ओरछा। नॉलेज पैकेज के अंतर्गत आज हम आपको ओरछा स्थित राम राजा मंदिर के पीछे की कहानी बता रहे हैं। ओरछा मध्य प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह हमेशा से पर्यटकों के केंद्र में रहा है। यहां स्थित भगवान श्रीराम का मंदिर पूरे देश में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां वे भगवान के रूप में नहीं, बल्कि एक राजा के रूप में पूजे जाते हैं।
यहां भगवान श्रीराम की स्थापना के पीछे की एक बहुत मजेदार कहानी है। कहानी के अनुसार तात्कालीन समय में ओरछा के राजा मधुकर शाह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे, जबकि उनकी पत्नी गणोशकुंवरी भगवान श्रीराम की उपासना करती थीं। वे हमेशा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने को कहा करते थे, लेकिन रानी तो श्रीराम का ही नाम जपते रहती थीं।
एकबार उन्होंने यह मन बना लिया कि वे ओरछा में भगवान श्रीराम की स्थापना करेंगी। इसके लिए उन्होंने अयोध्या जाकर उपासना करने का मन बनाया। एक दिन वे राजा को बिना बताए, अयोध्या के लिए निकल गईं। अयोध्या के लिए प्रस्थान करने से पहले उन्होंने अपने नौकरों को यह आदेश दिया कि वे चतुभरुज मंदिर का निर्माण करवाएं, जहां भगवान श्रीराम की स्थापना की जाएगी।
अयोध्या पहुंचने के बाद रानी ने राम मंदिर में भगवान श्रीराम के लिए कई दिनों तक उपवास रखा। उनकी इस भक्ति को देखकर भगवान श्रीराम उनके सामने प्रकट हुए। इसके बाद रानी ने उन्हें अपने साथ ओरछा जाने का आग्रह किया। भगवान श्रीराम तैयार हो गए, लेकिन इसके लिए उन्होंने रानी के सामने तीन शर्ते रखीं।
1. भगवान श्रीराम ने कहा कि वे ओरछा बाल रूप में जाएंगे।
2. ओरछा पहुंचने के बाद वहां न कोई राजा होगा और न कोई रानी।
3. उनकी स्थापना पुरुष नक्षत्र में होगी।
रानी ने भगवान श्रीराम की सभी शर्ते मान लीं। रानी जब श्रीराम के बालरूप के साथ ओरछा पहुंचीं, तब राजा ने धूमधाम से उनका स्वागत करने का मन बनाया। लेकिन रानी ने सभी को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद वे श्रीराम के बालरूप के साथ महल में गईं। अगले दिन जब उन्होंने भगवान राम को चतुभरुज मंदिर में स्थापित करने का शुभ मुहूर्त बनाया, तब भगवान राम ने कहा कि वे मां का दामन छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
इसके बाद वे महल से बाहर नहीं गए और उनकी स्थापना वहीं हो गई। इसके बाद से रानी का वही महल मंदिर के रूप में विख्यात हो गया, जो आज राम राजा मंदिर के नाम से विश्व विख्यात है।
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