Wednesday, August 1, 2012

आधे देश को अंधेरे में डुबोने की कहानी, जानिए क्या बला है ग्रिड?

पानीपत/चंडीगढ़.देश की उत्तरी ग्रिड से जुड़े हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश हमेशा से बिजली ओवर ड्रा करते आए हैं।

हरियाणा तो इस साल की शुरुआत से ही तय कोटे से ज्यादा बिजली लेता रहा है। 36 घंटों के भीतर दो बार ग्रिड फेल होने की वजह भी इसे बताया गया। भास्कर ने भी इसकी पड़ताल की। सच यही है कि इन तीनों राज्यों ने 29 जुलाई को भी अपनी तय सीमा से ज्यादा बिजली खींची।

ग्रिड फेल होने का असली कारण तो जल्द पता चल जाएगा मगर इतना साफ है कि हरियाणा समेत ये तीनों राज्य शेड्यूल से ज्यादा बिजली लेने के आदी हैं। हरियाणा ने तो साल की पहली तिमाही में भी बिजली ओवर ड्रा की। जबकि उस तिमाही में से दो महीने अच्छी खासी ठंड थी।

अब जिक्र 29 जुलाई का। नार्दर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनआरएलडी) की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को हरियाणा ने खुद 54.08 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया। प्रदेश को इस दिन उत्तरी ग्रिड से 65.59 लाख यूनिट बिजली मिलनी थी, मगर हमने ड्रा की 77.10 लाख यूनिट। यानी 11.52 लाख यूनिट ज्यादा।

खास बात यह है कि इसके बावजूद प्रदेश में 3.98 लाख यूनिट बिजली की कमी रही। वहीं पंजाब ने अपने शेड्यूल से 13.55 लाख यूनिट और यूपी सबसे ज्यादा 27.82 लाख यूनिट बिजली ओवर ड्रा की। अगर नार्दर्न ग्रिड से जुड़े सभी आठ राज्यों और केंद्र शासित चंडीगढ़ को जोड़ लें तो 29 जुलाई को 28.58 लाख यूनिट बिजली ओवर ड्रा की गई। एनआरएलडी की रिपोर्ट को सही माने तो हरियाणा ने 2012 की पहली तिमाही के तीनों महीनों में नार्दर्न ग्रिड से बिजली ओवर ड्रा की।

दोबारा भी ओवर ड्रा
उत्तरी ग्रिड का मंगलवार को दोबारा फेल होने की वजह हरियाणा व राजस्थान का बिजली की एलोकेशन से ज्यादा बिजली ड्रा को बताया गया है। सूत्रों के अनुसार जिस वक्त ग्रिड फेल हुआ, हरियाणा की एलोकेशन से 1312 मेगावाट बिजली ज्यादा ली जा रही थी। इसी तरह राजस्थान की एलोकेशन 1649 मेगावाट और ड्रा 2600 मेगावाट थी। उत्तर प्रदेश की एलोकेशन 3336 मेगावाट और ड्रा4100 मेगावाट थी।

बिजली ओवर ड्रा के लिए परमिशन नहीं जरुरी
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन उत्तरी ग्रिड पर बिजली की फ्रीक्वेंसी को देखते हुए बिजली लेने वाले राज्यों के लिए रोजाना बिजली एलोकेशन तय करता है। इससे ज्यादा बिजली लेने के लिए राज्यों को अलग से परमिशन नहीं चाहिए होती बल्कि मांग से निपटने के लिए राज्यों द्वारा ज्यादा बिजली लेने पर यूआई(अनशेड्यूल्ड इंटरचेंज) के तहत बिजली की अलग अलग दरें वसूली जाती हैं।

ग्रिड के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैं..
क्या है इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड :इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड पावर जेनरेशन स्टेशनों से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने का नेटवर्क होता है। इसमें बिजली उत्पादन केंद्र, ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन शामिल होते हैं। भारत में क्षेत्रों के अनुसार पांच ग्रिड हैं। उत्तरी ग्रिड, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी।

ग्रिड कैसे काम करती है :रीजन के सभी राज्य संबंधित लोड डिस्पैच सेंटरों को बिजली ड्रा करने का शेड्यूल बताता हैं। लोड डिस्पैच सेंटर ग्रिड की फ्रीक्वेंसी और वोल्टेज पर नजर रखते हैं। दरअसल, ग्रिड फ्रीक्वेंसी के एक छोटे बैंड के बीच काम करती है। जब संबंधित राज्य बिजली ड्रा करते हैं तो ग्रिड की फ्रीक्वेंसी गिरती है और बिजली सप्लाई होने पर बढ़ती है।

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