आणंद। अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से दावेदारी कर रहे जॉन हन्ट्समेन अपनी दत्तक पुत्री आशा भारती (भारत) व ग्रेस एलिजाबेथ (चीन) के चलते विवादों में फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल, इंटरनेट पर एक वीडियो क्लिप अपलोड की गई है। इसमें हन्ट्समेन को ‘मंचूरियन कैंडिडेट’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
क्लिप में हन्ट्समेन के चीन से लड़की को गोद लेने के बारे में कहा जा रहा है कि चीन के प्रति उनका रवैया उदार हो सकता है। दूसरी ओर हन्ट्समैन से जुड़े इस विवाद को लेकर अमरीका में रह रहे गुजराती समाज में नाराजगी है। साथ ही अनाथ आश्रम ने भी इस प्रकार के मुद्द को विवाद बनाने पर आपत्ति जताई है।
उल्लेखनीय है कि साल के अंत में अमरीका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। हन्ट्समेन के चार बच्चे हैं। वे भारत-चीन से बच्चों को दत्तक लेने की वजह से विवादों का सामना कर रहे हैं। वैसे, अमेरिका में ऐसे ही विवाद के चलते जॉन मैकने जॉर्ज बुश के मुकाबले प्रमुख पद पर दावा हार चुके हैं। उन्होंने साल 2000 में बांग्लादेश से एक बच्ची को दत्तक लिया था।
क्या है विवाद की वजह :
बात साल 2006 की है। अमरीका के उटाह राज्य के तत्कालीन गर्वनर जॉन हन्ट्समेन व उनकी पत्नी मेरिका ने गुजरात के नडियाद स्थित मातृछाया अनाथ आश्रम से कनक नामक एक साल की बच्ची को गोद लिया था। इसके लिए वे सपत्नी भारत आए थे और आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की थीं। बाद में इसका नामक आशा भारती रखा। तब हन्ट्समेन ने कहा था कि अंग्रेजी, जर्मनी, जापानीज, स्पैनिश, चाइनीज एवं लैटिन भाषाओं में आशा का अर्थ ‘होप’ होता है। मनुष्य जीवन में आशा की एक किरण भी हर समस्या का समाधान करने में सक्षम होती है।
लालन-पालन न हो राजनीतिक मुद्दा :
मातृछाया अनाथ आश्रम की निदेशक सिस्टर बेनिटा ने उक्त विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उनका कहना है कि बच्चे के लालन-पालन को राजनीतिक कारण बनाया जा रहा है। यह अनुचित है। मातृछाया के पास भारत सरकार की सेंट्रल एडॉप्शन रिसरेस अथॉरिटी का लाइसेंस है। अमरीका की चिल्ड्रन हाउस इंटरनेशनल नामक संस्था के माध्यम से हमें मेरिका का आवेदन मिला था।
क्लिप में हन्ट्समेन के चीन से लड़की को गोद लेने के बारे में कहा जा रहा है कि चीन के प्रति उनका रवैया उदार हो सकता है। दूसरी ओर हन्ट्समैन से जुड़े इस विवाद को लेकर अमरीका में रह रहे गुजराती समाज में नाराजगी है। साथ ही अनाथ आश्रम ने भी इस प्रकार के मुद्द को विवाद बनाने पर आपत्ति जताई है।
उल्लेखनीय है कि साल के अंत में अमरीका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। हन्ट्समेन के चार बच्चे हैं। वे भारत-चीन से बच्चों को दत्तक लेने की वजह से विवादों का सामना कर रहे हैं। वैसे, अमेरिका में ऐसे ही विवाद के चलते जॉन मैकने जॉर्ज बुश के मुकाबले प्रमुख पद पर दावा हार चुके हैं। उन्होंने साल 2000 में बांग्लादेश से एक बच्ची को दत्तक लिया था।
क्या है विवाद की वजह :
बात साल 2006 की है। अमरीका के उटाह राज्य के तत्कालीन गर्वनर जॉन हन्ट्समेन व उनकी पत्नी मेरिका ने गुजरात के नडियाद स्थित मातृछाया अनाथ आश्रम से कनक नामक एक साल की बच्ची को गोद लिया था। इसके लिए वे सपत्नी भारत आए थे और आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की थीं। बाद में इसका नामक आशा भारती रखा। तब हन्ट्समेन ने कहा था कि अंग्रेजी, जर्मनी, जापानीज, स्पैनिश, चाइनीज एवं लैटिन भाषाओं में आशा का अर्थ ‘होप’ होता है। मनुष्य जीवन में आशा की एक किरण भी हर समस्या का समाधान करने में सक्षम होती है।
लालन-पालन न हो राजनीतिक मुद्दा :
मातृछाया अनाथ आश्रम की निदेशक सिस्टर बेनिटा ने उक्त विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उनका कहना है कि बच्चे के लालन-पालन को राजनीतिक कारण बनाया जा रहा है। यह अनुचित है। मातृछाया के पास भारत सरकार की सेंट्रल एडॉप्शन रिसरेस अथॉरिटी का लाइसेंस है। अमरीका की चिल्ड्रन हाउस इंटरनेशनल नामक संस्था के माध्यम से हमें मेरिका का आवेदन मिला था।
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