दाहोद (गुजरात)।यहां मंगलवार को एक मकान के निर्माण के दौरान हुई खुदाई में निकले खजाने के चलते कथोरिया बाजार इलाके में जबर्दस्त लूटपाट मच गई। दरअसल खुदाई के दौरान यहां से चांदी के सिक्कों से भरा एक बड़ा मटका निकला था। चंद मिनट में ही यह खबर पूरे इलाके में जंगल में आग की तरह फैल गई और लूटपाट मच गई।
मंगलवार को दाहोद के कथीरिया बाजार में मंसूरभाई कथीरिया के मकान के निर्माण कार्य के चलते खुदाई हो रही थी। लगभग 5-10 फिट का गड्ढा करने पर ही मजदूरों को एक बड़े आकार का मटका दिखाई दिया जो चांदी के सिक्कों से लबालब भरा हुआ था। यह दृश्य देखकर मजदूरों ने उसे लूटना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे यह बात फैलती चली गई और लोगों का हुजूम इस खजाने को लूटने टूट पड़ा। कुछ ही देर में लगभग पूरा मटका खाली कर दिया गया। इसी बीच किसी ने मकान मालिक मंसूरभाई को इसकी जानकारी दे दी और वे तुरंत यहां के लिए रवाना हुए। लेकिन जब तक वे यहां पहुंचे तब तक मजदूर समेत लूटपाट करने वाले सभी लोग घटना स्थल से फरार हो चुके थे।
सिक्के मुगल काल के हैं:
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस मटके में लगभग 30-40 किलो वजन के सिक्के थे। सिक्कों का आकार वर्तमान में चल रहे 5 रुपए के सिक्के जैसा है, लेकिन उसकी मोटाई सिक्के से लगभग तिगुनी और वजन 15-20 ग्राम का है। इसके साथ ही सिक्कों पर उर्दू में इबारतें लिखी हुई हैं। जिसका मतलब है कि ये सिक्के मुगल काल के हैं यानी की 300-400 साल पुराने।
मंगलवार को दाहोद के कथीरिया बाजार में मंसूरभाई कथीरिया के मकान के निर्माण कार्य के चलते खुदाई हो रही थी। लगभग 5-10 फिट का गड्ढा करने पर ही मजदूरों को एक बड़े आकार का मटका दिखाई दिया जो चांदी के सिक्कों से लबालब भरा हुआ था। यह दृश्य देखकर मजदूरों ने उसे लूटना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे यह बात फैलती चली गई और लोगों का हुजूम इस खजाने को लूटने टूट पड़ा। कुछ ही देर में लगभग पूरा मटका खाली कर दिया गया। इसी बीच किसी ने मकान मालिक मंसूरभाई को इसकी जानकारी दे दी और वे तुरंत यहां के लिए रवाना हुए। लेकिन जब तक वे यहां पहुंचे तब तक मजदूर समेत लूटपाट करने वाले सभी लोग घटना स्थल से फरार हो चुके थे।
सिक्के मुगल काल के हैं:
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस मटके में लगभग 30-40 किलो वजन के सिक्के थे। सिक्कों का आकार वर्तमान में चल रहे 5 रुपए के सिक्के जैसा है, लेकिन उसकी मोटाई सिक्के से लगभग तिगुनी और वजन 15-20 ग्राम का है। इसके साथ ही सिक्कों पर उर्दू में इबारतें लिखी हुई हैं। जिसका मतलब है कि ये सिक्के मुगल काल के हैं यानी की 300-400 साल पुराने।
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