी के निधन पर इतने दुखी थे कि उनकी उंगलियों ने एक गलती कर दी। युवराज सिंह ने अंग्रेजी में peace यानी शांति को piece यानी टुकड़े लिख दिया।

युवराज को अपनी इस गलती का एहसास पूरे एक घंटे बाद जाकर हुआ। उन्होंने तुरंत माफी मांगते हुए उसमें सुधार किया।

युवी ने लिखा था, "आप हमेशा से एक टाइगर थे। भारत ने अपना एक बेहतरीन कप्तान खो दिया है। Rest in piece !"

उनकी इस गलती पर तुरंत उनके चाहने वालों का ध्यान गया। युवी के फॉलोअर्स ने तुरंत ही उन्हें शांति यानी peace की सही स्पेलिंग बतायी। जब युवराज को इस बात का एहसास हुआ तो उन्होंने अपनी इस गलती के लिए माफी मांग ली।

युवराज के अलावा जहीर खान, ललित मोदी, रोहित शर्मा, संजय मांजरेकर और सानिया मिर्जा ने भी पटौदी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

डीएनए/भास्कर एक्सक्लूसिवः 2जी घोटाले में प्रधानमंत्री की भी भूमिका! अमेरिका में आपात बैठक


नई दिल्ली. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्रियों के समूह (जीओएम) के टर्म्स ऑफ रिफरेंस (टीओआर अथवा कार्यवाही के बिंदु) को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सहमति से ही स्पेक्ट्रम की कीमतें तय करने का हक जीओएम से लेकर टेलीकॉम मंत्री को दे दिया गया।   इसी वजह से तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा जनवरी 2007 में घोटाला कर पाए, जिससे देश को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत गोपनीय दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनसे यह खुलासा हुआ।

2जी घोटाले में पहले पी चिदंबरम, फिर प्रणब मुखर्जी और अब खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर हो रहे खुलासे के बीच प्रणब मुखर्जी अमेरिका में प्रधानमंत्री से आपात बैठक करने वाले हैं। (विस्‍तृत खबर रिलेटेड आर्टिकल में) 
मनमोहन से मिले मारन: जनवरी 2006 में प्रधानमंत्री ने दूरसंचार कंपनियों के लिए रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली करवाने के मामले में जीओएम के गठन को मंजूरी दी थी। जीओएम के सामने सिफारिशों पर विचार करने के विषय विस्तृत थे। इसमें दुर्लभ 2जी स्पेक्ट्रम की कीमतों के निर्धारण पर भी चर्चा होनी थी। एक फरवरी 2006 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।

मेरी इच्छा के हों टीओआर : 28 फरवरी 2006 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने प्रधानमंत्री को अर्धशासकीय पत्र (डीओ नंबर एल-14047/01/06-एनटीजी) लिखा। मारन ने ‘गोपनीय’ पत्र में लिखा, ‘आपको याद ही होगा कि एक फरवरी 2006 की मुलाकात में हमने रक्षा मंत्रालय द्वारा स्पेक्ट्रम खाली करने के मुद्दे पर गठित जीओएम पर चर्चा की थी। आपने मुझे आश्वस्त किया था कि जीओएम के टीओआर हमारी इच्छानुसार तैयार होंगे। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जीओएम के सामने जो विषय रखे गए हैं, वे बहुत व्यापक हैं। ऐसे मामलों का परीक्षण किया जा रहा है, जो मेरे अनुसार मंत्रालय स्तर पर किए जाने वाले कार्यो में अतिक्रमण है। विचार के इन बिंदुओं में हमारी सिफारिशों के आधार पर बदलाव किया जाए।’

मारन ने बनाए जीओएम की कार्यवाही के बिंदु: मारन ने पत्र के साथ जीओएम के लिए कार्यवाही के बिंदुओं का नया प्रस्ताव भी भेजा। पहले जीओएम को छह बिंदुओं पर चर्चा के लिए कहा गया था। इनमें स्पेक्ट्रम का मूल्य निर्धारण शामिल था। मारन ने प्रस्तावित एजेंडे में से उसे हटा दिया। सिर्फ चार विषयों को ही प्रस्तावित कार्यवाही के बिंदुओं में शामिल किया। यह सभी रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली कराने से जुड़े थे। प्रधानमंत्री ने जवाबी पत्र में मारन का पत्र मिलने की पुष्टि की।

चार बड़ी वजहें जो उन्हें संदेह के घेरे में लाती हैं

१ - कार्यवाही के बिंदु कैसे बदले
कार्यवाही के बिंदुओं (टर्म्स ऑफ रिफरेंस) की जानकारी केवल तीन किरदारों के पास थी। खुद टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन, दूसरे प्रणब की अध्यक्षता वाले मंत्रियों का समूह और तीसरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। या तो दयानिधि मारन ने बिंदु बदले (लेकिन यह इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। यह उनके लिए असंभव था।) या मंत्रियों का समूह  ने ऐसा किया (अपनी ही कार्यवाही के बिंदु वे बदलकर हलके क्यों करेंगे।) फिर मारन प्रधानमंत्री से मिले। इसके बाद ही कार्यवाही के बिंदु बदल गए।

२ - नोटिफिकेशन पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई 
चूंकि केबिनेट सचिवालय न तो संचार मंत्री को रिपोर्ट करता है और न मंत्रियों के समूह को। वह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
प्रधानमंत्री की सहमति के बाद ही केबिनेट सचिवालय से नोटिफिकेशन जारी हो सकता है।

३ - मंत्रियों का समूह चुप क्यों रहा
आठ प्रभावशाली मंत्रियों वाले इस समूह ने कार्यवाही के बिंदु बदले जाने पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई? तीन ही बातें हो सकती हैं
1. या तो बिंदु बदलने से उनका कुछ लेना देना नहीं था
2. या उन्हें जानकारी नहीं थी। ये दोनों बातें असंभव है।
3. या यह प्रधानमंत्री का आदेश था, जिसकी वे अवहेलना नहीं कर सकते थे।

4 - वित्तमंत्री को क्यों किया नजरअंदाज
सरकारी कामकाज के नियम-1961 के मुताबिक ऐसे किसी भी फैसले को लेने से पहले जिसमें पैसों का मामला हो, वित्तमंत्रालय से सलाह मशविरा जरूरी है। लेकिन इस मामले में तत्कालीन वित्तमंत्री की पूरी तरह अनदेखी की गई। यह तभी संभव था
जब प्रधानमंत्री ने खुद आदेश दिए हों। मारन के इस पत्र से स्पष्ट हुआ कि मंत्री समूह के कार्यवाही के बिंदु बदलने में प्रधानमंत्री की सहमति थी। राजा भी
यही कहते थे
राजा ने 25 जुलाई 2011 को सीबीआई की विशेष अदालत में दलील दी थी कि मैंने जो भी किया उसके पीछे मनमोहन और चिदंबरम की मंजूरी थी।

जनलोकपाल होता तो ये सब जेल में होते
देश में आज जन लोकपाल कानून होता तो चिदंबरम और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले बाकी नेता भी जेल में होते। चिदंबरम ने मुझे जेल भेजा था। देखिए, आज वे खुद जेल जाने की कगार पर हैं। -अन्ना

आपकी राय 
क्‍या प्रधानमंत्री पर उठ रहे सवालों को लेकर उन्‍हें सफाई देनी चाहिए और जांच एजेंसियों को इन बातों के मद्देनजर जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए, अपनी राय दें।
2जी घोटाले पर गंभीर हुई सरकार, पीएम से मिलने न्यूयॉर्क जाएंगे प्रणब

Friday, September 23, 2011

X-ray reveals hidden Goya painting


A previously unknown painting by Francisco de Goya has been 
found hidden underneath one of his masterpieces, 
the Rijksmuseum in Amsterdam has announced.

The unfinished work was discovered underneath Goya's Portrait Of Don Ramon Satue, using a new X-ray technique.
It is thought to depict a French general, and may even portray Napoleon Bonaparte's brother, Joseph.
The Rijksmuseum says the Spanish master may have covered up the portrait for political reasons.
Joseph Bonaparte was briefly King Of Spain, from 1808-1813.
When the Napoleonic army was driven out and Ferdinand VII restored to the throne, Goya, who retained the painting, would have wanted to distance himself from the French regime.
The artist had served the French king and feared reprisals, despite receiving an official pardon and being reinstated as first court painter.
Eventually, unhappy with Ferdinand VII's autocratic regime, he applied for permission to settle in France, where he lived until his death in 1828.

Colour map

The new painting was revealed using a technique developed by the University of Antwerp and the Delft University of Technology.

Bombarding a piece of art with powerful x-rays, causes atoms in the picture's layers of paint to emit "fluorescent" x-rays of their own, which indicate the chemicals they originated from. That enables a colour map of the hidden picture to be produced.
The technique was successfully tried out on a Van Gogh painting two years ago, revealing a portrait of a peasant woman behind the work Patch of Grass, from 1887.
Since then, a mobile version of the x-ray "scanner" has been developed, allowing museums to examine paintings that are too delicate to be moved or touched.
According to the Rijksmuseum, the Goya painting is a "formal portrait of a man wearing uniform".
The detail on his face was never completed, but "the decorations embellishing the uniform are those of the highest ranks of a chivalric order instituted by Joseph Bonaparte when his brother, the emperor Napoleon, created him King Of Spain".
"Only 15 generals, plus Joseph, were entitled to wear the uniform and medal, although so far it has proved impossible to pin down exactly which of them is depicted."
Goya's portrait of Spanish judge Ramon Satue, which was concealing the Napoleonic painting, is on display at Museum Boijmans Van Beuningen in Rotterdam, until the opening of the Rijkmuseum's main building in 2013.

Speed-of-light experiments give baffling result at Cern


Puzzling results from Cern, home of the LHC, 
have confounded physicists - because it appears
subatomic particles have exceeded the speed of light.

Neutrinos sent through the ground from Cern toward the Gran Sasso laboratory 732km away seemed to show up a tiny fraction of a second early.
The result - which threatens to upend a century of physics - will be put online for scrutiny by other scientists.
In the meantime, the group says it is being very cautious about its claims.
"We tried to find all possible explanations for this," said report author Antonio Ereditato of the Opera collaboration.
"We wanted to find a mistake - trivial mistakes, more complicated mistakes, or nasty effects - and we didn't," he told BBC News.
"When you don't find anything, then you say 'Well, now I'm forced to go out and ask the community to scrutinise this.'"
 
Caught speeding?
The speed of light is the Universe's ultimate speed limit, and much of modern physics - as laid out in part by Albert Einstein in his special theory of relativity - depends on the idea that nothing can exceed it.
Thousands of experiments have been undertaken to measure it ever more precisely, and no result has ever spotted a particle breaking the limit.
But Dr Ereditato and his colleagues have been carrying out an experiment for the last three years that seems to suggest neutrinos have done just that.
Neutrinos come in a number of types, and have recently been seen to switch spontaneously from one type to another.
The team prepares a beam of just one type, muon neutrinos, sending them from Cern to an underground laboratory at Gran Sasso in Italy to see how many show up as a different type, tau neutrinos.
In the course of doing the experiments, the researchers noticed that the particles showed up a few billionths of a second sooner than light would over the same distance.
The team measured the travel times of neutrino bunches some 15,000 times, and have reached a level of statistical significance that in scientific circles would count as a formal discovery.
But the group understands that what are known as "systematic errors" could easily make an erroneous result look like a breaking of the ultimate speed limit, and that has motivated them to publish their measurements.
"My dream would be that another, independent experiment finds the same thing - then I would be relieved," Dr Ereditato said.
But for now, he explained, "we are not claiming things, we want just to be helped by the community in understanding our crazy result - because it is crazy".
"And of course the consequences can be very serious."

Asian stocks have fallen after slide in US and Europe


Asian stocks have fallen on Friday, with some indexes driving towards their worst weekly losses since 2008.
The Group of 20 nations said they were ready to preserve stability in the financial markets.
But South Korea's main Kospi index still lost 4.7%, while Australia's ASX shed 1.2%.
The declines were first triggered by warnings from the International Monetary Fund and World Bank about the strength of the global economy.
Asian shares were following losses on Thursday in the US and Europe where main indexes lost about 5%.
A number of gloomy comments about global growth combined to sour market sentiment.
On Thursday, Christine Lagarde, head of the International Monetary Fund (IMF), said that the economic situation was entering a "dangerous place".
Robert Zoellick, the World Bank President, said separately that he thought the world was in a "danger zone".
 
Market moves
 
These comments, along with weak economic data out of China, sent Taiwan's main index sliding by 3.5% and Hong Kong's down almost 2%.
Japan's Nikkei index is closed for a holiday.
Commodity markets also took a hit, with copper sinking 7.5% and Brent crude oil futures posting their biggest single-day loss in six weeks.
Global miners were among the biggest losers on concerns about slowing demand for minerals.
Rio Tinto fell 3.3%, after losing 10.8% in London trade, and BHP Billiton lost 2.3% after falling 8.3% overnight.
"Anything sort of leveraged to the global growth story is being sold off hard because people are questioning whether or not we are going to see a global recession," said Cameron Peacock from IG markets.

'Coordinated action'
The negative sentiment weighed on markets despite attempts by policymakers to inject some urgency into their attempts to fix the European debt crisis.
The G20 countries, which are also meeting in Washington alongside the IMF and World Bank, said they were ready to take action.
"We commit to take all necessary actions to preserve the stability of banking systems and financial markets as required," G20 officials said in a communique after a dinner meeting to discuss the European crisis.
Analysts said the markets were expecting some concrete action from the group, and so the comments were unlikely to alleviate the current turmoil.
"The bottom line is they need to follow up with action. Until markets see coordinated action, they're not going to get a lot more confident," said Shane Oliver, head of investment strategy at AMP Capital.
 
Euro rise
 
It may not have calmed the markets, but the statement from the G20 helped the euro recover losses on Friday.
The euro strengthened 0.5% against the US dollar to $1.3530, rebounding from a 0.8% drop yesterday.
The currency also climbed 0.6% versus the yen to 103.24 yen, the first gain in six days.
US stock futures and oil rebounded as well.
Asian currencies, however, weakened with the Korean won sinking to its lowest level in a year.
Authorities in South Korea and India said they were ready to intervene in markets to support their currencies.
Indonesia's central bank said on Thursday that it was taking steps to support the rupiah.
 
'Sentiment downdraught'
 
Separately, the major emerging nations that form the Brics countries - Brazil, Russia, India, China and South Africa - said they may lend money to the IMF and other financial institutions to help ease global financing issues.
Analysts said that concerns about the political and policy response will affect markets globally.

"We'll certainly be caught in the downdraught of negative sentiment for markets today," said Michael McCarthy, chief market strategist from CMC Markets in Sydney.
"The concern here is that the sentiment is weighing on lending markets and... we could see a freezing of credit markets in Europe."
However, he added that in the future, Asia's better economic growth may help markets bounce back.
"Looking forward there is the opportunity, I think, for a much better performance from the Asian region, mainly because of the superior growth in the economies of Asia."

Wednesday, September 14, 2011

Numerology: Sept 14, Wednesday


Number 1: Your sources of income will increase. You will plan new business. You may get promoted. You will get the support of your life partner.
Lucky Colour: Green

Number 2: You may be worried about your expenses. You may feel weak. You may have to take loan for an important work. Control your words as you may end up in trouble because of it.
Lucky Colour: Blue

Number 3: You will get promoted or transferred. You will enjoy happy married life.
Lucky Colour: Black

Number 4: Drive cautiously. Stay away from investments. Someone may cheat you.
Lucky Colour: Sky Blue
Number 5: You will be able to defeat your enemies. You may embark on a business trip. You will get the full support of your life partner.
Lucky Colour: Red

Number 6: Your brothers will be supportive. You will enjoy good day at work. It is good day for business deals.
Lucky Colour: Grey

Number 7: You will spend qualitative time travelling. Your child will give you some good news.
Lucky Colour: Yellow

Number 8: You may have an argument at work. Subordinates will not listen to you. You may feel weak. Control your word.
Lucky Colour: Grey

Number 9: You will enjoy happy married life. You will plan new business projects. Old work that has been stuck for a long time will get finished.
Lucky Colour: Purple

'It may be Rahul Gandhi vs Narendra Modi affair in 2014 Lok Sabha polls'


Washington: As the debate on potential prime ministerial contenders for the 2014 elections picks up in India, a US Congressional report says it might just turn out to be a direct contest between controversial Gujarat Chief Minister Narendra Modi and Congress leader Rahul Gandhi.
A latest report on India by the Congressional Research Service (CRS), a bipartisan and independent research wing of the US Congress, finds Modi a strong prime ministerial candidate for the opposition BJP in 2014, while at the same time discussing the prospect of the Congress putting up Rahul Gandhi for the position.
However, the report which gives a detailed account of international political dimensions of India, does not clearly state it would be a Modi vs Gandhi affair in 2014.
"The 2009 polls may have represented a coming out party of sorts for the younger Gandhi, who many expect to be put forward as Congress' prime ministerial candidate in scheduled 2014 elections," said the report dated September 1, which was made public yesterday by the Federation of American Scientists.
CRS reports are meant for consumption of US lawmakers and are generally not available in the public domain.
However, many a times due to efforts of certain think-tanks and non-governmental organisations, these are made available in the public domain.
"Yet this heir-apparent remains dogged by questions about his abilities to lead the party, given a mixed record as an election strategist, uneasy style in public appearances, and reputation for gaffes," the CRS said.
Party chief and UPA chair, Sonia Gandhi is seen to wield considerable influence over the coalition's policy making process, it said.
"Her foreign origins have presented an obstacle and likely was a major factor in her surprising 2004 decision to decline the prime ministership," the report said, adding that Rahul is widely seen as the most likely heir to Congress leadership.
On the BJP's front, on the other hand, Modi is among the party's likely candidates for the prime ministership, the report said.
"At present, the BJP president is Nitin Gadkari, a former Maharashtran official known for his avid support of privatisation. Although still in some disorder in 2011, there are signs that the BJP has made changes necessary to be a formidable challenger in scheduled 2014 polls," it said.
"These include a more effective branding of the party as one focused on development and good governance rather than emotive, Hindutva-related issues, and Gadkari's success at quelling intra-party dissidence and, by some accounts, showing superior strategising and organising skills as compared to his predecessors," the report said.
"Yet among the party's likely candidates for the prime ministership in future elections is Gujarat Chief Minister Narendra Modi, who has overseen impressive development successes in his state, but who is also dogged by controversy over his alleged complicity in lethal anti-Muslim rioting there in 2002," it said.
At the same time CRS brings to the notice of lawmakers that Modi has in the past been denied a US visa under an American law barring entry for foreign government officials found to be complicit in severe violations of religious freedom.

टीवी एंकर से करीबी और काम के बोझ के चलते पायल को तलाक देंगे उमर अब्दुल्ला?


नई दिल्ली. क्या जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की शादी खतरे में है? क्या वे अपनी पत्नी पायल को तलाक देने जा रहे हैं? कश्मीर की मुश्किल सियासत कर रहे उमर के लिए अब निजी जीवन में भी चुनौती पेश आ रही है। बताया जा रहा है कि उमर के व्यस्त रहने और एक टीवी एंकर से उनकी करीबी के चलते उमर और उनकी पत्नी पायल के रास्ते जल्द ही औपचारिक तौर पर अलग हो सकते हैं। 

उमर अब्दुल्ला ने सिख परिवार की पायल नाथ से 1994 मे शादी की थी। पायल के पिता मेजर जनरल रामनाथ सेना से रिटायर्ड हैं। दोनों की शादी को उस दौर में कश्मीर के रुढ़िवादी समाज ने पसंद नहीं किया था। यही वजह है कि पायल अपने पति के साथ श्रीनगर में ज्यादा वक्त नहीं बिताती हैं। पायल दिल्ली में अपने दोनों बेटों जहीर और जमीर के साथ रहती हैं। एक साप्ताहिक अखबार के मुताबिक करीब छह महीने से उमर यहां नहीं आए हैं। इसकी वजह उनका उमर की बेहद व्यस्त दिनचर्या को बताया जा रहा है। अब्दुल्ला परिवार के एक करीबी के मुताबिक दोनों में अलगाव के करीब हैं और तलाक लेने वाले हैं।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी की राहें अलग-अलग होने की एक और वजह बताई जा रही है। खबर है कि उमर इन दिनों एक एक टीवी एंकर के करीब आ गए हैं। हालांकि, इन खबरों की पुष्टि नहीं हुई है। तलाक ले चुकी टीवी एंकर एक गैर मुस्लिम है और तलाक के बाद दो बार लिव इन रिलेशन में रह चुकी हैं। हालांकि, उमर के पिता फारूख अब्दुल्ला इस रिश्ते का विरोध कर रहे हैं। वह पार्टी हित के लिए शायद यह चाहते हैं कि अगर उमर शादी करें तो किसी कश्मीरी मुस्लिम लड़की से करें। हालांकि उनके परिवार में ऐसी शादियां होती रही हैं। खुद फारूख अब्दुल्ला ने एक विदेशी लड़की से शादी की थी और इनकी बेटी सारा केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट की पत्नी हैं।
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Monday, September 12, 2011

तेज रफ्तार कार के ऊपर से छलांग लगाकर किया आश्चर्यचकिततेज रफ्तार कार के ऊपर से छलांग लगाकर किया आश्चर्यचकित

तेज रफ़्तार दौड़ती कार के ऊपर से किसी व्यक्ति के छलांग लगाने का दृश्य यकीनन हर किसी के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है। 22 वर्षीय आरोन इवान्स को निंजा की तरह से छलांग लगाने में महारत हासिल है। वीडियो में देखिए किस तरह वे चलती कार के ऊपर से बखूबी छलांग लगाते हैं





इस तस्वीर को ध्यान से देखें क्यूंकि कोई नहीं जानता ये सब कैसे हुआ...

अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे ‘गैम्बर्टसेव’ नामक रहस्य छिपा है। असल में यह एक पहाड़ है, जिस पर लंबे समय तक किसी का ध्यान नहीं गया था, क्योंकि यह चार किलोमीटर मोटी बर्फ की परत के नीचे है। इसका खोजा जाना भू-गर्भ वैज्ञानिकों के लिए उत्साहित करने वाला तो है, लेकिन इससे अधिक उन्हें इस बात की हैरानी है कि यह पहाड़ कैसे बना और अब तक अपना वजूद कैसे कायम रखे है? हालांकि इन सवालों का जवाब पाने का प्रयास वैज्ञानिक छह दशक से कर रहे हैं लेकिन ‘गैम्बर्टसेव’ का वजूद राज बना हुआ है।
‘गैम्बर्टसेव’ की खोज 1950 के दशक के अंत में एक सोवियत टीम ने की थी। इसे देखकर वे काफी चौंक गए थे, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि यहां की सतह सपाट होगी। आमतौर पर पर्वतमालाएं महाद्वीपों के किनारे पर होती हैं, लेकिन अंटार्कटिका का यह पहाड़ महाद्वीप के बीचोंबीच है।
इसका अध्ययन कर चुके अमेरिकी शोधकर्ता डॉ. रॉबिन कहते हैं, पहाड़ दो वजहों से बनते हैं। पहला महाद्वीपों की टक्कर से। यहां आखिरी टक्कर 50 करोड़ साल से भी पहले हुई थी, इसलिए इस पहाड़ को अब तक यहां नहीं होना चाहिए था। पहाड़ बनने की दूसरी वजह ज्वालामुखी होते हैं, लेकिन अंटार्कटिका की बर्फ की मोटी चादर के नीचे किसी ज्वालामुखी का होना मुश्किल है।
गौरतलब है कि अंटार्कटिका महाद्वीप के बीचोंबीच स्थित ‘गैम्बर्टसेव’ पहाड़ की जानकारी लंबे समय तक किसी को नहीं थी, क्योंकि यह चार किलोमीटर मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा है। भू-गर्भ वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे कि यह कैसे बना और अब तक कैसे मौजूद है।

अलग अंदाज़ में फोटोग्राफी, दांतों में फिट करवाया कैमरा

जस्टीन क्विनेल को जब कुछ शानदार तस्वीरें लेने का मन करता है तो वो अपना मुंह खोल लेते हैं और दांतो के बीच में फिट किया गया छोटा कैमरा तस्वीरें खीच लेता है।



जस्टीन ने दुनिया की अलग तरह की तस्वीरें लेने के लिए अपने पिछले दांत में एक मिनीएचर कैमरा फिट करवाया है।



49 वर्षीय जस्टिन अपने पिछले दांत में तीन इंच का 110 कर्टिरेज फिल्म कैमरा लगवाया है। जस्टिन को जब भी हास्यास्पद तस्वीरें लेने का मन करता है तो वो अपना मुंह खोल देता है।



ब्रिस्टल के पास पोर्टिशहेड में रहने वाले जस्टिन को अच्छी और साफ तस्वीरें लेने के लिए कई बार सब्जेक्ट के सामने एक मिनट तक मुंह खोले खड़े रहना पड़ता है, जिससे साफ तस्वीर आ सके।

खुल गया एक बेहद दुर्लभ राज़ 'धरती' पर ऐसे आया था 'सोना'


लंदन.धरती पर मौजूद सोना और प्लेटिनम अंतरिक्ष से आया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 4 अरब साल पहले विशाल उल्कापिंड की वर्षा के साथ ये कीमती धातु धरती पर आए थे। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के भू-वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया है कि धरती में इतना सोना और प्लेटिनम है कि इसकी पूरी सतह पर इन धातुओं की चार मीटर मोटी सतह बिछाई जा सकती है।

कैसे आए धातु धरती पर:

धरती के निर्माण के वक्त इसपर मौजूद सोना और प्लेटिनम धरती के अंदर चले गए थे। इनके अन्य धातुओं से मिल जाने की वजह से धरती पर ये धातु खत्म हो गए थे। कुछ लाख सालों के बाद प्रलय में हुई उल्कापिंड वर्षा के साथ ये धातु धरती को वापिस मिले। 2000 अरब करोड़ टन धातु की इस दौरान वर्षा हुई थी। इसमें सोना और प्लेटिनम भी शामिल थे।

कैसे किया शोध:

यह शोध वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड की चट्टानों पर किया था। इन चट्टानों पर सदियों में पड़े असर का पता लगाया गया। चट्टानों में टंगस्टन के आइसोटोप-182 डब्ल्यू की भारी मात्रा देखी गई। यह आइसोटोप प्रमाण है कि धरती पर ये चट्टानें उल्कापिंड से आई हैं। साथ ही यह भी सिद्ध होता है कि धरती पर मौजूद सोना और प्लेटिनम भी अंतरिक्ष से ही आए हैं।

यकीन मानिए इस वीडियो को देख आप भी भावुक हो जाएंगे...

(ऑस्ट्रिया)- यह क्षण किसी के भी लिए बेहद भावुक हो सकता है। यहां के 38 चिपांजी 30 साल में पहली बार खुली हवा में बाहर आए हैं। दरअसल इन पर एक कंपनी रिसर्च कर रही थी और इन्हें जन्म के साथ ही मेडिकल टेस्टिंग के लिए बंद कर दिया गया था। यह टेस्टिंग 1997 में समाप्त हो गई थी, फिर भी इन्हें एक फार्म में रखा गया था ताकि इनके व्यवहार को सही किया जा सके। यहां भी ये कभी बाहर नहीं आ पाए थे। पहली बार खुली हवा में आने की खुशी इनके चेहरों पर साफ झलक रही थी।

रहस्यमयी और रोचक विद्याएं कौन सी हैं?

हमारे धर्म ग्रंथों में दो तरह की विद्याओं का उल्लेख किया गया है। परा और अपरा। इन विद्याओं के नाम आपने कई बार सुने होंगे लेकिन ये विद्याएं क्या हैं, यह बहुत कम ही लोग जानते हैं। ये विद्याएं जितनी रहस्यमयी हैं, उतनी ही रोचक भी हैं।

हमारे धर्म ग्रंथों में वेदों से लेकर पुराणों तक इन विद्याओं के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है। हम आपको आज इन विद्याओं के अर्थ और इनके उपयोग के बारे में बता रहे हैं। मुंडकोपनिषद में इन विद्याओं की ही चर्चा की गई है। इस उपनिषद में इन विद्याओं का जो अर्थ और महत्व बताया गया है वह बहुत सरल और जल्दी समझ में आने वाला है।

अभी तक हम अपरा शक्तियों या विद्याओं का अर्थ जादू-टोने से ही लगाते हैं लेकिन इसका अर्थ बहुत ही विस्तृत है। अपरा विद्या केवल जादू-टोने से जुड़ी नहीं है। इस उपनिषद में यह बताया गया है कि अपरा विद्या वह है जिसके द्वारा परलोक यानी स्वर्गादि लोकों के सुख, साधनों के बारे में जाना जा सकता है, इन्हीं विद्याओं के जरिए इन्हें पाने के मार्ग भी पता किए जाते हैं। ये सुख और साधन कैसे रचे जाते हैं? इन्हें कैसे इस लोक में पाया जा सकता है? इनका मानव जीवन में क्या महत्व है?

ऐसी सभी बाते पता चलती हैं। इसे ही अपरा विद्या कहते हैं। इसमें चारों वेद ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद भी शामिल हैं। इनके अलावा

1. वेदों का पाठ करने की विद्या को शिक्षा,

2. यज्ञ की विधियों की विद्या यानी कल्प,

3. शब्द प्रयोग और शब्द बोध की विद्या यानी व्याकरण,

4. वैदिक शब्द कोष के ज्ञान यानी कि निरुक्त,

5. वैदिक छंदों के भेद को बताने वाली विद्या छंद और

6. नक्षत्रों की स्थिति का ज्ञान कराने की विद्या ज्योतिष भी अपरा विद्या में शामिल हैं। इस तरह कुल 10 अपरा विद्याएं होती हैं।

जानिए चाणक्य के अनुसार हमारी सबसे बड़ी बीमारी कौन सी है...

बीमारी, हमेशा ही दुख और यातना देती है, तड़पाती है, मनोबल तोड़ देती है। बीमारियां कई प्रकार की होती हैं लेकिन हर स्थिति में ये हमारे लिए बुरी ही होती है। हर बीमारी का एक सटीक उपचार होता है जिससे हम पुन: स्वस्थ हो सकते हैं। कुछ बीमारियां शारीरिक होती हैं तो कुछ मानसिक।

शारीरिक बीमारियों का उपचार उचित दवाइयों से किया जा सकता है लेकिन मानसिक या वैचारिक बीमारियों का उपचार किसी दवाई से होना संभव नहीं है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने सबसे बुरी बीमारी बताई है लोभ। लोभ यानि लालच। जिस व्यक्ति के मन में लालच जाग जाता है वह निश्चित ही पतन की ओर दौडऩे लगता है। लालच एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आसानी से नहीं हो पाता। इसी वजह से आचार्य ने इसे सबसे बड़ी बीमारी बताया है।

जिस व्यक्ति को लोभ की बीमारी हो जाए वह सभी रिश्ते-नातों से दूर हो जाता है, इनके सच्चे मित्र भी साथ छोड़ देते हैं, समाज में मान-सम्मान प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। लालच का भूत सवार होने के बाद व्यक्ति की बुद्धि और विवेक भी उसका साथ छोड़ देते हैं। जिससे इंसान लालच के मद में अंधा होकर अधार्मिक मार्ग पर चल देता है। अधार्मिक मार्ग पर चलने वालों को कभी भी शांति और सुख प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसे लोग हमेशा ही भटकते रहते हैं लेकिन इनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती। अत: बुद्धिमान इंसान वही है तो लोभ की बीमारी से खुद को दूर रखे, अन्यथा बहुत भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

हथेली में यहां जितनी रेखाएं होंगी, उतने हो सकते हैं प्रेम संबंध

कई लोगों के जीवन में कुछ बातें ऐसी होती हैं जो वह किसी अन्य व्यक्ति को बताना नहीं चाहता, छिपाता है। ऐसी छिपाने वाली बातों में से एक बात है प्रेम प्रसंग। काफी लोग अपना प्रेम प्रसंग दूसरे लोगों के सामने जाहिर नहीं होने देते। कभी-कभी कुछ प्रेमियों का मिलन नहीं हो पाता और उनका विवाह किसी अन्य लड़के या लड़की के साथ हो जाता है। तब वह अपने पुराने इतिहास को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाता है लेकिन ज्योतिष के अनुसार ऐसे प्रसंगों की जानकारी भी हस्तरेखा से मालुम की जा सकती है।

हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हमारे हाथों की छोटी-छोटी रेखाएं अक्सर बदलती हैं परंतु कुछ खास रेखाओं में बड़े परिवर्तन नहीं होते हैं। इन महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा, मणिबंध, सूर्य रेखा और विवाह रेखा शामिल हैं। विवाह रेखा से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और प्रेम प्रसंग आदि की जानकारी प्राप्त होती है।

विवाह रेखा लिटिल फिंगर (सबसे छोटी अंगुली) के नीचे वाले भाग में हथेली के अंतिम छोर पर होती है। इस क्षेत्र को बुध पर्वत कहते हैं। बुध पर्वत के अंत में एक या एक से अधिक कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। यह विवाह रेखाएं कहलाती है।

ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के हाथों में जितनी विवाह रेखाएं होती हैं उसके उतने ही प्रेम प्रसंग हो सकते हैं। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है। साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो वैवाहिक जीवन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि विवाह रेखा की संख्या से व्यक्ति का विपरित लिंग के प्रति कितना झुकाव है वह मालुम होता है। एक से अधिक विवाह रेखा होने पर माना जा सकता है कि उस व्यक्ति का किसी विपरित लिंग से काफी गहरा रिश्ता हो, इसे प्रेम नहीं मा सकता। यदि कोई गहरे दोस्त हैं तब भी इसप्रकार की रेखाएं हो सकती हैं। विवाह रेखा के साथ ही दोनों हथेलियों की सभी रेखाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है। अन्यथा सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।

वाह 'हीरा' तुम तो पूरे देश के 'लाल' हो!

गोरखपुर। दिल में देशभक्ति और शहीदों के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो इंसान को घर परिवार नही बांध सकता। वह सबकुछ छोड़ इसी में जी जान से जुट जाता है। अपना जीवन देशसेवा के लिए अर्पित कर देता है। देश के लिए ऐसे ही जुनून से जुटने वाले एक शख्श हैं हीरालाल यादव।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कौडीराम के मूल निवासी हीराला पूरे परिवार समेत मुंबई में रहते हैं। हीरालाल पूर्वांचल की माटी के वह हीरा है जो अपनी चमक पूरे देश में फैला रहे हैं। संघर्षों के बल पर मुकाम हासिल करने वाले इस शख्स ने अब अपना पूरा जीवन देश की हिफाजत में शहीद हुए लोगों को समर्पित कर दिया है। ये देशभर में शहीदों के घर जाते हैं और उनके दुखों का साझा करते हैं।

26/11 के मुंबई की आतंकी घटना में शहीद एनएसजी कमांडो संदीप उन्नीकृणन के घर भी ये पहुंचे और उनके पिता से मिलकर काफी प्रभावित हुए। दोनों ने इंडिया गेट से गेटवे आफ इंडिया तक साइकिल यात्रा भी की।

हीरालाल ने बताया इस यात्रा के दौरान वह जिन शहरों से गुजरे वहां लोगों ने शहीद पिता के लिए पलक पांवडे बिछा दिए। लोग पैर छूते थे। ऐसा नजारा देख उन्नीकृष्णन के पिता को यह अहसास हुआ कि उन्होंने बेटा खोया नही है।

हीरालाल इस तरह की अब तक 35 यात्राएं कर चुके हैं। शहीदों और देश प्रेम के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए दर्जनों जगह अपनी कविताओं शहीदों के पत्रों आदि की प्रदर्शनी लगा चुके हैं।

सावधान! +96 से आए कॉल तो ना करना रिसीव

जमशेदपुर।अगर आपके मोबाइल में इनाम जीतने का मैसेज या फिर किसी विदेशी नंबर से मिस कॉल आ रहा है तो जरा सावधान रहें। इनाम वाले मैसेज या मिस कॉल का जवाब देने पर हो सकता है कि आपके मोबाइल का पूरा बैलेंस खत्म हो जाए। इनाम के लालच में मोबाइलधारक इस तरह के मैसेज या कॉल में इंटरटेन करते हैं और धोखा खा जाते हैं। इसमें अधिकतर मैसेज या कॉल सऊदी अरब से होते हैं, जिसका जवाब देने पर मोबाइलधारकों का पूरा बैलेंस समाप्त हो जाता है।

जानकार मानते हैं कि इस तरह के मैसेज या कॉल के पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ है, जिनका मकसद मोबाइलधारकों के बैलेंस में सेंधमारी कर लाभ कमाना है।
दरअसल इन दिनों शहर में सभी कंपनियों के मोबाइल नंबर पर +96.. या दूसरी सीरिज के आईएसडी कोड से मैसेज या मिस कॉल आ रहे हैं। इस तरह के मैसेज और मिस कॉल से सभी कंपनियों के मोबाइल धारक परेशान हैं। इस तरह के मैसेज या मिसकॉल आने पर मोबाइलधारक जैसे ही उस नंबर पर वापस कॉल करता है, उसके बैलेंस से 20 से 50 रुपए या उससे भी अधिक राशि कट जाते हैं। कॉल लगते ही दूसरी ओर आईवीआरएस (इंटरनल वाइस रिकॉर्डिग सिस्टम) शुरू हो जाता है। ये सिस्टम विदेशी भाषा में होता है और प्रति मिनट के हिसाब से मोबाइल धारक का पैसा कटना शुरू हो जाता है।

इस नंबरों से रहें सावधान

0966599538704 +2122288986, +23222888985, +23222288897, +2322288327, +5049 (ये सभी नंबर आईएसडी कॉल होते हैं।)

कहां से आता है मैसेज

पुरस्कार जीतने का मैसेज मोबाइल धारकों को बाहरी कॉल सेंटर से आता है। ऐसे में स्थानीय स्तर पर शिकायत करने पर इनके खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं है।

ट्राई को देश में कार्रवाई का अधिकार

टेलीफोन रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) भी इस तरह के मामले में कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। ट्राई को केवल देश के अंदर की कंपनियों पर कार्रवाई करने का अधिकार है। विदेशी कंपनियों पर ट्राई का कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसी फर्जी कंपनियों पर शिकंजा कसने में ट्राई भी बेबस है।

यह साइबर क्राइम का मामला

मेरे मोबाइल पर अक्सर मैसेज आते हैं कि आप 50 हजार पाउंड जीत सकते हैं। इस पर मैसेज करें, यह टोल फ्री नंबर है। जब नंबर पर मैसेज करते हैं तो बैलेंस कट जाता है। इस तरह के मैसेज के पीछे की सच्चाई का पता लगाया जाना चाहिए। यह साइबर क्राइम का मामला है।

आलोक चौधरी, उद्यमी

मैं बीएसएनएल का उपभोक्ता हूं। मेरे मोबाइल पर भी हमेशा मैसेज आते हैं कि आप एक लाख के विजेता चुने गए हैं। यह पूरी तरह से फर्जी मैसेज होता है। इससे लोग ठगी के शिकार हो सकते हैं। कॉल सेंटर से इस तरह के मैसेज भेजे जा रहे हैं।

देवेंद्र सिंह, मोबाइल धारक सह अधिवक्ता

जवाब देने से परहेज करें उपभोक्ता

बीएसएनएल मोबाइल में कभी-कभी इस प्रकार की शिकायत मिलती है। ऐसे मैसेज और अनजाने कॉल्स का जवाब देने से परहेज करें। उपभोक्ता आवेदन देकर अनचाहे मैसेज और कॉल्स को बंद करा सकते हैं।

एके पाही, महाप्रबंधक, बीएसएनएल

इस दीपक के उजाले से चांद पर दिखा अकूत खजाना!

धनबाद।इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आईएसएम) से जून 2011 में पास आउट हुए दो छात्रों दीपक सिंह और तापस कुमार नंदी ने अपने शोधों से देश के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को और आसान बना दिया है।

दीपक ने चंद्रमा की सतह के नीचे तीन मौजूद खनिज तत्वों की खोज की है। वहीं, तापस ने देश के भविष्य के चंद्र अभियानों की राह आसान बनाने के लिए चंद्रमा की सतह पर स्पेसक्राफ्ट की सेफ लैंडिंग का सॉफ्टवेयर तैयार किया है। अप्लाइड जियोफिजिक्स के इन दोनों छात्रों ने 2010 में अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर में अपने शोध पूरे किए।

दीपक ने ऐसे की मैपिंग

दीपक ने चंद्रमा पर मिनरल मैपिंग का काम चंद्रयान-1 में लगे टेरीन मैपिंग कैमरे द्वारा खींची गई तस्वीरों के आंकड़ों के आधार पर किया। कैमरे में लगे लूनर लेजर रेजिंग इंस्ट्रूमेंट से चंद्रमा की सतह व उसके नीचे स्थित खनिजों की मैगनेटिक फील्ड की तस्वीरें खिंची गई थीं।

खनिजों का पता लगाने के लिए इसरो के बड़े वैज्ञानिकों के साथ दीपक को भी मौका दिया गया था। उसके जिम्मे चंद्रमा की सतह पर मौजूद ओरिएंटल बेसिन में खनिजों की मैपिंग की जिम्मेदारी थी। उसने अपने शोध में टाइटेनियम, आयरन आक्साइड एवं मैगनिटाइट की खोज की।

सॉफ्टवेयर डेवलपिंग में थे तापस

इसलिए महत्वपूर्ण

टाइटेनियम हल्का खनिज होने के कारण लोहा के साथ मिलकर मजबूत मिश्र धातु बनाता है। चंद्रमा पर दोनों खनिज भारी मात्रा में मौजूद हैं। भविष्य में जब चंद्रमा का प्रयोग स्पेस स्टेशन के रूप में किया जाएगा, तब वहीं इन खनिजों से अंतरिक्ष यानों को बनाया जा सकेगा। साथ ही इनका प्रयोग मिसाइल, रक्षा उत्पाद व कृत्रिम अंग बनाने में भी हो सकेगा।

अमेरिका गए :  दीपक फिलहाल अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी से रिमोट सेंसिंग पर पीएचडी कर रहे हैं।

सॉफ्टवेयर डेवलपिंग में थे तापस

तापस को भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को आसान बनाने वाली टीम में शामिल किया गया था। उनकी टीम को चंद्रमा पर स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग को आसान बनाने के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। तापस को लैंडिंग के वक्त स्पेसक्राफ्ट की गति नियंत्रित करने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करना था। उन्होंने इसे मात्र एक माह में ही तैयार कर दिया था।

इसलिए महत्वपूर्ण

चंद्रयान-2 कार्यक्रम में इसरो इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर रहा है।

बन गए इंजीनियर :तापस अभी एस्सार ऑयल में पेट्रोलियम इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं।

शोधों को मिली मान्यता

दीपक और तापस ने अहमदाबाद में पिछले साल 3 से 5 सितंबर तक आयोजित 13वीं यंग एस्ट्रोनॉमर मीट में अपने शोध प्रस्तुत किए। मीट में इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कई वैज्ञानिक शामिल हुए।

क्या है अप्लाइड जियोफिजिक्स :   इसके तहत धरती की सतह के नीचे की संरचना एवं वहां मौजूद खनिजों का अध्ययन किया जाता है।

देश के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को मजबूत बनाने में इन दोनों छात्रों ने अहम भूमिका निभाई है।

- विनय कुमार श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, अप्लाइड जियोफिजिक्स विभाग, आईएसएम

Monday, September 5, 2011

बी.बी.सी. कहता है........... ताजमहल........... एक छुपा हुआ सत्य.......... कभी मत कहो कि......... यह एक मकबरा है..........

बी.बी.सी. कहता है...........
ताजमहल...........
एक छुपा हुआ सत्य..........
कभी मत कहो कि.........
यह एक मकबरा है..........




ताजमहल का आकाशीय दृश्य......




                                                                                                             
आतंरिक पानी का कुंवा............














ताजमहल और गुम्बद के सामने का दृश्य















गुम्बद और शिखर के पास का दृश्य.....





















शिखर के ठीक पास का दृश्य.........



















आँगन में शिखर के छायाचित्र कि बनावट.....



















प्रवेश द्वार पर बने लाल कमल........















ताज के पिछले हिस्से का दृश्य और बाइस कमरों का समूह........















पीछे की खिड़कियाँ और बंद दरवाजों का दृश्य........

















विशेषतः वैदिक शैली मे निर्मित गलियारा.....














मकबरे के पास संगीतालय........एक विरोधाभास.........















ऊपरी तल पर स्थित एक बंद कमरा.........














निचले तल पर स्थित संगमरमरी कमरों का समूह.........















दीवारों पर बने हुए फूल......जिनमे छुपा हुआ है ओम् ( ॐ ) ....
















निचले तल पर जाने के लिए सीढियां........


















कमरों के मध्य 300 फीट लंबा गलियारा..


















निचले तल के२२गुप्त कमरों मे सेएककमरा...



















२२ गुप्त कमरों में से एक कमरे का आतंरिक दृश्य.......














अन्य बंद कमरों में से एक आतंरिक दृश्य..



















एक बंद कमरे की वैदिक शैली में निर्मित छत......















ईंटों से बंद किया गया विशाल रोशनदान .....














दरवाजों में लगी गुप्त दीवार , जिससे अन्य कमरों का सम्पर्क था.....



















बहुत से साक्ष्यों को छुपाने के लिए , गुप्त ईंटों से बंद किया गया दरवाजा......



















बुरहानपुर मध्य प्रदेश मे स्थित महल जहाँ मुमताज-उल-ज़मानी कि मृत्यु हुई थी.......














बादशाह नामा के अनुसार ,, इस स्थान पर मुमताज को दफनाया गया.........
















अब कृपया इसे पढ़ें .........

प्रो.पी. एन. ओक. को छोड़ कर किसी ने कभी भी इस कथन को चुनौती नही दी कि........

" ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था "

प्रो.ओक. अपनी पुस्तक "TAJ MAHAL - THE TRUE STORY" द्वारा इस
बात में विश्वास रखते हैं कि ,--

सारा विश्व इस धोखे में है कि खूबसूरत इमारत ताजमहल को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने बनवाया था.....


ओक कहते हैं कि......

ताजमहल प्रारम्भ से ही बेगम मुमताज का मकबरा न होकर , एक हिंदू प्राचीन शिव मन्दिर है जिसे तब तेजो महालय कहा जाता था.


अपने अनुसंधान के दौरान ओक ने खोजा कि इस शिव मन्दिर को शाहजहाँ ने जयपुर के महाराज जयसिंह से अवैध तरीके से छीन लिया था और इस पर अपना कब्ज़ा कर लिया था ,,

=> शाहजहाँ के दरबारी लेखक " मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी " ने अपने " बादशाहनामा " में मुग़ल शासक बादशाह का सम्पूर्ण वृतांत 1000 से ज़्यादा पृष्ठों मे लिखा है ,, जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 पर इस बात का उल्लेख है कि , शाहजहाँ की बेगम मुमताज-उल-ज़मानी जिसे मृत्यु के बाद , बुरहानपुर मध्य प्रदेश में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके ०६ माह बाद , तारीख़ 15 ज़मदी-उल- अउवल दिन शुक्रवार , को अकबराबाद आगरा लाया गया फ़िर उसे महाराजा जयसिंह से लिए गए , आगरा में स्थित एक असाधारण रूप से सुंदर और शानदार भवन (इमारते आलीशान) मे पुनः दफनाया गया , लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों कि इस आली मंजिल से बेहद प्यार करते थे , पर बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे.

इस बात कि पुष्टि के लिए यहाँ ये बताना अत्यन्त आवश्यक है कि जयपुर के पूर्व महाराज के गुप्त संग्रह में वे दोनो आदेश अभी तक रक्खे हुए हैं जो शाहजहाँ द्वारा ताज भवन समर्पित करने के लिए राजा
जयसिंह को दिए गए थे.......

=> यह सभी जानते हैं कि मुस्लिम शासकों के समय प्रायः मृत दरबारियों और राजघरानों के लोगों को दफनाने के लिए , छीनकर कब्जे में लिए गए मंदिरों और भवनों का प्रयोग किया जाता था ,
उदाहरनार्थ हुमायूँ , अकबर , एतमाउददौला और सफदर जंग ऐसे ही भवनों मे दफनाये गए हैं ....

=> प्रो. ओक कि खोज ताजमहल के नाम से प्रारम्भ होती है---------

=" महल " शब्द , अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में
भवनों के लिए प्रयोग नही किया जाता...
यहाँ यह व्याख्या करना कि महल शब्द मुमताज महल से लिया गया है......वह कम से कम दो प्रकार से तर्कहीन है---------

पहला ----- शाहजहाँ कि पत्नी का नाम मुमताज महल कभी नही था ,,, बल्कि उसका नाम मुमताज-उल-ज़मानी था ...

और दूसरा----- किसी भवन का नामकरण किसी महिला के नाम के आधार पर रखने के लिए केवल अन्तिम आधे भाग (ताज)का ही प्रयोग किया जाए और प्रथम अर्ध भाग (मुम) को छोड़ दिया जाए ,,, यह समझ से परे है...

प्रो.ओक दावा करते हैं कि , ताजमहल नाम तेजो महालय (भगवान शिव का महल) का बिगड़ा हुआ संस्करण है , साथ ही साथ ओक कहते हैं कि----
मुमताज और शाहजहाँ कि प्रेम कहानी , चापलूस इतिहासकारों की भयंकर भूल और लापरवाह पुरातत्वविदों की सफ़ाई से स्वयं गढ़ी गई कोरी अफवाह मात्र है क्योंकि शाहजहाँ के समय का कम से कम एक शासकीय अभिलेख इस प्रेम कहानी की पुष्टि नही करता है.....



इसके अतिरिक्त बहुत से प्रमाण ओक के कथन का प्रत्यक्षतः समर्थन कर रहे हैं......
तेजो महालय (ताजमहल) मुग़ल बादशाह के युग से पहले बना था और यह भगवान् शिव को समर्पित था तथा आगरा के राजपूतों द्वारा पूजा जाता था-----

==> न्यूयार्क के पुरातत्वविद प्रो. मर्विन मिलर ने ताज के यमुना की तरफ़ के दरवाजे की लकड़ी की कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना है...


==> मुमताज कि मृत्यु जिस वर्ष ( 1631) में हुई थी उसी वर्ष के अंग्रेज भ्रमण कर्ता पीटर मुंडी का लेख भी इसका समर्थन करता है कि ताजमहल मुग़ल बादशाह के पहले का एक अति महत्वपूर्ण भवन था......


==> यूरोपियन यात्री जॉन अल्बर्ट मैनडेल्स्लो ने सन् 1638 ( मुमताज कि मृत्यु के 07 साल बाद) में आगरा भ्रमण किया और इस शहर के सम्पूर्ण जीवन वृत्तांत का वर्णन किया ,, परन्तु उसने ताज के बनने का कोई भी सन्दर्भ नही प्रस्तुत किया , जबकि भ्रांतियों मे यह कहा जाता है कि ताज का निर्माण कार्य 1631 से 1651 तक जोर शोर से चल रहा था......


==> फ्रांसीसी यात्री फविक्स बर्निअर एम.डी. जो औरंगजेब द्वारा गद्दीनशीन होने के समय भारत आया था और लगभग दस साल यहाँ रहा , के लिखित विवरण से पता चलता है कि , औरंगजेब के शासन के समय यह झूठ फैलाया जाना शुरू किया गया कि ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था.......


प्रो. ओक. बहुत सी आकृतियों और शिल्प सम्बन्धी असंगताओं को इंगित करते हैं जो इस विश्वास का समर्थन करते हैं कि , ताजमहल विशाल मकबरा न होकर विशेषतः हिंदू शिव मन्दिर है.......

आज भी ताजमहल के बहुत से कमरे शाहजहाँ के काल से बंद पड़े हैं , जो आम जनता की पहुँच से परे हैं

प्रो. ओक. , जोर देकर कहते हैं कि हिंदू मंदिरों में ही पूजा एवं धार्मिक संस्कारों के लिए भगवान् शिव की मूर्ति , त्रिशूल , कलश और ॐ आदि वस्तुएं प्रयोग की जाती हैं.......

==> ताज महल के सम्बन्ध में यह आम किवदंत्ती प्रचलित है कि ताजमहल के अन्दर मुमताज की कब्र पर सदैव बूँद बूँद कर पानी टपकता रहता है ,, यदि यह सत्य है तो पूरे विश्व मे किसी किभी कब्र पर बूँद बूँद कर पानी नही टपकाया जाता , जबकि प्रत्येक हिंदू शिव मन्दिर में ही शिवलिंग पर बूँद बूँद कर पानी टपकाने की व्यवस्था की जाती है , फ़िर ताजमहल (मकबरे) में बूँद बूँद कर पानी टपकाने का क्या मतलब.... ????



राजनीतिक भर्त्सना के डर से इंदिरा सरकार ने ओक की सभी पुस्तकें स्टोर्स से वापस ले लीं थीं और इन पुस्तकों के प्रथम संस्करण को छापने वाले संपादकों को भयंकर परिणाम भुगत लेने की धमकियां भी दी गईं थीं....


प्रो. पी. एन. ओक के अनुसंधान को ग़लत या सिद्ध करने का केवल एक ही रास्ता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार बंद कमरों को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाए , और विशेषज्ञों को छानबीन करने दे ....


ज़रा सोचिये....!!!!!!


कि यदि ओक का अनुसंधान पूर्णतयः सत्य है तो किसी देशी राजा के बनवाए गए संगमरमरी आकर्षण वाले खूबसूरत , शानदार एवं विश्व के महान आश्चर्यों में से एक भवन , " तेजो महालय " को बनवाने का श्रेय बाहर से आए मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को क्यों...... ?????
तथा......

इससे जुड़ी तमाम यादों का सम्बन्ध मुमताज-उल-ज़मानी से क्यों........ ???? ???


आंसू टपक रहे हैं , हवेली के बाम से ,,,,,,,,
रूहें लिपट के रोटी हैं हर खासों आम से.....
अपनों ने बुना था हमें , कुदरत के काम से ,,,,

फ़िर भी यहाँ जिंदा हैं हम गैरों के नाम से......
















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